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जूना अखाड़े की पेशवाई में दिखेगी उत्तराखंड की लोक संस्कृति, देंगे पलायन रोकने का संदेश

13 अखाड़ों में सबसे बड़े जूना अखाड़े ने अपनी धर्मध्वजा स्थापित कर महाकुंभ का आगाज कर दिया है. कल यानी गुरुवार को जूना अखाड़े की पेशवाई निकाली जाएगी.

Haridwar Mahakumbh 2021
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Published : Mar 3, 2021, 8:28 PM IST

हरिद्वार: महाकुंभ की शुरुआत जूना अखाड़े ने धर्मध्वजा फहराकर कर दी है. जूना अखाड़े की कल यानी गरुवार को पेशवाई निकाली जाएगी, जिसमें उत्तराखंड की लोक संस्कृति एक विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी. जिसकी झलक धर्म ध्वजा के दौरान भी देखने को मिली.

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद गिरि ने बताया कि इस बार जूना अखाड़े की पेशवाई में उत्तराखंड लोक संस्कृति को दर्शाया जाएगा. उन्होंने इसे इतिहास से जोड़ते हुए कहा कि जूना अखाड़े की स्थापना भी कर्णप्रयाग में ही हुई थी, इसलिए इस बार हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ में उत्तराखंड से जुड़ी संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जाएगा.

जूना अखाड़े की पेशवाई में दिखेंगी उत्तराखंड की लोक संस्कृति.

महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद गिरि ने बताया कि इस बार महाकुंभ में जूना अखाड़े का मुख्य उद्देश्य पलायन को रोकना है, जिसके लिए इस बार जूना अखाड़ा कल जूना अखाड़े द्वारा निकाली जाने वाली पेशवाई में उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाएगा और लोगों में पलायन को रोकने का संदेश देगा.

पढ़ें- हरिद्वार महाकुंभ: जूना अखाड़े की धर्मध्वजा स्थापित, कल निकलेगी भव्य पेशवाई

साथ ही महामंडलेश्वर विरेंद्र आनंद गिरि ने बताया कि जूना अखाड़े का इतिहास उत्तराखंड के कर्णप्रयाग से जुड़ा हुआ है. जूना अखाड़े की स्थापना 11वीं शताब्दी में कर्णप्रयाग से ही हुई थी. इसलिए हमारा और जूना अखाड़े का कर्तव्य है कि अपनी विरासत को बचा कर रखें.

हरिद्वार: महाकुंभ की शुरुआत जूना अखाड़े ने धर्मध्वजा फहराकर कर दी है. जूना अखाड़े की कल यानी गरुवार को पेशवाई निकाली जाएगी, जिसमें उत्तराखंड की लोक संस्कृति एक विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी. जिसकी झलक धर्म ध्वजा के दौरान भी देखने को मिली.

जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद गिरि ने बताया कि इस बार जूना अखाड़े की पेशवाई में उत्तराखंड लोक संस्कृति को दर्शाया जाएगा. उन्होंने इसे इतिहास से जोड़ते हुए कहा कि जूना अखाड़े की स्थापना भी कर्णप्रयाग में ही हुई थी, इसलिए इस बार हरिद्वार में होने वाले महाकुंभ में उत्तराखंड से जुड़ी संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जाएगा.

जूना अखाड़े की पेशवाई में दिखेंगी उत्तराखंड की लोक संस्कृति.

महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद गिरि ने बताया कि इस बार महाकुंभ में जूना अखाड़े का मुख्य उद्देश्य पलायन को रोकना है, जिसके लिए इस बार जूना अखाड़ा कल जूना अखाड़े द्वारा निकाली जाने वाली पेशवाई में उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाएगा और लोगों में पलायन को रोकने का संदेश देगा.

पढ़ें- हरिद्वार महाकुंभ: जूना अखाड़े की धर्मध्वजा स्थापित, कल निकलेगी भव्य पेशवाई

साथ ही महामंडलेश्वर विरेंद्र आनंद गिरि ने बताया कि जूना अखाड़े का इतिहास उत्तराखंड के कर्णप्रयाग से जुड़ा हुआ है. जूना अखाड़े की स्थापना 11वीं शताब्दी में कर्णप्रयाग से ही हुई थी. इसलिए हमारा और जूना अखाड़े का कर्तव्य है कि अपनी विरासत को बचा कर रखें.

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