हरिद्वार: आज साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण लगा. यह भारत में 3 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 50 मिनट तक रहा. परंतु यह चंद्र ग्रहण भारत में कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में ही आंशिक रूप से दिखाई दिया, बाकी राज्यों में चंद्र ग्रहण नहीं दिखा. इसी के चलते हरिद्वार में इसका सूतक और पातक भी नहीं लगा. चंद्र ग्रहण का चंद्रमा आधारित राशियों पर प्रभाव पड़ा इसको लेकर ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जिन राज्यों में ग्रहण दिखाई दिया, उन राज्यों की सरकारों को नुकसान हो सकता है. इन राज्यों में कोरोना का संक्रमण बढ़ता हुआ दिखाई देगा. परंतु 15 दिन में यह कम हो जाएगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज त्रिपाठी बताते हैं कि आज पड़े चंद्र ग्रहण का बहुत ज्यादा प्रभाव संपूर्ण भारत पर नहीं पड़ा है. यह ग्रहण केवल पूर्वी राज्यों में आया है. जब वैशाख मास में चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है और विशेष तौर पर जहां यह दर्शन देता है, वहां के राज्यों के अधिपति अर्थात मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के ऊपर विशेष प्रभाव डालता है. जैसे पश्चिम बंगाल में वहां की मुख्यमंत्री पर कुछ संकट आ सकता है या उनके मंत्रिमंडल के ऊपर संकट आ सकता है. असम के मुख्यमंत्री भी हैं.
इसके अलावा जो दूसरे देश हैं जैसे म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, वहां पर किसी प्रकार का छत्र भंग होना राज्य हानि होना, लोगों को किसी प्रकार से कष्ट होना विशेषकर से वो लोग जो मांस और मदिरा आदि का अधिक प्रयोग करते हैं, उनके लिए अधिक कष्टकारी है. जो सात्विक लोग हैं उनपर दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा. वैसे भी जो भगवान का भजन करते हैं अर्थात ब्राह्मण और बाकी लोग, जो मंदिर और भगवान की पूजा पाठ अधिक आदि करते हैं, उनको किसी प्रकार का प्रभाव नहीं डालेगा.
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विशेष तौर से चंद्र आधारित राशियां जिनकी जैसे कर्क लग्न वाले या कर्क राशि वाले व्यक्ति जिनकी शनि से संबंधित राशि है. मकर व कुंभ लग्न वाले लोगों के लिए विशेष तौर पर थोड़ा सा कष्टकारी रहेगा. उन लोगों को रक्त संबंधी किसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही चंद्रमा जल का कारक है, इसलिए जल संबंधी कोई परेशानी हो सकती है. बाकी राशियों के लिए यह चंद्र ग्रहण या तो कोई प्रभाव नहीं डालेगा नहीं तो अच्छा ही प्रभाव रहेगा.
कोरोना चूंकि संक्रामक रोग है. चंद्रमा क्षय रोग देता है और ज्यादातर लोगों में कोरोना से फेफड़े ही संक्रमित हो रहे हैं. अर्थात क्षय रोग ही होता है. इसके प्रभाव से जो पूर्वोत्तर राज्य हैं जैसे पश्चिम बंगाल और अन्य देशों पर थोड़ा सा प्रभाव बढ़ता हुआ दिखाई देगा. लेकिन जैसे चंद्रमा की कलाएं समाप्त हो जाती हैं वैसे ही यह अमावस्या की तरफ बढ़ेगा. 15 दिन में यह वहां पर भी नीचे पहुंच जाएगा.