हरिद्वार: कोविड-19 यानी कोरोना महामारी से पूरी दुनिया प्रभावित है. दुनियाभर के कई देशों की तरह भारत में भी लॉकडाउन के कारण जिंदगी की रफ्तार थम चुकी है. लॉकडाउन के चलते करोड़ों जिंदगियां घरों में कैद होने पर मजबूर हैं. इन सबके बीच एक राहत देने वाली खबर हर मीडिया प्लेटफार्म पर चर्चाओं में है. लाॅकडाउन के कारण गंगा का जल विशुद्ध साफ दिखाई देने लगा है. गंगा में प्रदूषण की मात्रा बेहद कम हो गई है.
इसी बात का रियलिटी चेक करने ETV भारत की टीम हरकी पैड़ी पहुंची और धरातलीय हकीकत जानी. जनता के समक्ष इस बात की सच्चाई सामने आई कि क्या वाकई लॉकडाउन के दौरान गंगा का पानी निर्मल और स्वच्छ हो गया है.
यदि वैज्ञानिक दृष्टि से हम विश्लेषण करें तो गंगाजल में बीओडी (बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और सीओडी (रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड) की मात्रा का एक मानक होता है. जिसकी माप करके इसकी शुद्धता का पैमाना प्रमाणित किया जा सकता है. परंतु इस वक़्त हमारे पास कोई लैब नहीं, जो परीक्षण करके दिखा सके.
रैपिड टेस्ट से गंगा की शुद्धता का परीक्षण
जैसा हम सभी जानते हैं कि कोरोना बीमारी का पता लगाने के लिए रैपिड टेस्ट किट वैज्ञानिकों ने इजाद की है, जिससे कुछ ही पलों में व्यक्ति के अन्दर कोरोना वायरस है या नहीं, उसका पता लगाया जा सकता है. ठीक उसी प्रकार गंगाजल की गुणवत्ता को मापने के लिए हमने भी रैपिड टेस्ट करने का फैसला किया.
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रैपिड टेस्ट से ये पता लगा कि गंगाजल में इस समय टीडीएस की मात्रा 72 से 73 के बीच है. साथ ही इस समय गंगाजल में पीएच लेवल भी 7 से 8 के बीच है. पीने के पानी को शुद्ध करने वाले आरओ या एक्वागार्ड मशीन की क्वालिटी को मापने के लिए इन दो मानकों (टीडीएस और पीएच) का एक बड़ा रोल होता है.
अब हम मोटे तौर पर कह सकते हैं कि टीडीएस और पीएच लेवल के परीक्षण से इस समय गंगाजल की जो गुणवत्ता सामने आई है, वह गंगा की शुद्धता को साबित करती है. सरल शब्दों में रियलिटी चेक से साबित होता है कि इस वक्त गंगा का पानी वाकई में पीने और नहाने के लिए उत्तम है. तो इस तरह गंगा के पानी पर हमारा रियलिटी चेक सही साबित हुआ. ये बात भी सच साबित हो गई कि केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं के उलट लॉकडाउन के दौरान गंगा ने खुद ही खुद को स्वच्छ कर लिया.