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हरिद्वार में जंगल से सटे गांवों में हाथी का आतंक, धान की फसल रौंदी - elephant trampled paddy crop

हरिद्वार में जंगल से सटे गांवों में जंगली जानवर लगातार आवागमन कर रहे हैं. बीती रात बिशनपुर, कटारपुर और रानीमाजरा गांवों में हाथी ने जमकर उत्पात मचाया. हाथी ने धान की फसल रौंद डाली.

Haridwar elephant news
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Published : Sep 17, 2021, 1:34 PM IST

हरिद्वार: वन से सटे गांवों में जंगली जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना जंगलों से निकलकर हाथी किसानों की तैयार फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बीती रात जनपद के बिशनपुर, कटारपुर और रानीमाजरा गांवों में हाथी ने जमकर उत्पात मचाया. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों की मदद से बमुश्किल हाथी को जंगल की तरफ खदेड़ा.

दरअसल, हरिद्वार के कई गांव जंगल से सटे होने के कारण वन्यजीवों से प्रभावित हैं. इस समय गन्ने और धान की तैयार फसल के कारण जंगली हाथी आबादी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. डीएफओ हरिद्वार नीरज शर्मा ने बताया कि हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन विभाग की 16 से 17 टीमें लगी रहती हैं, जिसमें 6 से 7 लोग होते हैं.

जंगल से सटे गांवों में हाथी का आतंक.

पढ़ें- उत्तराखंड में 156 ब्लैक स्पॉट चिन्हित, राजधानी दून पहले पायदान पर

डीएफओ के मुताबिक कुछ दशक पहले से इस क्षेत्र में हाथियों का आवागमन होता रहा है. वर्तमान में हाथियों के आवागमन पर काफी हद तक रोक लगा दी गई है. हाथी आबादी क्षेत्रों व खेतों में ना आएं इसके लिए और उचित तैयारियां की जाएंगी. किसानों से भी संवाद कर हाथी को रोकने के लिए विचार-विमर्श किया जाता है.

हरिद्वार: वन से सटे गांवों में जंगली जानवरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. रोजाना जंगलों से निकलकर हाथी किसानों की तैयार फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. बीती रात जनपद के बिशनपुर, कटारपुर और रानीमाजरा गांवों में हाथी ने जमकर उत्पात मचाया. मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों की मदद से बमुश्किल हाथी को जंगल की तरफ खदेड़ा.

दरअसल, हरिद्वार के कई गांव जंगल से सटे होने के कारण वन्यजीवों से प्रभावित हैं. इस समय गन्ने और धान की तैयार फसल के कारण जंगली हाथी आबादी वाले क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं. डीएफओ हरिद्वार नीरज शर्मा ने बताया कि हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए वन विभाग की 16 से 17 टीमें लगी रहती हैं, जिसमें 6 से 7 लोग होते हैं.

जंगल से सटे गांवों में हाथी का आतंक.

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डीएफओ के मुताबिक कुछ दशक पहले से इस क्षेत्र में हाथियों का आवागमन होता रहा है. वर्तमान में हाथियों के आवागमन पर काफी हद तक रोक लगा दी गई है. हाथी आबादी क्षेत्रों व खेतों में ना आएं इसके लिए और उचित तैयारियां की जाएंगी. किसानों से भी संवाद कर हाथी को रोकने के लिए विचार-विमर्श किया जाता है.

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