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कांवड़ मेला बंद होने से व्यापारियों के चेहरों पर छाई मायूसी, मदन कौशिक बोले- योजना का मिलेगा लाभ

हरिद्वार में कोरोना के कहर से छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंच रहा है. जहां मुस्लिम कारीगरों ने लोन पर रुपये लेकर कांवड़ तो बना लिए, लेकिन सरकार द्वारा कांवड़ मेले को स्थगित करने के बाद अब उनके सामने संकट खड़ा हो गया है.

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कांवड़ मेला बंद होने से व्यापारियों के चेहरों पर छाई मायूसी.
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Published : Jul 7, 2020, 10:23 AM IST

हरिद्वार: लॉकडाउन की वजह से पूरे देश को आर्थिक नुकसान से झेलना पड़ रहा है. वहीं हरिद्वार जिले में भी कोरोना के कहर से छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंच रहा है. आलम यह है कि कांवड़ यात्रा का इंतजार करते मुस्लिम समाज के छोटे व्यापारियों के सामने अब आर्थिक संकट गहराने लगा है. इन लोगों ने लोन पर रुपये लेकर कांवड़ तो बना लिए, लेकिन सरकार द्वारा कांवड़ मेले को स्थगित करने के बाद अब उनके सामने ये कांवड़ बेचने का संकट खड़ा हो गया है. देखें रिपोर्ट...

कांवड़ मेला बंद होने से व्यापारियों के चेहरों पर छाई मायूसी.
सावन महीने में पूरा हरिद्वार शिव की भक्ति में लीन रहता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से राज्य सरकार ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब की सरकार के साथ बैठक कर यह निर्णय लिया कि इस सावन में कांवड़ियों की नो एंट्री रहेगी. ऐसे में हरिद्वार के व्यापारी पहले से ही आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं. लिहाजा सरकार के इस फैसले के बाद उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक अनुमान के मुताबिक हरिद्वार में कांवड़ मेला न होने से स्थानीय व्यापारियों को लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान लगाया जा रहा है. इसमें सबसे अधिक कांवड़ बनाने वाले मुस्लिम कारीगर अब पूरी तरह से टूट चुके हैं, क्योंकि उन्होंने कांवड़ मेले के लिए न केवल लोन लिया है, बल्कि अपने जरूरी सामानों को बेचकर कांवड़ बनाना शुरू कर दिया था.

यह भी पढ़ें: खटीमाः युवा कल्याण अधिकारी का पद भरने की मांग, युवाओं ने मंत्री अरविंद पांडेय को सौंपा ज्ञापन

बता दें कि कांवड़ व्यापार से जुड़े मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि कांवड़ मेला हर साल की तरह इस बार भी उनके लिए खुशियां लेकर आएगा. लिहाजा 3 महीने पहले से ही उन्होंने कांवड़ बनाना शुरू कर दिया था. वही अब कांवड़ मेला न होने की वजह से इन मुस्लिम कारीगरों के चेहरे मायूसी छाई हुई है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को उनकी ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे वे इस परेशानी से बाहर निकल सके.

वहीं दूसरी ओर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि इस कांवड़ मेले को बंद होने से न केवल स्थानीय व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार को भी धार्मिक पर्यटन में भारी नुकसान हो रहा है. वहीं सरकार अगर यात्रा सुचारू रूप से शुरू करती है तो इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा. लिहाजा जनहित और देश हित में यह निर्णय लेना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा व्यापारियों को नुकसान से बचाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं. इसका लाभ व्यापारियों को जरूर मिलेगा.

हरिद्वार: लॉकडाउन की वजह से पूरे देश को आर्थिक नुकसान से झेलना पड़ रहा है. वहीं हरिद्वार जिले में भी कोरोना के कहर से छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंच रहा है. आलम यह है कि कांवड़ यात्रा का इंतजार करते मुस्लिम समाज के छोटे व्यापारियों के सामने अब आर्थिक संकट गहराने लगा है. इन लोगों ने लोन पर रुपये लेकर कांवड़ तो बना लिए, लेकिन सरकार द्वारा कांवड़ मेले को स्थगित करने के बाद अब उनके सामने ये कांवड़ बेचने का संकट खड़ा हो गया है. देखें रिपोर्ट...

कांवड़ मेला बंद होने से व्यापारियों के चेहरों पर छाई मायूसी.
सावन महीने में पूरा हरिद्वार शिव की भक्ति में लीन रहता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से राज्य सरकार ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब की सरकार के साथ बैठक कर यह निर्णय लिया कि इस सावन में कांवड़ियों की नो एंट्री रहेगी. ऐसे में हरिद्वार के व्यापारी पहले से ही आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं. लिहाजा सरकार के इस फैसले के बाद उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक अनुमान के मुताबिक हरिद्वार में कांवड़ मेला न होने से स्थानीय व्यापारियों को लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान लगाया जा रहा है. इसमें सबसे अधिक कांवड़ बनाने वाले मुस्लिम कारीगर अब पूरी तरह से टूट चुके हैं, क्योंकि उन्होंने कांवड़ मेले के लिए न केवल लोन लिया है, बल्कि अपने जरूरी सामानों को बेचकर कांवड़ बनाना शुरू कर दिया था.

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बता दें कि कांवड़ व्यापार से जुड़े मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि कांवड़ मेला हर साल की तरह इस बार भी उनके लिए खुशियां लेकर आएगा. लिहाजा 3 महीने पहले से ही उन्होंने कांवड़ बनाना शुरू कर दिया था. वही अब कांवड़ मेला न होने की वजह से इन मुस्लिम कारीगरों के चेहरे मायूसी छाई हुई है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार को उनकी ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे वे इस परेशानी से बाहर निकल सके.

वहीं दूसरी ओर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि इस कांवड़ मेले को बंद होने से न केवल स्थानीय व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार को भी धार्मिक पर्यटन में भारी नुकसान हो रहा है. वहीं सरकार अगर यात्रा सुचारू रूप से शुरू करती है तो इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाएगा. लिहाजा जनहित और देश हित में यह निर्णय लेना जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा व्यापारियों को नुकसान से बचाने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं. इसका लाभ व्यापारियों को जरूर मिलेगा.

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