रुड़की: ''इंसाफ की डगर पे बच्चों दिखाओं चल के, ये देश है तुम्हारा नेता तुम्ही हो कल के''. पांच दशक पहले फ़िल्म गंगा-जमुना का ये गीत बच्चों को इंसाफ की डगर पर चलकर मुल्क का रहनुमा और मुस्तक़बिल बनने की राह दिखाता है. लेकिन चंद रुपयों की ख़ातिर असामाजिक तत्व छोटे-छोटे मासूम बच्चों को मुल्क की रहनुमाई और उनके मुस्तकबिल से खिलवाड़ कर रहे है. मासूम बच्चों को नशे की लत में फंसाकर उनका भविष्य बर्बाद किया जा रहा है.
आज हम आपको एक ऐसी खबर से रूबरू कराएंगे जो देश के भविष्य की तस्वीर बयां करती हैं. मामला शिक्षा नगरी रुड़की का है, जहां नशे के कारोबारियों ने इतने पैर जमा लिए है कि अब उनका शिकार मासूम बच्चे बने रहे है. सड़कों पर छोटे बच्चें नशीले पदार्थों का सेवन करते दिखाई देते है, बच्चों को नशीला पदार्थ आसानी से मुहैय्या हो रहा है. जिस कारण बच्चे नशे के आदि हो रहे है. ताज्जूब की बात ये है कि सम्बंधित विभाग इस बड़ी समस्या से अंजान बनने का नाटक कर रहा हैं.
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प्रतिबंधित नशीले पदार्थ खुलेआम दुकानों पर बिक रहे है. छोटे बच्चे सलोचन, फ्लूट आदि को कपड़े पर डालकर सूंघते है. इसके साथ ही इंजेक्शन, टेबलेट और सीरप आदि प्रतिबंधित चीजों का सेवन किया जा रहा है. सवाल ये है कि ये नशीला पदार्थ बच्चों को कौन परोस रहा है. प्रतिबंध के बावजूद बच्चों को ये सामग्री कैसे उपलब्ध होती है? कौन है जो देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है?
जब इस बारे में एसपी देहात नवनीत सिंह ने बताया कि जो लोग नशे के सामान की बिक्री कर रहे हैं या खरीद रहे है उनपर पिछले तीन महीने में काफी कार्रवाई की जा चुकी हैं. आगे भी ये कार्रवाई जारी रहेगी.