हरिद्वारः काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करने को लेकर साधु-संत खुलकर समर्थन कर रहे हैं. प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत रुपेंद्र प्रकाश महाराज का कहना है कि ये बहुत ही अच्छा और स्वागत करने योग्य निर्णय है. काशी विश्वनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है. प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना बहुत ही अनिवार्य है.
उन्होंने कहा कि वे भारत सरकार से मांग करते हैं कि जितने भी प्रसिद्ध मंदिर हैं, वहां ड्रेस कोड लागू करे, क्योंकि हमारे देश में तीनों सेना के ड्रेस कोड हैं. अधिवक्ताओं का ड्रेस कोड है. साधु-संतों और छात्र-छात्राओं का ड्रेस कोड है तो मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू होना चाहिए. वे आगे कहते हैं कि सभी भारतीय परंपरा के अनुरूप हो. क्योंकि जिन वस्त्रों को हम पहनकर मंदिरों में जाते हैं, वे अशुद्ध होते हैं. पूजा-पाठ करते हुए स्वच्छ वस्त्रों को पहनना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं को बचाना है तो कठोर निर्णय तो लेने ही पड़ेंगे.
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वहीं, श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में जो ड्रेस कोड लागू किया गया है. वह हमारी धर्म संस्कृति से जुड़ा हुआ है. इस ड्रेस कोड को पहनना काफी आसान है. पैंट-शर्ट पहनकर हम सही से पूजा पाठ नहीं कर सकते. क्योंकि पूजा के वक्त बैठने का एक विधान होता है.
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ड्रेस कोड लागू करने से एक और लाभ ये है कि मंदिर में असामाजिक तत्व प्रवेश नहीं कर सकेंगे. इस मंदिर की तर्ज पर ही भारत में कई और प्राचीन मंदिर हैं. जिसमें ड्रेस कोड लागू होना अनिवार्य होना चाहिए. ड्रेस कोड को लागू करने का मतलब ये नहीं है कि जो धोती-कुर्ता और साड़ी पहनता है वही मंदिर में प्रवेश करेगा. यह सिर्फ मंदिर में पूजा करने के वक्त ही लागू किया गया है.
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में धोती-कुर्ता और साड़ी ड्रेस कोड लागू करने का संत समाज समर्थन कर रहा है. साथ ही मांग भी कर रहा है कि जितने भी प्राचीन मंदिर हैं उनमें भी भारतीय परंपरा के अनुरूप ड्रेस कोड लागू किया जाए. ताकि मंदिर में घुसने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित किया जा सके.