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काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड पर साधु-संतों ने कही ये बात - saints reaction

उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है. इस पर साधु-संतों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है.

ड्रेस कोड
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Published : Jan 13, 2020, 7:27 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 8:06 PM IST

हरिद्वारः काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करने को लेकर साधु-संत खुलकर समर्थन कर रहे हैं. प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत रुपेंद्र प्रकाश महाराज का कहना है कि ये बहुत ही अच्छा और स्वागत करने योग्य निर्णय है. काशी विश्वनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है. प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना बहुत ही अनिवार्य है.

काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड पर साधु-संतों की प्रतिक्रिया

उन्होंने कहा कि वे भारत सरकार से मांग करते हैं कि जितने भी प्रसिद्ध मंदिर हैं, वहां ड्रेस कोड लागू करे, क्योंकि हमारे देश में तीनों सेना के ड्रेस कोड हैं. अधिवक्ताओं का ड्रेस कोड है. साधु-संतों और छात्र-छात्राओं का ड्रेस कोड है तो मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू होना चाहिए. वे आगे कहते हैं कि सभी भारतीय परंपरा के अनुरूप हो. क्योंकि जिन वस्त्रों को हम पहनकर मंदिरों में जाते हैं, वे अशुद्ध होते हैं. पूजा-पाठ करते हुए स्वच्छ वस्त्रों को पहनना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं को बचाना है तो कठोर निर्णय तो लेने ही पड़ेंगे.

पढ़ेंः सड़क और NCC अकादमी का निर्माण न होने से आहत भाजपा नेता ने खोला मोर्चा, दी क्रमिक अनशन की चेतावनी

वहीं, श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में जो ड्रेस कोड लागू किया गया है. वह हमारी धर्म संस्कृति से जुड़ा हुआ है. इस ड्रेस कोड को पहनना काफी आसान है. पैंट-शर्ट पहनकर हम सही से पूजा पाठ नहीं कर सकते. क्योंकि पूजा के वक्त बैठने का एक विधान होता है.

पढ़ेंः उत्तराखंड के सभी डिग्री कॉलेजों में मोबाइल इस्तेमाल पर लगेगी रोक, जानिए क्यों

ड्रेस कोड लागू करने से एक और लाभ ये है कि मंदिर में असामाजिक तत्व प्रवेश नहीं कर सकेंगे. इस मंदिर की तर्ज पर ही भारत में कई और प्राचीन मंदिर हैं. जिसमें ड्रेस कोड लागू होना अनिवार्य होना चाहिए. ड्रेस कोड को लागू करने का मतलब ये नहीं है कि जो धोती-कुर्ता और साड़ी पहनता है वही मंदिर में प्रवेश करेगा. यह सिर्फ मंदिर में पूजा करने के वक्त ही लागू किया गया है.


वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में धोती-कुर्ता और साड़ी ड्रेस कोड लागू करने का संत समाज समर्थन कर रहा है. साथ ही मांग भी कर रहा है कि जितने भी प्राचीन मंदिर हैं उनमें भी भारतीय परंपरा के अनुरूप ड्रेस कोड लागू किया जाए. ताकि मंदिर में घुसने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित किया जा सके.

हरिद्वारः काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू करने को लेकर साधु-संत खुलकर समर्थन कर रहे हैं. प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत रुपेंद्र प्रकाश महाराज का कहना है कि ये बहुत ही अच्छा और स्वागत करने योग्य निर्णय है. काशी विश्वनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है. प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना बहुत ही अनिवार्य है.

काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड पर साधु-संतों की प्रतिक्रिया

उन्होंने कहा कि वे भारत सरकार से मांग करते हैं कि जितने भी प्रसिद्ध मंदिर हैं, वहां ड्रेस कोड लागू करे, क्योंकि हमारे देश में तीनों सेना के ड्रेस कोड हैं. अधिवक्ताओं का ड्रेस कोड है. साधु-संतों और छात्र-छात्राओं का ड्रेस कोड है तो मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू होना चाहिए. वे आगे कहते हैं कि सभी भारतीय परंपरा के अनुरूप हो. क्योंकि जिन वस्त्रों को हम पहनकर मंदिरों में जाते हैं, वे अशुद्ध होते हैं. पूजा-पाठ करते हुए स्वच्छ वस्त्रों को पहनना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं को बचाना है तो कठोर निर्णय तो लेने ही पड़ेंगे.

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वहीं, श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में जो ड्रेस कोड लागू किया गया है. वह हमारी धर्म संस्कृति से जुड़ा हुआ है. इस ड्रेस कोड को पहनना काफी आसान है. पैंट-शर्ट पहनकर हम सही से पूजा पाठ नहीं कर सकते. क्योंकि पूजा के वक्त बैठने का एक विधान होता है.

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ड्रेस कोड लागू करने से एक और लाभ ये है कि मंदिर में असामाजिक तत्व प्रवेश नहीं कर सकेंगे. इस मंदिर की तर्ज पर ही भारत में कई और प्राचीन मंदिर हैं. जिसमें ड्रेस कोड लागू होना अनिवार्य होना चाहिए. ड्रेस कोड को लागू करने का मतलब ये नहीं है कि जो धोती-कुर्ता और साड़ी पहनता है वही मंदिर में प्रवेश करेगा. यह सिर्फ मंदिर में पूजा करने के वक्त ही लागू किया गया है.


वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में धोती-कुर्ता और साड़ी ड्रेस कोड लागू करने का संत समाज समर्थन कर रहा है. साथ ही मांग भी कर रहा है कि जितने भी प्राचीन मंदिर हैं उनमें भी भारतीय परंपरा के अनुरूप ड्रेस कोड लागू किया जाए. ताकि मंदिर में घुसने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित किया जा सके.

Intro:फ़ीड लाइव व्यू से भेजी गई है

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उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन करने के लिए भक्तों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है और इस ड्रेस कोड में पुरुष धोती कुर्ता और महिलाएं साड़ी पहनकर मंदिर में स्पर्श दर्शन कर सकेगी और जींस पैंट शर्ट और सूट पहनने वाले श्रद्धालु मंदिर में दर्शन तो कर सकेंगे मगर उनको स्पर्श दर्शन नहीं हो सकेगा इस फैसले का साधु संतों द्वारा स्वागत किया गया साधु-संतों ने इसे भारतीय परंपरा के लिए एक अच्छा फैसला बताया और मांग की है जितने भी पुराणिक मंदिर है उसमें ड्रेस कोड लागू किया जाए


Body:वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्पर्श दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू करने को लेकर साधु-संत इस फैसले के समर्थन में खुलकर सामने आए रहे हैं प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम के महंत रूपेंद्र प्रकाश महाराज का कहना है कि यह बहुत ही अच्छा और स्वागत करने योग्य निर्णय है काशी विश्वनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में है और प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना बहुत ही अनिवार्य है मैं भारत सरकार से मांग करता हूं जितने भी प्रसिद्ध मंदिर है उसमें ड्रेस कोड लागू होना चाहिए क्योंकि हमारे देश में तीनों सेना के ड्रेस कोड है अधिवक्ताओं का ड्रेस कोड है साधु-संतों और छात्र-छात्राओं का ड्रेस कोड है तो मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू होना चाहिए और सभी भारतीय परंपरा के अनुरूप हो क्योंकि जिन वस्त्रों को हम पहनकर मंदिरों में जाते हैं वह अशुद्ध होते हैं पूजा-पाठ करते हुए स्वच्छ वस्त्रों को पहनना चाहिए धार्मिक मान्यताओं को बचाना है तो निर्णय कठोर ही लेने पड़ेंगे

बाइट-- रूपेंद्र प्रकाश महाराज---प्राचीन अवधूत मंडल आश्रम

श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल मुनि महाराज का कहना है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में जो ड्रेस कोड लागू किया गया है वह हमारी धर्म संस्कृति से जुड़ा हुआ है इस ड्रेस कोड को पहनने से काफी आसानी होती है पेंट शर्ट पहन कर हम सही से पूजा पाठ नहीं कर सकते क्योंकि पूजा के वक्त बैठने का एक विधान होता है ड्रेस कोड लागू करने से एक और लाभ भी है मंदिर मे असामाजिक तत्व प्रवेश नहीं कर सकेंगे इस मंदिर की तर्ज पर ही भारत में कई और प्राचीन मंदिर है जिसमें ड्रेस कोड लागू होना अनिवार्य होना चाहिए इसके साथ ही कई और नियम मंदिर में प्रवेश करने के लिए बने हुए हैं इन नियम को मंदिर की व्यवस्था के लिए लागू किया जाता है यह हमारी धर्म संस्कृति से जुड़ा हुआ है हम इस निर्णय का पूरी तरह से समर्थन करते हैं इसका धार्मिक आधार भी है संस्कृत आधार भी है क्योंकि धोती कुर्ता साड़ी भारतीय ड्रेस है और यह हमारी एक पहचान भी है इसको पहनने से सरल तरीके से हम पूजा पाठ कर सकते हैं इस ड्रेस कोड को लागू करने का मतलब यह नही है कि जो धोती कुर्ता और साड़ी पहनता है वही मंदिर में प्रवेश करेगा यह सिर्फ मंदिर में पूजा करने के वक्त ही लागू किया गया है

बाइट-- कपिल मुनि महाराज--महामंडलेश्वर श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा


Conclusion:वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में धोती कुर्ता और साड़ी ड्रेस कोड लागू करने का संत समाज समर्थन कर रहा है और साथ ही मांग भी कर रहा है कि जितने भी प्राचीन मंदिर है उन तमाम मंदिरों में भारतीय परंपरा के अनुरूप ड्रेस कोड लागू किया जाए जिससे मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना भी ना करना पड़े और साथ ही कोई असामाजिक तत्व भी मंदिर में प्रवेश न कर सके अब देखना होगा ड्रेस कोड लागू होने के बाद श्रद्धालु इस पर कितना अमल करते हैं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा
Last Updated : Jan 13, 2020, 8:06 PM IST
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