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...हाथों की लकीरों पर मत कर यकीन, तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते

कभी भीख मांगकर घर खर्च चलाने वाली अंजना मलिक ने आज अपने हुनर के बूते ऋषिकेश में अपनी अलग पहचान बना ली है. दोनों हाथों से दिव्यांग अंजना अपने पैरों से खूबसूरत पेंटिंग बनाती हैं. उनके इस हुनर को सामने लाने का श्रेय एक अमेरिकन महिला को जाता है.

handicap anjana
कला उनमें भी होती है जिनके हाथ नहीं होते.
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Published : Dec 2, 2019, 10:47 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 8:17 AM IST

ऋषिकेश: मत कर हाथ की लकीरों पर यकीन क्योंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. जी हां ये लाइनें ऋषिकेश के मायाकुंड में रहने वाली दिव्यांग अंजना मलिक पर सटीक बैठती हैं. जिनकी पेंटिंग के देश ही नहीं सात समुंदर पार के लोग भी मुरीद हैं. जिन पेंटिंग्स पर अंजना हाथ से नहीं पैरों से रंगों को उकेरती हैं. अंजना मलिक ने अपने दिव्यांग होने को कभी आड़े नहीं आने दिया उसने इसे ही अपना हुनर बना लिया. उनके इस हुनर को लोग सलाम करते हैं.

कला उनमें भी होती है जिनके हाथ नहीं होते.

ऋषिकेश में रामझूला रोड के किनारे बैठकर अंजना मलिक अपने पैरों से खूबसूरत पेंटिंग बनाती हैं. उनकी बनाई हुई पेंटिंग को विदेशी खूब पसंद कर रहे हैं. जो 5 हजार से 7 हजार तक में बिक रही है.

handicap anjana
विदेशी भी हैं पेंटिंग के मुरीद

अंजना के दोनों हाथ नहीं हैं. अंजना मलिक जन्म से ही दिव्यांग हैं. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की रहने वाली अंजना गरीबी के कारण ऋषिकेश के रामझूला रोड पर भीख मांगकर घर का खर्च चलाती थी. एक दिन अमेरिका की रहने वाली एक महिला ने अंजना को पैरों से लिखते हुए देखा और फिर अंजना को राय दी कि वो पेंटिंग बनाना शुरू करें. अमेरिकन महिला ने उसे कलर और खाली पेपर भी लाकर दिए. जिसके बाद से अंजना ने पैर से पेंटिंग बनानी शुरू की. अंजना की बनाई हुई तस्वीरों को भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी खूब पंसद किया जा रहा है.

handicap anjana
हाथों की तरह पैरों का करती हैं इस्तेमाल.

पढ़ें- चारधाम श्राइन बोर्ड: पुरोहित समाज का विरोध तेज, केदारघाटी में जोरदार प्रदर्शन

अंजना की कहानी एक मिसाल बन गई है, जो कई लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है. अंजना उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो लोग दिव्यांग हैं. आज वे किसी भी आम इंसान की तरह पेंटिग कर सकती हैं. अंजना का कहना है कि जब दूसरे लोग अपने सपनों को हासिल कर सकते हैं तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए. उनका कहना है कि कभी भी कोशिश करने से डरना नहीं चाहिए.

ऋषिकेश: मत कर हाथ की लकीरों पर यकीन क्योंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते. जी हां ये लाइनें ऋषिकेश के मायाकुंड में रहने वाली दिव्यांग अंजना मलिक पर सटीक बैठती हैं. जिनकी पेंटिंग के देश ही नहीं सात समुंदर पार के लोग भी मुरीद हैं. जिन पेंटिंग्स पर अंजना हाथ से नहीं पैरों से रंगों को उकेरती हैं. अंजना मलिक ने अपने दिव्यांग होने को कभी आड़े नहीं आने दिया उसने इसे ही अपना हुनर बना लिया. उनके इस हुनर को लोग सलाम करते हैं.

कला उनमें भी होती है जिनके हाथ नहीं होते.

ऋषिकेश में रामझूला रोड के किनारे बैठकर अंजना मलिक अपने पैरों से खूबसूरत पेंटिंग बनाती हैं. उनकी बनाई हुई पेंटिंग को विदेशी खूब पसंद कर रहे हैं. जो 5 हजार से 7 हजार तक में बिक रही है.

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विदेशी भी हैं पेंटिंग के मुरीद

अंजना के दोनों हाथ नहीं हैं. अंजना मलिक जन्म से ही दिव्यांग हैं. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की रहने वाली अंजना गरीबी के कारण ऋषिकेश के रामझूला रोड पर भीख मांगकर घर का खर्च चलाती थी. एक दिन अमेरिका की रहने वाली एक महिला ने अंजना को पैरों से लिखते हुए देखा और फिर अंजना को राय दी कि वो पेंटिंग बनाना शुरू करें. अमेरिकन महिला ने उसे कलर और खाली पेपर भी लाकर दिए. जिसके बाद से अंजना ने पैर से पेंटिंग बनानी शुरू की. अंजना की बनाई हुई तस्वीरों को भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी खूब पंसद किया जा रहा है.

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हाथों की तरह पैरों का करती हैं इस्तेमाल.

पढ़ें- चारधाम श्राइन बोर्ड: पुरोहित समाज का विरोध तेज, केदारघाटी में जोरदार प्रदर्शन

अंजना की कहानी एक मिसाल बन गई है, जो कई लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है. अंजना उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो लोग दिव्यांग हैं. आज वे किसी भी आम इंसान की तरह पेंटिग कर सकती हैं. अंजना का कहना है कि जब दूसरे लोग अपने सपनों को हासिल कर सकते हैं तो हमें भी कोशिश करनी चाहिए. उनका कहना है कि कभी भी कोशिश करने से डरना नहीं चाहिए.

Intro:Gully Talent Special ऋषिकेश-- कहते हैं ना "मत कर हाथ की लकीरों पर यकीन क्योंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते" ऋषिकेश के रामझूला में रोड के किनारे बैठकर दिव्यांग 33 वर्षीय अंजना मालिक अपने पैरों से खूबसूरत पेंटिंग बनाती है,अंजना की बनाई हुई पेंटिंग को विदेशी खूब पसंद कर रहे हैं।आज अंजना की पेंटिंग 5 हजार से 7 हजार तक मे बिक रही है।आपको ईटीवी भारत बताएगा दिव्यांग अंजना की पूरी कहानी देखिए ए खास रिपोर्ट--


Body:वी/ओ--ऋषिकेश के मायाकुंड में रहने वाली 33 वर्षीय अंजना मालिक जन्म से दिव्यांग है अंजना के दोनों हाथ नही है,अंजना मूल रूप से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की रहने वाली है, परिवार में उनका भाई माँ भाभी और भाई के दो बच्चे रहते हैं घर की माली हालत ठीक न होने की वजह से अंजना ने भीख मांगकर घर खर्च उठाने का बीड़ा उठाया आज से लगभग 4 वर्ष पहले तक अलग अलग स्थानों पर जाकर भीख माँगने का कार्य किया करती थी कभी त्रिवेणी घाट पर कभी किसी और गंगा घाट पर लेकिन भीख मांगते मांगते अंजना खाली बैठकर कागज पर राम और ओम अपने पैरों से लिखा करती थी एक दिन ऐसा वाक्या हुआ जिसने अंजना की दुनिया बदल दी हालांकि अंजना ने इसके लिए कड़ी मेहनत की,एक दिन अमेरिका की रहने वाली एक महिला ने अंजना को पैरों से लिखते हुए देखा और फिर अंजना को राय दी कि वह पेंटिंग बनाये जिसके बाद अमेरिकन महिला ने कुछ कलर और खाली पेपर लाकर दिए और फिर अंजना के पास बैठकर पेंटिंग बनाने लगी अंजना ने विदेशी महिला को पेंटिंग बनाते हुए देखा और फिर पेंटिंग बनाने के लिये कड़ी मेहनत करने लगी और फिर मेहनत रंग लाई और अंजना ने पैरों से पेंटिंग बनाना सीख लिया। वी/ओ--ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में अंजना ने बताया की विदेशी महिला को देखकर पेंटिंग बनानी शुरू की जिसके बाद कई महीनों तक मेहनत करने के बाद एक पेंटिंग बनाई जो भगवान गणेश की पेंटिंग थी अंजना ने बड़े शालीनता और हंसते हुए कहा कि किसी भी कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है यही कारण है उन्होंने भी सबसे पहले गणेश भगवान की तस्वीर बनाई थी हकांकि आज गणेश जी की तस्वीर को बेच दिया है अंजना ने लगभग सभी देवी देवताओं की तस्वीरें बनाई है,अंजना की बनाई गई तस्वीरों को आज भारत ही नही बल्कि विदेशों में भी देखा जा सकता है अंजना बताती है कि विदेशी उनके द्वारा बनाई गई तस्वीरों को खूब पसंद करते है और अच्छे दामो पर खरीदकर ले जाते हैं,आज अंजना के पास एक स्मार्टफोन है और इंटरनेट चलत है अंजना अपने फोन में तस्वीरें देखती है जिसके बाद उन तस्वीरों को कागज में उतार देती हैं,आज अंजना का पूरा परिवार उन्ही पर निर्भर है वे अपने भाई के दोनों बच्चों को खुद पढ़ाती है आज उनके द्वारा बनाई गई तस्वीरें 5 से 7 हजार तक मे बिक जाती है,अब अंजना ने भीख मांगना बन्द कर सिर्फ तस्वीरें बनाने में लगी रहती हैं।अब अंजना के पास कई लोग आते हैं जो तस्वीरें बनाने का ऑर्डर भी देकर जाते हैं।


Conclusion:वी/ओ--बिना हाथों के ही आज अंजना की तस्वीरें विदेशों में मशहूर हो रही है आज अंजना उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो लोग दिव्यांग होते हैं और वे हतास हो जाते हैं आज सभी को अंजना से सीख लेनी चाहिए कि अगर कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है,जिंदगी की बड़ी चुनौती को मात देकर नाम और शोहरत हासिल कर सकता है।अंजना को आज ईटीवी भारत सलाम करता है और उनका भविष्य और बेहतर हो इसकी कामना करता है। बाईट--अंजना मलिक(दिव्यांग कलाकार) पीटीसी--विनय पाण्डेय ऋषिकेश
Last Updated : Dec 3, 2019, 8:17 AM IST
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