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उत्तराखंडः RED ZONE जिलों में कल से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, जानें क्या और कैसी होती है ये जांच

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Published : Apr 21, 2020, 7:47 PM IST

Updated : Apr 21, 2020, 8:55 PM IST

हरिद्वार में डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती ने कहा कि कल से रेड जोन घोषित जिलों में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए जांच की जाएगी. इस टेस्ट को केवल हॉटस्पॉट व रेट जोन इलाकों में किया जाएगा. रैपिड टेस्ट की कीमत भी कम है और नतीजा भी जल्द मिलता है.

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रेड जोन जिलों में कल से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट

हरिद्वार: रेड जोन घोषित होने के बाद डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती हरिद्वार के राजकीय मेला चिकित्सालय पहुंचीं, जहां उन्होंने कोविड-19 के लिए बनाए गए आइसोलेशन वॉर्ड और चिकित्सीय सेवाओं को निरीक्षण किया. उप्रेती ने भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक बन रहे 60 बेड वाले आइसोलेशन सेंटर और 10 बेड के आईसीयू यूनिट का भी निरीक्षण किया.

डीजी हेल्थ डॉ. अमिता उप्रेती के मुताबिक, आईसीयू वार्ड 80 प्रतिशत बन चुका है. इसके साथ ही हर बेड पर ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा रही है. अस्पताल में 60 बेड के पास ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध है.

RED ZONE जिलों में कल से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट

ये भी पढ़ें: कोरोना पर बोले बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बंशीधर भगत- जो डर गया, वो बच गया

केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड को 4800 यूनिट रैपिड टेस्ट किट मिल गए हैं. कल से हरिद्वार समेत रेड जोन घोषित जिलों में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए जांच शुरू की जाएगी. आइसोलेशन वॉर्ड में चिकित्सीय सुविधाओं से संतुष्ट नजर आईं डीजी हेल्थ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिया साथ ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ का हौसला भी बढ़ाया.

क्या होता है रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट?

  • जब व्यक्ति किसी वायरस से संक्रमित होता है, तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है.
  • रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है.
  • खून में मौजूद एंटीबॉडीज से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं.
  • अगर किसी व्यक्ति में खांसी, जुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं तो उसे पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति के खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. इसमें देखा जाता है कि संदिग्ध के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही हैं या नहीं.
  • वायरस से होने वाला संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद भी ये एंटीबॉडी शरीर में कुछ समय तक मौजूद रहते हैं. इससे डॉक्टरों को यह पहचानने में मदद मिलती है कि मरीज पहले संक्रमित था या नहीं. इस जांच की नतीजा भी आधे घंटे में आ जाता है.
  • अगर कोई व्यक्ति एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो उसका इलाज अस्पताल में होगा या फिर प्रोटोकॉल के तहत उसे आइसोलेशन में रखा जाएगा.
  • इसके बाद उसके संपर्क में आए लोगों की तलाश की जाएगी. अगर टेस्ट नेगेटिव आता है तो व्यक्ति को होम-क्वारंटीन किया जाएगा या फिर पीसीआर टेस्ट किया जाएगा.
  • जिस व्यक्ति का पहले टेस्ट न हुआ हो या वो खुद से ठीक हो गया हो, उसकी पहचान भी इस एंटीबॉडी टेस्ट से की जा सकती है. इससे ये पता चलेगा कि जनसंख्या का कितना बड़ा हिंसा संक्रमित है या था.
  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के मुताबिक पूरा काम किया जाता है.
  • इस टेस्ट को केवल हॉटस्पॉट व रेट जोन इलाकों में किया जाएगा.
  • रैपिड टेस्ट की कीमत भी कम है और नतीजा भी जल्द मिलता है.

हरिद्वार: रेड जोन घोषित होने के बाद डीजी हेल्थ अमिता उप्रेती हरिद्वार के राजकीय मेला चिकित्सालय पहुंचीं, जहां उन्होंने कोविड-19 के लिए बनाए गए आइसोलेशन वॉर्ड और चिकित्सीय सेवाओं को निरीक्षण किया. उप्रेती ने भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक बन रहे 60 बेड वाले आइसोलेशन सेंटर और 10 बेड के आईसीयू यूनिट का भी निरीक्षण किया.

डीजी हेल्थ डॉ. अमिता उप्रेती के मुताबिक, आईसीयू वार्ड 80 प्रतिशत बन चुका है. इसके साथ ही हर बेड पर ऑक्सीजन पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा रही है. अस्पताल में 60 बेड के पास ऑक्सीजन सुविधा उपलब्ध है.

RED ZONE जिलों में कल से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट

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केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड को 4800 यूनिट रैपिड टेस्ट किट मिल गए हैं. कल से हरिद्वार समेत रेड जोन घोषित जिलों में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए जांच शुरू की जाएगी. आइसोलेशन वॉर्ड में चिकित्सीय सुविधाओं से संतुष्ट नजर आईं डीजी हेल्थ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिया साथ ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ का हौसला भी बढ़ाया.

क्या होता है रैपिड एंटीबॉडीज टेस्ट?

  • जब व्यक्ति किसी वायरस से संक्रमित होता है, तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है.
  • रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है.
  • खून में मौजूद एंटीबॉडीज से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं.
  • अगर किसी व्यक्ति में खांसी, जुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं तो उसे पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति के खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. इसमें देखा जाता है कि संदिग्ध के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही हैं या नहीं.
  • वायरस से होने वाला संक्रमण पूरी तरह से खत्म हो जाने के बाद भी ये एंटीबॉडी शरीर में कुछ समय तक मौजूद रहते हैं. इससे डॉक्टरों को यह पहचानने में मदद मिलती है कि मरीज पहले संक्रमित था या नहीं. इस जांच की नतीजा भी आधे घंटे में आ जाता है.
  • अगर कोई व्यक्ति एंटीबॉडी टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो उसका इलाज अस्पताल में होगा या फिर प्रोटोकॉल के तहत उसे आइसोलेशन में रखा जाएगा.
  • इसके बाद उसके संपर्क में आए लोगों की तलाश की जाएगी. अगर टेस्ट नेगेटिव आता है तो व्यक्ति को होम-क्वारंटीन किया जाएगा या फिर पीसीआर टेस्ट किया जाएगा.
  • जिस व्यक्ति का पहले टेस्ट न हुआ हो या वो खुद से ठीक हो गया हो, उसकी पहचान भी इस एंटीबॉडी टेस्ट से की जा सकती है. इससे ये पता चलेगा कि जनसंख्या का कितना बड़ा हिंसा संक्रमित है या था.
  • इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के मुताबिक पूरा काम किया जाता है.
  • इस टेस्ट को केवल हॉटस्पॉट व रेट जोन इलाकों में किया जाएगा.
  • रैपिड टेस्ट की कीमत भी कम है और नतीजा भी जल्द मिलता है.
Last Updated : Apr 21, 2020, 8:55 PM IST
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