हरिद्वार: बैसाखी के मौके पर श्रद्धालु विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान कर रहे हैं. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए प्रशासन और पुलिस की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. एहतियात के तौर पर स्नान घाटों के आसपास जल पुलिस के जवानों और एसडीआरएफ की तैनाती की गई है. हरिद्वार में तड़के से ही श्रद्धालु उमड़ने लगे हैं. हरकी पैड़ी क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. आज हरिद्वार में बैसाखी पर्व पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की रौनक देखते ही बन रही है. गंगा स्नान का यह क्रम गुरुवार दोपहर तक जारी रहेगा.
बैसाखी के मौके पर आज हरिद्वार मे गंगा स्नान करने वालों की भारी भीड़ देखी जा रही है. दूर-दूर से आये श्रद्धालु हर की पौड़ी पर गंगा में डुबकी लगा रहे हैं. स्नान के लिए भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं. बैसाखी के मौके पर आज हर की पैड़ी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का हुजूम जमा है. बैशाखी पर ज्यादातर श्रद्धालु पंजाब, हरियाणा, राजस्थान आदि इलाकों से हरिद्वार पहुंचते हैं. बैसाखी को खुशहाली का पर्व माना जाता है, इसलिए लोग गंगा स्नान कर पुण्य के साथ ही खुशहाली की कामना करते हैं. ऐसी पंरपरा है कि आज से नई फसल कटनी शुरू होती है. फसलों की कटाई की खुशी में ही इस त्योहार को खुशहाली के पर्व के रूप में देश भर विशेषकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व पश्चिमी यूपी मे पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है.
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वहींं, ज्योतिषिय आधार पर माना जाता है कि जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो मेष संक्रांति होती है. जब विशाखा नक्षत्र की प्रधानता हो तब बैशाखी का योग बनता है. ऐसे मे गंगा स्नान करने को पुण्यफल देने वाला माना जाता है. बैशाखी पर हरिद्वार में आकर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि इस अवसर पर गंगा स्नान करने का खासा महत्व है. वे मानते है कि मां गंगा में स्नान करने से मां गंगा सबका कल्याण करती है.
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क्या कहते हैं पुरोहित: तीर्थ पुरोहित पंडित देशबंधु शर्मा का कहना हैं कि बैसाखी का पर्व के साथ फसलों का कटान शुरू हो जाता है इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. मां गंगा मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है. एक बार गंगा स्नान करने से इंसान को पुनर्जन्म से जहां मुक्ति मिलती है, वहीं, स्वर्ग का मार्ग भी उसका प्रशस्त हो जाता है. पहले दिन वैशाखी जबकि दूसरे दिन संक्रांति का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ गंगा घाटों पर मनाया जाता है. इस दिन स्नान करने का विशेष महत्व है और गंगा स्नान करने से पीढ़ियां तर जाती हैं. कलयुग में हरिद्वार तीर्थ को गंगा प्रधान कहा गया है, यहां पर डुबकी लगाने का अपना ही विशेष महत्व है.