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सावन का पहला सोमवार: दक्षेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया भगवान शिव का जलाभिषेक, ये है रोचक कथा

सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है. हरिद्वार कनखल में भगवान शिव का ससुराल है. भगवान शिव ने राजा दक्ष को वचन दिया था कि सावन के महीने में वह यहीं पर निवास करेंगे. ऐसा मानना है कि भक्तों कि दक्ष प्रजापति मंदिर में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

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Published : Jul 6, 2020, 12:10 PM IST

Updated : Jul 6, 2020, 2:08 PM IST

haridwar
शिव का ससुराल दक्षेश्वर मंदिर

हरिद्वार: आज सावन का पहला सोमवार यानी शिव की भक्ति का सबसे अच्छा दिन है. ये सिलसिला सावन में पूरे माह चलेगा. मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार का दिन सबसे ज्यादा प्रिय होता है. माना जाता है कि इस दिन भोले की भक्ति और उनका जलाभिषेक से उनकी कृपा बनी रहती है. मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव अपने ससुराल कनखल में ही निवास करते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं. वहीं उनके ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.

दक्षेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया भगवान शिव का जलाभिषेक.

हर साल सावन के महीने में हरिद्वार के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगता था, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है. हर बार भगवान भोलेनाथ के ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगती थी, मगर इस बार मंदिर प्रबंधक और पुलिस प्रशासन ने कोरोना को देखते हुए कड़े प्रबंध किए हैं. इस बार श्रद्धालु गर्भ गृह से भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं कर पाएंगे, बल्कि भगवान शिव को बाहर से ही जल अर्पित करेंगे.

दक्ष प्रजापति मंदिर के महंत विश्वेश्वर पूरी का कहना है कि सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय महीना होता है. कनखल दक्ष प्रजापति महादेव की ससुराल है. दुनिया का सबसे पहला भगवान शिव का मंदिर भी यही है. भगवान शिव ने राजा दक्ष को वचन दिया था कि सावन के महीने में वह यहीं पर निवास करेंगे. इसलिए भगवान शिव अपने ससुराल में एक महीने के लिए विराजमान हो जाते हैं. ऐसा मानना है कि भक्तों कि दक्ष प्रजापति मंदिर में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार सावन के पहले सोमवार पर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ नहीं जुट पाई है.

ये भी पढ़ें: कैलाश से चलकर ससुराल पहुंचे भगवान शिव, एक माह तक यहीं से करेंगे सृष्टि का संचालन

वहीं, मंदिर में आए श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करके काफी उत्साहित नजर आए. श्रद्धालुओं का कहना है कि यह भगवान शिव का ससुराल है और भगवान पूरे सावन में यहीं पर निवास करते हैं. वह सभी भक्तों की मुरादे पूरी करते हैं. इस मंदिर में आकर उन्हें काफी अच्छा लगता है. वहीं, कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर में सोशल-डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. साथ ही मंदिर के गेट से ही भगवान शिव को जल अर्पित करवाया जा रहा है. मंदिर प्रबंधक द्वारा इसकी पूरी व्यवस्था की गई है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सावन माह में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में ही निवास करते हैं. इसलिए सावन के पहले सोमवार की पूर्व संध्या पर दक्ष मंदिर में शिव की महाआरती की जाती है. वहीं सोमवार को दक्ष प्रजापति मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक होता है.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार प्रजापति दक्ष ने कनखल में ही वह यज्ञ किया था, क्रोध वश जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था. जब माता सती सती को इस बात की जानकारी लगी तो वे यज्ञ में जाने की जिद करने लगी. भगवान भोलेनाथ ने उन्हें काफी समझाया लेकिन वे भी उनके हट के आगे कुछ नहीं कर सके. जब मां सती अपने मायके पहुंची तो किसी ने भी उनका आदर सत्कार नहीं किया और दक्ष द्वारा भगवान शिव के प्रति अपशब्दों का प्रयोग जिसे सती सहन न कर सकीं और उन्होंने यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी. जैसे ही ये घटना भगवान शिव को पता चली वे क्रोधित हो गए. उन्होंने अपने गणों से यज्ञ को तहस-नहस करने का आदेश दिया. भगवान शिव का आदेश पाते ही गणों ने पूरे यज्ञ को तहस-नहस कर दिया. भगवान शिव माता सती के शव को हाथ में लेते हुए विलाप करने लगे. भगवान शिव का विलाप देखते हुए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से शव को छिन्न-भिन्न कर दिया. जहां-जहां मां सती के अंग गिरे वहां मां भगवती के शक्तिपीठ बन गए. कनखल में दक्ष का मंदिर और यज्ञ की प्रतिकृति आज भी देखी जा सकती है. कनखल के विशेष आकर्षण प्रजापति मंदिर, सती कुंड एवं दक्ष महादेव मंदिर हैं.

हरिद्वार: आज सावन का पहला सोमवार यानी शिव की भक्ति का सबसे अच्छा दिन है. ये सिलसिला सावन में पूरे माह चलेगा. मान्यता है कि भगवान शिव को सोमवार का दिन सबसे ज्यादा प्रिय होता है. माना जाता है कि इस दिन भोले की भक्ति और उनका जलाभिषेक से उनकी कृपा बनी रहती है. मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव अपने ससुराल कनखल में ही निवास करते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन करते हैं. वहीं उनके ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.

दक्षेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया भगवान शिव का जलाभिषेक.

हर साल सावन के महीने में हरिद्वार के शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगता था, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आई है. हर बार भगवान भोलेनाथ के ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगती थी, मगर इस बार मंदिर प्रबंधक और पुलिस प्रशासन ने कोरोना को देखते हुए कड़े प्रबंध किए हैं. इस बार श्रद्धालु गर्भ गृह से भगवान शिव का जलाभिषेक नहीं कर पाएंगे, बल्कि भगवान शिव को बाहर से ही जल अर्पित करेंगे.

दक्ष प्रजापति मंदिर के महंत विश्वेश्वर पूरी का कहना है कि सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय महीना होता है. कनखल दक्ष प्रजापति महादेव की ससुराल है. दुनिया का सबसे पहला भगवान शिव का मंदिर भी यही है. भगवान शिव ने राजा दक्ष को वचन दिया था कि सावन के महीने में वह यहीं पर निवास करेंगे. इसलिए भगवान शिव अपने ससुराल में एक महीने के लिए विराजमान हो जाते हैं. ऐसा मानना है कि भक्तों कि दक्ष प्रजापति मंदिर में सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार सावन के पहले सोमवार पर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ नहीं जुट पाई है.

ये भी पढ़ें: कैलाश से चलकर ससुराल पहुंचे भगवान शिव, एक माह तक यहीं से करेंगे सृष्टि का संचालन

वहीं, मंदिर में आए श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करके काफी उत्साहित नजर आए. श्रद्धालुओं का कहना है कि यह भगवान शिव का ससुराल है और भगवान पूरे सावन में यहीं पर निवास करते हैं. वह सभी भक्तों की मुरादे पूरी करते हैं. इस मंदिर में आकर उन्हें काफी अच्छा लगता है. वहीं, कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर में सोशल-डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है. साथ ही मंदिर के गेट से ही भगवान शिव को जल अर्पित करवाया जा रहा है. मंदिर प्रबंधक द्वारा इसकी पूरी व्यवस्था की गई है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव सावन माह में दक्षेश्वर महादेव मंदिर में ही निवास करते हैं. इसलिए सावन के पहले सोमवार की पूर्व संध्या पर दक्ष मंदिर में शिव की महाआरती की जाती है. वहीं सोमवार को दक्ष प्रजापति मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक होता है.

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार प्रजापति दक्ष ने कनखल में ही वह यज्ञ किया था, क्रोध वश जिसमें भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया था. जब माता सती सती को इस बात की जानकारी लगी तो वे यज्ञ में जाने की जिद करने लगी. भगवान भोलेनाथ ने उन्हें काफी समझाया लेकिन वे भी उनके हट के आगे कुछ नहीं कर सके. जब मां सती अपने मायके पहुंची तो किसी ने भी उनका आदर सत्कार नहीं किया और दक्ष द्वारा भगवान शिव के प्रति अपशब्दों का प्रयोग जिसे सती सहन न कर सकीं और उन्होंने यज्ञ कुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी. जैसे ही ये घटना भगवान शिव को पता चली वे क्रोधित हो गए. उन्होंने अपने गणों से यज्ञ को तहस-नहस करने का आदेश दिया. भगवान शिव का आदेश पाते ही गणों ने पूरे यज्ञ को तहस-नहस कर दिया. भगवान शिव माता सती के शव को हाथ में लेते हुए विलाप करने लगे. भगवान शिव का विलाप देखते हुए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से शव को छिन्न-भिन्न कर दिया. जहां-जहां मां सती के अंग गिरे वहां मां भगवती के शक्तिपीठ बन गए. कनखल में दक्ष का मंदिर और यज्ञ की प्रतिकृति आज भी देखी जा सकती है. कनखल के विशेष आकर्षण प्रजापति मंदिर, सती कुंड एवं दक्ष महादेव मंदिर हैं.

Last Updated : Jul 6, 2020, 2:08 PM IST
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