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धर्मनगरी में धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली, भगवान विष्णु के दर पर भक्तों ने जलाए दीये - बैकुंठ चतुर्दशी

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन भगवान विष्णु के आगे दीपदान करते हैं. माना जाता है कि आज के दिन भगवान नारायण के सम्मुख दीप दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

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Published : Nov 11, 2019, 11:32 PM IST

हरिद्वारः धर्मनगरी में देव दीपावली पर्व धूमधाम से मनाई गया. इस पर्व को बैकुंठ चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने दीपदान किया. माना जाता है कि आज के दिन भगवान नारायण के सम्मुख दीप दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

बता दें कि, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. जिसके स्वामी राजा हैं. जबकि, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहा गया है. इसके स्वामी स्वयं भगवान नारायण माने जाते हैं.

हरिद्वार में धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली.

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन भगवान विष्णु के आगे दीपदान करते हैं. माना जाता है कि द्वादशी के दिन भगवान नारायण जागे थे और त्रयोदशी के दिन देवताओं ने उनकी स्तुति की थी. वहीं, चतुर्दशी को सबने उनका पूजन किया था.

ये भी पढे़ंः अपणुं उत्तराखंडः दिनभरै 10 खबर, एक नजर मां

मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने भगवान विष्णु को कहा था कि जो भी भक्त चतुर्दशी के दिन आपका पूजन करेगा उसे बैकुंठ की प्राप्ति होगी. उसके सभी दुख और दरिद्रता दूर होगी. साथ ही सारी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी.

इसी को देखते हुए भक्तजन अपने जीवन के अंधकार को दूर करने और मनोरथ को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु के सम्मुख दीपक जलाते हैं. इसे देव दीपावली भी कहा जाता है.

हरिद्वारः धर्मनगरी में देव दीपावली पर्व धूमधाम से मनाई गया. इस पर्व को बैकुंठ चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने दीपदान किया. माना जाता है कि आज के दिन भगवान नारायण के सम्मुख दीप दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.

बता दें कि, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. जिसके स्वामी राजा हैं. जबकि, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहा गया है. इसके स्वामी स्वयं भगवान नारायण माने जाते हैं.

हरिद्वार में धूमधाम से मनाई गई देव दीपावली.

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन भगवान विष्णु के आगे दीपदान करते हैं. माना जाता है कि द्वादशी के दिन भगवान नारायण जागे थे और त्रयोदशी के दिन देवताओं ने उनकी स्तुति की थी. वहीं, चतुर्दशी को सबने उनका पूजन किया था.

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मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने भगवान विष्णु को कहा था कि जो भी भक्त चतुर्दशी के दिन आपका पूजन करेगा उसे बैकुंठ की प्राप्ति होगी. उसके सभी दुख और दरिद्रता दूर होगी. साथ ही सारी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी.

इसी को देखते हुए भक्तजन अपने जीवन के अंधकार को दूर करने और मनोरथ को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु के सम्मुख दीपक जलाते हैं. इसे देव दीपावली भी कहा जाता है.

Intro:एंकर:-आज देव दीपावली पर्व है जिसे हम वैकुंठ चतुर्दशी भी कहते हैं आज के दिन भगवान नारायण के सम्मुख दीप दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जो भी मनोकामना भगवान विष्णु से मांगी जाती वो जरूर पूरी होती है। आज के दिन शाम को धर्मनगरी हरिद्वार भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए दीपदान किया गया।

Body:वीओ:- भिन्न-भिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन आज के दिन भगवान विष्णु के आगे दीपदान करते हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा गया है जिसके स्वामी राजा है और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को वैकुंठ चतुर्दशी कहा गया है। जिसके स्वामी स्वयं भगवान नारायण हैं द्वादशी को भगवान जागे त्रयोदशी को देवताओं ने उनकी स्तुति की और चतुर्दशी को सब ने उनका पूजन किया। एक प्रसंग में यह भी आया है कि भगवान शिव ने भगवान विष्णु को यह कहा कि चतुर्दशी के दिन आप का पूजन करके जो भक्त मेला पूजन करेगा उसको वैकुंठ की प्राप्ति होगी। उसके दुख दरिद्र दूर होंगे उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी जिस प्रकार से दीपक अंधकार को दूर करता है उसी प्रकार भक्तजन अपने जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए अपने मनोरथ को पूर्ण करने के लिए भगवान विष्णु के सम्मुख दीप का प्रकाश करते हैं और सब यही कामना करते हैं हे भगवान हे प्रभु भक्ति का प्रकाश और हमारे जीवन में अज्ञान का अंधकार दूर करने के लिए जो हमने आपके समक्ष समक्ष प्रज्वलित किया है इसको स्वीकार कीजिएगा और भक्तों का कल्याण कीजिएगा।
Conclusion:बाइट पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य
बाइट डिंपल शर्मा
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