हरिद्वारः धर्मनगरी में देव दीपावली पर्व धूमधाम से मनाई गया. इस पर्व को बैकुंठ चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दौरान भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने दीपदान किया. माना जाता है कि आज के दिन भगवान नारायण के सम्मुख दीप दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
बता दें कि, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. जिसके स्वामी राजा हैं. जबकि, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहा गया है. इसके स्वामी स्वयं भगवान नारायण माने जाते हैं.
बैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तजन भगवान विष्णु के आगे दीपदान करते हैं. माना जाता है कि द्वादशी के दिन भगवान नारायण जागे थे और त्रयोदशी के दिन देवताओं ने उनकी स्तुति की थी. वहीं, चतुर्दशी को सबने उनका पूजन किया था.
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मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने भगवान विष्णु को कहा था कि जो भी भक्त चतुर्दशी के दिन आपका पूजन करेगा उसे बैकुंठ की प्राप्ति होगी. उसके सभी दुख और दरिद्रता दूर होगी. साथ ही सारी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी.
इसी को देखते हुए भक्तजन अपने जीवन के अंधकार को दूर करने और मनोरथ को पूरा करने के लिए भगवान विष्णु के सम्मुख दीपक जलाते हैं. इसे देव दीपावली भी कहा जाता है.