हरिद्वार: श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा की सबसे पुरानी हथिनी पवनकली ने सोमवार शाम दम तोड़ दिया है. पवनकली की उम्र लगभग 80 साल थी. साथ ही वह हरिद्वार के साथ-साथ इलाहाबाद, नासिक के हर कुंभ में शामिल होती थी. वहीं, ये हथिनी ओम का उच्चारण अपने मुंह से करती थी. पिछले छह महीनों से उसके पैर में कैंसर था. बुधवार 12:00 बजे पवनकली को निर्मला छावनी में भू समाधि दी जाएगी और उसका स्मारक बनाया जाएगा.
मिली जानकारी के मुताबिक, पवनकली ने अब तक 20 से ज्यादा कुंभ में शामिल होकर साधु संतों को स्नान करवाया है. वहीं, अखाड़ों की पेशवाई की पवनकली को शान माना जाता था. साधु संतों का कहना है कि जब तक पवनकली सज के तैयार होकर पेशवाई के प्रारंभ में नहीं लगती थी तब तक पेशवाई की शुरुआत नहीं की जाती थी. वहीं, बिना पवनकली के अब तक निरंजनी अखाड़े की कोई भी पेशवाई नहीं निकली है. हरिद्वार में होने वाली शोभा यात्राओं में भी खासतौर पर पवनकली को बुलाया जाता था. जिलों से भी पवनकली को शोभा यात्रा के लिए बुलाया जाता था. वहीं, पवनकली रोज शाम को हरिद्वार का भ्रमण भी करती थी.
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सोमवार की देर शाम 4:00 बजे हरिद्वार बिल्केश्वर कालोनी स्थित निर्मला छावनी में हथिनी पवनकली ने अंतिम सांस ली. अखाड़े के महंत ज्ञानदेव सिंह ने हथिनी के निधन पर गहरा दु:ख जताते हुए कहा कि वह हमारे परिवार के सदस्य की तरह थी. उसके निधन से अखाड़े में सूनापन आ गया है.