हरिद्वार: पितृ विसर्जनी अमावस्या पर पितरों के निमित स्नान करने और तर्पण श्राद्ध आदि करने के लिए आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर की पौड़ी पर पहुंचे है. यह गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालु गंगा तट पर ही अपने पितरों के निमित पूजा तर्पण आदि करवा रहे है. कहा जाता है कि आज के दिन गंगा स्नान करने से और पितरों के निमित पूजा करने से पितरों को मुक्ति और उनको पुण्य की की प्राप्ति के साथ पित्र दोष से भी मुक्ति मिलती है. बता दें कि, पितृ पक्ष आज (6 अक्टूबर) समाप्त हो जाएंगे.
पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्राद्ध पक्ष में किसी भी वजह से श्राद्ध नहीं कर पाता है तो वह इस पक्ष के आखिरी दिन पितृ विसृजनी अमावस्या के दिन यदि पिंड़ दान श्राद्ध आदि कर दे तो पितरों को सदगति मिलती है.
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पंडित कामता पांडेय का कहना है कि गंगा स्नान तो 12 महीने में कभी भी कर सकते है. गंगा स्नान का महत्व सब दिन है. लेकिन इस समय गंगा स्नान का महत्व विशेष बढ़ जाता है. एक तो पितरों को तृप्त करने का भी समय है. क्योंकि इस समय यहां पूजा हो गई और गंगा स्नान हो गया. पितृ विसर्जन अमावस्या पर हर की पैड़ी गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु अमिताभ का कहना है कि यह तो एक विश्वास है. हम इसी विश्वास से यहां आए हैं कि हम आज हमारे जो पूर्वज है उनकी आत्मा की शांति के लिए और सभी के कल्याण के लिए हम लोग स्नान कर रहे हैं. इसमें हमें बहुत शांति मिलती है.
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व: सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है. इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से घर में सुख समृद्धि में वृद्धि होती है. हर माह की अमावस्या को पिंडदान किया जाता है, लेकिन अश्विन मास की अमावस्था का अधिक लाभ मिलता है. मान्यता के अनुसार इस दिन पूर्वज अपने प्रियजनों के मनोकामनाएं लेकर आते हैं और खुश होकर उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
मान्यता है कि आज के दिन पितृ 15 दिन धरती पर रहने के बाद अपने वंशजों से खुश होकर उन्हें सुख समृद्धि का आशीर्वाद देकर वापस पितृ लोक चले जाते हैं. पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों की विदाई दी जाती है. श्राद्ध पक्ष का समापन होने के चलते इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं होती है. साथ ही, अगर किसी कारण से मृत सदस्य का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो अमावस्या पर श्राद्ध कर्म किया जाता है.