हरिद्वार: कोरोना की मार से कोई नहीं बचा है. इस महामारी से व्यापारी से लेकर किसान तक त्रस्त हैं. सभी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. कोरोना ने फूलों की खेती से कमाई की सुगंध भी छीन ली है. कोरोना कर्फ्यू की वजह से फूलों की खेती करने वाले काश्तकारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
हरिद्वार में फूलों की लहलहाती खेती को देखकर जो किसान इसे देखकर खुश हुआ करते थे, आज यही फसल कोरोना की वजह से उनके लिए परेशानी का सबब बन गई है. कोरोना कर्फ्यू में सभी तरह के शादी आयोजन पर प्रतिबंध लगा हुआ है. धार्मिक स्थल भी बंद हैं. ऐसे में फूलों की मांग बिल्कुल खत्म हो गई है, जिसकी वजह से फूलों की खेती करने वाले किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. फूलों की खेती करने वाले शालीन वालिया ने बड़ी मेहनत कर बगिया तो महकाई, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण फूल बाजार तक नहीं पहुंच पाए. यही कारण है कि खेतों में रंग-बिरंगे फूलों की जगह अब मुरझाए हुए फूल दिख रहे हैं.
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फूल काश्तकार कोरोना की ये मार पिछले दो साल से झेल रहे हैं. पिछले साल भी लॉकडाउन की वजह से सभी तरह के कार्यक्रमों पर रोक थी. मंदिर भी बंद थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था. हालांकि किसानों को उम्मीद थी कि 2021 उनके लिए खुशहाली लेकर आएगा और फूलों की खेती की तरह उनका व्यापार भी महकेगा, लेकिन इस बार भी कोरोना की दूसरी लहर ने उनकी सारी उम्मीद पर फिर से पानी फेर दिया है. फूल काश्तकार मुश्ताक की मानें तो वो कोरोना की पहली मार से अभी तक नहीं उबरे थे कि कोरोना की दूसरी लहर में उनकी कमर बुरी तरह तोड़ दी.
जिन फूलों की फसल को बाजार में बेचने के लिए किसानों ने दिन-रात एक करके बड़ी मेहनत से तैयार किया था, आज उसी फसल को अपने हाथों से बर्बाद करना पड़ा है. कई बीघा में लगी यह फसल किसानों को रोजाना हो रहे नुकसान की याद दिलाती है.