हरिद्वार: कभी नवरत्न संस्थानों में शुमार रहे भेल के हालात अब इस कदर गड़बड़ा गए हैं कि यहां काम करने वाले संविदा कर्मियों को समय से उनका वेतन भी नहीं मिल पा रहा है. वेतन देने की मांग को लेकर गुरुवार को फैक्ट्री के सैकड़ों संविदा कर्मियों का अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू हो गया है. जिसका सबसे ज्यादा असर भेल की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ना शुरू हो गया है. अस्पताल पहुंच रहे परेशान मरीज इधर उधर भटकने को मजबूर हैं. भेल प्रबंधन सारा ठीकरा कार्यदाई कंपनी के सिर पर फोड़ रहा है.
बता दें बीते कुछ समय में भेल रानीपुर में स्थाई कर्मचारियों की तुलना में संविदा कर्मियों की संख्या न केवल ज्यादा है बल्कि अधिकतर आवश्यक सेवाओं में इन्हीं से काम लिया जाता है. भेल रानीपुर में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा में भी इन संविदा कर्मियों की संख्या बीते कई दशकों से काफी ज्यादा रही है. अब आलम यह हो गया है कि इन कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल पा रहा है. बीते महीने से इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण आज उनका सब्र का बांध टूट गया. आज न केवल फैक्ट्री बल्कि स्वास्थ्य और अन्य सेवाओं में लगे संविदा कर्मी सुबह 9 बजे से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर चले गए हैं.
अस्पताल प्रबंधन द्वारा कार्य बहिष्कार पर गए कर्मचारियों को काफी समझाने का प्रयास भी किया लेकिन वे सभी वेतन मिलने पर ही काम पर लौटने की बात पर अड़े हुए हैं. मार्च माह तक भेल में अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग ठेकेदारों के अधीन संविदा कर्मी काम किया करते थे. जिससे यह ठेकेदार ही उन्हें वेतन देने के लिए रखे गए थे. लेकिन अप्रैल माह से संयुक्त रूप से इन संविदा कर्मियों को कोर सिक्योरिटी नामक कंपनी के अधीन कर दिया गया. जिसे इन लोगों को समय पर वेतन का भुगतान करना था. लेकिन इस माह की अट्ठारह तारीख निकलने के बाद भी अब तक संविदा कर्मियों को उनके वेतन का भुगतान नहीं हुआ है.
पढे़ं- महारत्न कंपनी से महापतन की ओर रानीपुर BHEL, कभी देती थी करोड़ों का मुनाफा, अब है बर्बाद
परेशान हैं बुजुर्ग मरीज: भेल में कई साल सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हो चुके विमल त्रिवेदी का कहना है कि वे अस्पताल में ब्लड शुगर टेस्ट कराने आए थे. यहां पर पता चला कि हड़ताल है. इस संबंध में पहले से कोई सूचना भी हमें नहीं दी गई. अब यहां पर ना कोई सुनने वाला है ना कोई कुछ बताने वाला है. सिर्फ भीड़ इकट्ठी हो रखी है. बीएल सिंह का कहना है कि अस्पताल में पंजीकरण करा लिया है लेकिन यहां पर कर्मचारियों की हड़ताल के चलते सारा काम बंद है. जिससे लोग परेशान हो रहे हैं.
बेहद कम है वेतन: भेल के संविदा कर्मियों का कहना है कि उनको ठेकेदार द्वारा ₹10,000 महीना वेतन दिया जाता है. इतना कम वेतन होने के बाद भी समय से भुगतान नहीं किया जा रहा है. वेतन भुगतान न होने से उनके सामने संकट खड़ा हो गया है. वे बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे हैं, लोगों का उधार नहीं चुका पा रहे हैं.
जुलाई माह का नहीं मिला वेतन: नियम यह कहता है कि किसी भी ठेकेदार के अधीन काम करने वाले संविदा कर्मियों का भुगतान महीने की 1 से 5 तारीख के बीच में हर हाल में हो जाना चाहिए. यह भुगतान सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ठेकेदार की है. मगर भेल रानीपुर में ठेकेदार द्वारा बीते माह का वेतन 18 दिन बीतने के बाद भी संविदा कर्मियों को नहीं दिया गया है.
पढे़ं- दो साल से रुकी जनगणना जल्द होगी शुरू, 2022 में इतनी हो सकती है उत्तराखंड की आबादी
नए ठेकेदार ने किया परेशान: मार्च महीने तक भेल रानीपुर में अलग-अलग सेक्शन पर अलग-अलग ठेकेदार की नियुक्ति थी, जो छोटे-छोटे भाग में संविदा कर्मियों को समय से उनके वेतन का भुगतान किया करता था. 1 अप्रैल से भेल कॉर्पोरेट ने इन सभी छोटे-छोटे ठेकेदारों का काम खत्म कर एक कंपनी को वेतन आवंटित करने का काम दे दिया है. जिसके बाद से ही सभी समस्याएं शुरू हुई हैं.
भेल प्रबंधन ने किए हाथ खड़े: अपने यहां दिन रात संविदा कर्मियों से काम करवाने वाले भेल प्रबंधन ने वेतन न मिलने पर हुए कार्य बहिष्कार के मामले में हाथ खड़े कर दिए हैं. भेल के जनसंपर्क अधिकारी राकेश माणिक ताला ने साफ कह दिया है कि इस बात का जवाब ठेकेदार कंपनी का अधिकारी ही देगा, क्योंकि पैसा बांटने की जिम्मेदारी कंपनी की है.
पढे़ं- अलकनंदा घाटी में बने 500 से ज्यादा लैंडस्लाइड जोन, भू वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला खुलासा
क्या कहती है कंपनी: भेल में वेतन वितरण की जिम्मेदारी लेने वाली कंपनी कोर सिक्योरिटी के अधिकारी प्रफुल्ल का कहना है कि बीते 4 माह से भेल द्वारा उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. फिर भी वे अपने स्तर से 3 माह का वेतन वितरित कर चुके हैं. बीते माह का वेतन भी एक दो दिन में संविदा कर्मियों को वितरित कर दिया जाएगा. कुछ समस्याएं चल रही हैं, जिनका समाधान जल्द कर दिया जाएगा.