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कांवड़ यात्रा में सिडकुल की कंपनियों के डूबे 500 करोड़, जानिये कारण - kanwar yatra latest news

हरिद्वार, ऋषिकेश में इन दिनों कांवड़ यात्रा चल रही है. यहां के हाईवे कांवड़ियों से खचाखच भरे हैं. जिसका खामियाजा हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून स्थित कंपनियों को उठाना पड़ रहा है. कांवड़ यात्रा के कारण इन कंपनियों का कच्चा माल लाने वाले बड़े वाहनों को बॉर्डर पर रोका जा रहा है. जिसके कारण इन कंपनियों को रोजाना करोड़ों का नुकसान हो रहा है.

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कंपनियों को हो रहा करोड़ों का नुकसान
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Published : Jul 14, 2023, 5:17 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड में चल रहे कांवड़ मेले का असर हरिद्वार, देहरादून के लाल तप्पड़ सिडकुल पर पड़ रहा है. अब तक कांवड़ मेले के कारण लगभग 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान यहां स्थित कंपनियों को हो गया है. कांवड़ यात्रा के दौरान सिडकुल की फैक्ट्रियों के लिए कच्चे माल के वाहनों को एक तरफ खड़ा किया जा रहा है. जिससे सिडकुल से न तो कोई सामान बाहर जा रहा है, न ही कोई कच्चा माल यहां लाया जा रहा है. जिसके कारण यहां की कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासन ने हरिद्वार से लेकर उत्तर प्रदेश तक हाईवे पर कांवड़ के अलावा बड़े वाहन के लिए प्रतिबंधित किया हुआ है, हालांकि रात में कुछ घंटे के लिए यह हाईवे बड़े वाहनों के लिए खोले जाते हैं.
पढ़ें- रुड़की में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शिवभक्तों पर की पुष्प वर्षा, फूल माला पहनाकर किया स्वागत

कांवड़ यात्रा के साइड इफेक्ट: हरिद्वार सिडकुल उत्तराखंड में एक अकेला ऐसा औद्योगिक क्षेत्र है जो पूरे राज्य में सबसे ज्यादा जीएसटी सरकार को देता है. लगभग 32 से 35% जीएसटी अकेला हरिद्वार का सिडकुल ही राज्य सरकार को देता है. इतना ही नहीं देश भर की 30% फार्मा की आपूर्ति भी यहीं से होती है. मगर कांवड़ मेले के दौरान हर साल सिडकुल कंपनियों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है. हाईवे पर पूरी तरह से कांवड़ियों का कब्जा हो जाता है. इस दौरान बॉर्डर से अंदर बड़े वाहनों को आने ही नहीं दिया जाता. कांवड़ यात्रा की रूपरेखा जब बनती है, तब मीटिंग में सिडकुल एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी बुलाया जाता है. तब तरह-तरह की प्लानिंग भी की जाती है, लेकिन भीड़ को देखते हुए प्लानिंंग धरी की धरी रह जाती है.
पढ़ें-राजनेताओं पर चढ़ा आदियोगी की भक्ति का रंग, रमेश पोखरियाल निशंक ने कांवड़ियों को खिलाया भोजन

इतनी गाड़ियों के रुके पहिये: एक अनुमान के मुताबिक रोजाना लगभग 2000 से लेकर 2500 तक गाड़ियां सिडकुल में प्रवेश करती हैं. यह ना केवल माल लेकर आती हैं, बल्कि इन्हीं गाड़ियों के माध्यम से माल दूसरे शहरों में भी जाता है. हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों करोड़ों श्रद्धालु पैदल ही अपने-अपने शहरों की तरह बढ़ते हैं. ऐसे में बड़े वाहनों को सड़क पर उतारना बहुत मुश्किल होता है. पूर्व में कई घटनाएं इस तरह की हो चुकी हैं, जिसके बाद बवाल रोकना मुश्किल होता है. यही कारण है कि बॉर्डर से अंदर बड़ी गाड़ियों को आने नहीं दिया जाता.

सिडकुल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग कहते हैं, कावड़ यात्रा शुरू होने से पहले प्रशासन हर विभाग और सिडकुल के साथ एक बैठक करता है. जिसमें यही रणनीति बनाई जाती है कि कैसे सिडकुल कोई नुकसान ना हो. लेकिन इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. बाहरी राज्यों के वाहनों को बॉर्डर पर ही रोका जा रहा है. जबकि बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि रात 11 बजे से लेकर सुबह 4 या 5 बजे तक वाहनों को आईपी2 आईपी4 बहादराबाद सहित अन्य जगहों से भेजा जाएगा. मगर यह योजना भी लागू नहीं हो सकी. रोजाना कंपनियों को इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है.
पढ़ें-पुलवामा शहीदों के नाम से कांवड़ लेकर निकले पिंटू सैनी, हर कोई कर रहा सैल्यूट

छोटी बड़ी 1000 कंपनियां प्रभावित: हरिद्वार सिडकुल इलाके में छोटी बड़ी लगभग 1000 कंपनियां हैं. इनमें से अधिकतर कंपनियों का काम इस दौरान प्रभावित हो रहा है. जिसमें आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हिंदुस्तान यूनिलीवर, 1 एकम्स, हीरो और इलेक्ट्रॉनिक्स की कई छोटी-बड़ी कंपनियां हैं, जिनका माल समय से नहीं आ रहा है. कई कंपनियों ने माल कम होने की वजह से अपनी कंपनियों के कर्मचारियों को भी फिलहाल फैक्ट्री में आने से मना कर दिया है. ऐसा ही हाल देहरादून की लाल तप्पड़ स्थित फैक्ट्रियों का भी है.
पढ़ें- WATCH: हरिद्वार में कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा, 20 लाख से ज्यादा भक्तों ने भरा गंगाजल

क्या कहते हैं अधिकारी: मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी धीराज गबर्याल का कहना है कि अत्यधिक भीड़ होने की वजह से बड़े वाहनों को हमने बॉर्डर पर ही रोकने का आदेश दिया है. हम समय-समय पर रात में कई वाहनों को सीमा में दाखिल करवा रहे हैं. जैसे-जैसे भीड़ बढ़ेगी वैसे-वैसे हमें व्यवस्थाओं को देखना पड़ रहा है. हमारी कोशिश यही रहती है कि किसी तरह का नुकसान किसी को भी झेलना ना पड़े. हम इस मामले में जल्द ही कुछ और प्लान करके समस्या का समाधान करेंगे, जिससे यह समस्या आगे कभी उत्पन्न न हो.

हरिद्वार: उत्तराखंड में चल रहे कांवड़ मेले का असर हरिद्वार, देहरादून के लाल तप्पड़ सिडकुल पर पड़ रहा है. अब तक कांवड़ मेले के कारण लगभग 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान यहां स्थित कंपनियों को हो गया है. कांवड़ यात्रा के दौरान सिडकुल की फैक्ट्रियों के लिए कच्चे माल के वाहनों को एक तरफ खड़ा किया जा रहा है. जिससे सिडकुल से न तो कोई सामान बाहर जा रहा है, न ही कोई कच्चा माल यहां लाया जा रहा है. जिसके कारण यहां की कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

कांवड़ यात्रा के दौरान प्रशासन ने हरिद्वार से लेकर उत्तर प्रदेश तक हाईवे पर कांवड़ के अलावा बड़े वाहन के लिए प्रतिबंधित किया हुआ है, हालांकि रात में कुछ घंटे के लिए यह हाईवे बड़े वाहनों के लिए खोले जाते हैं.
पढ़ें- रुड़की में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने शिवभक्तों पर की पुष्प वर्षा, फूल माला पहनाकर किया स्वागत

कांवड़ यात्रा के साइड इफेक्ट: हरिद्वार सिडकुल उत्तराखंड में एक अकेला ऐसा औद्योगिक क्षेत्र है जो पूरे राज्य में सबसे ज्यादा जीएसटी सरकार को देता है. लगभग 32 से 35% जीएसटी अकेला हरिद्वार का सिडकुल ही राज्य सरकार को देता है. इतना ही नहीं देश भर की 30% फार्मा की आपूर्ति भी यहीं से होती है. मगर कांवड़ मेले के दौरान हर साल सिडकुल कंपनियों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ता है. हाईवे पर पूरी तरह से कांवड़ियों का कब्जा हो जाता है. इस दौरान बॉर्डर से अंदर बड़े वाहनों को आने ही नहीं दिया जाता. कांवड़ यात्रा की रूपरेखा जब बनती है, तब मीटिंग में सिडकुल एसोसिएशन के पदाधिकारियों को भी बुलाया जाता है. तब तरह-तरह की प्लानिंग भी की जाती है, लेकिन भीड़ को देखते हुए प्लानिंंग धरी की धरी रह जाती है.
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इतनी गाड़ियों के रुके पहिये: एक अनुमान के मुताबिक रोजाना लगभग 2000 से लेकर 2500 तक गाड़ियां सिडकुल में प्रवेश करती हैं. यह ना केवल माल लेकर आती हैं, बल्कि इन्हीं गाड़ियों के माध्यम से माल दूसरे शहरों में भी जाता है. हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों करोड़ों श्रद्धालु पैदल ही अपने-अपने शहरों की तरह बढ़ते हैं. ऐसे में बड़े वाहनों को सड़क पर उतारना बहुत मुश्किल होता है. पूर्व में कई घटनाएं इस तरह की हो चुकी हैं, जिसके बाद बवाल रोकना मुश्किल होता है. यही कारण है कि बॉर्डर से अंदर बड़ी गाड़ियों को आने नहीं दिया जाता.

सिडकुल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष हरेंद्र गर्ग कहते हैं, कावड़ यात्रा शुरू होने से पहले प्रशासन हर विभाग और सिडकुल के साथ एक बैठक करता है. जिसमें यही रणनीति बनाई जाती है कि कैसे सिडकुल कोई नुकसान ना हो. लेकिन इस बार भी ऐसा ही हो रहा है. बाहरी राज्यों के वाहनों को बॉर्डर पर ही रोका जा रहा है. जबकि बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि रात 11 बजे से लेकर सुबह 4 या 5 बजे तक वाहनों को आईपी2 आईपी4 बहादराबाद सहित अन्य जगहों से भेजा जाएगा. मगर यह योजना भी लागू नहीं हो सकी. रोजाना कंपनियों को इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है.
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छोटी बड़ी 1000 कंपनियां प्रभावित: हरिद्वार सिडकुल इलाके में छोटी बड़ी लगभग 1000 कंपनियां हैं. इनमें से अधिकतर कंपनियों का काम इस दौरान प्रभावित हो रहा है. जिसमें आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, हिंदुस्तान यूनिलीवर, 1 एकम्स, हीरो और इलेक्ट्रॉनिक्स की कई छोटी-बड़ी कंपनियां हैं, जिनका माल समय से नहीं आ रहा है. कई कंपनियों ने माल कम होने की वजह से अपनी कंपनियों के कर्मचारियों को भी फिलहाल फैक्ट्री में आने से मना कर दिया है. ऐसा ही हाल देहरादून की लाल तप्पड़ स्थित फैक्ट्रियों का भी है.
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क्या कहते हैं अधिकारी: मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी धीराज गबर्याल का कहना है कि अत्यधिक भीड़ होने की वजह से बड़े वाहनों को हमने बॉर्डर पर ही रोकने का आदेश दिया है. हम समय-समय पर रात में कई वाहनों को सीमा में दाखिल करवा रहे हैं. जैसे-जैसे भीड़ बढ़ेगी वैसे-वैसे हमें व्यवस्थाओं को देखना पड़ रहा है. हमारी कोशिश यही रहती है कि किसी तरह का नुकसान किसी को भी झेलना ना पड़े. हम इस मामले में जल्द ही कुछ और प्लान करके समस्या का समाधान करेंगे, जिससे यह समस्या आगे कभी उत्पन्न न हो.

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