हरिद्वार: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के तहत बालिकाओं के लिए उत्तराखंड सरकार की महत्वपूर्ण नंदा गौरा योजना में फर्जी आय प्रमाण पत्र के जरिए करोड़ों के गबन का मामला पकड़ में आया है. हरिद्वार के सीडीओ प्रतीक जैन द्वारा की गई जांच में खुलासा हुआ है कि, लोगों ने कंप्यूटर ऑपरेटर की मदद से अपने आय प्रमाण पत्रों में अपनी आय कम दर्ज कराई और सरकारी पैसे ऐंठ लिए.
ये है पूरा मामला: नंदा गौरा योजना में 6 माह से छोटी बच्ची के अभिभावक को हर साल 11 हजार रुपए और 12वीं पास बच्ची को हर साल 50 हजार रुपए मिलते हैं. योजना के लाभार्थी केवल वही हो सकते हैं जिनकी आय 72 हजार रुपए प्रति वर्ष हो. हरिद्वार में नंदा गौरा योजना का लाभ लेने के लिए 5,502 आवेदन प्राप्त हुए थे. इन आवेदानों की जांच करने पर खुलासा हुआ कि 193 लोगों ने अपने फर्जी आय प्रमाण पत्र लगा दिए थे. जांच के बाद इन सभी लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं. जो लोग कंप्यूटर की मदद से ऐसे प्रमाणपत्र जारी करते हैं, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की तैयारी है. फर्जी प्रमाण पत्र से लाभ लेने का ये मामला सामने आने के बाद प्रशासन से लेकर शासन तक में हड़कंप मचा हुआ है. पूर्व के वर्षों में जिन्होंने इस योजना का लाभ अपने फर्जी आय प्रमाणपत्र लगाकर लिया है, अब वे भी भी राडार पर हैं.
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हरिद्वार के सीडीओ प्रतीक जैन को विभिन्न माध्यमों से नंदा गौरा योजना के पहले और दूसरे चरण के अन्तर्गत आवेदनकर्ताओं द्वारा फर्जी आय प्रमाण पत्र लगाकर योजना का लाभ प्राप्त करने की शिकायतें मिली थीं. इनका संज्ञान लेते हुये सीडीओ प्रतीक जैन ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को आय प्रमाण पत्रों की सघनता से जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिये थे.