हरिद्वार: नागरिकता संशोधन विधेयक का भले ही विपक्ष विरोध कर रहा हो, लेकिन हरिद्वार में रह रहे हिंदू शरणार्थी परिवार को इस कानून से काफी उम्मीदें दिखाई पड़ रही हैं. भारत की नागरिकता के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे इस परिवार को अब भारतीय नागरिकों की तरह सम्मानजनक जीवन जीने की उम्मीद जगी है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत स्थित खैरा इलाके के मूल निवासी लक्ष्मण सिंह अपने बच्चों के साथ वर्ष 2012 में भारत आए थे. उसके बाद वह हरिद्वार आ गए. लक्ष्मण अपनी पत्नी व पांच बच्चों के साथ हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय परिसर में रहते हैं.
उनका बड़ा बेटा इंटर में, छोटा नवी में पढ़ता है. साथ ही तीन बेटियां भी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. लक्ष्मण सिंह उर्दू अखबार के लिए कार्य कर अपना गुजारा करते हैं. इस कानून के आने से लक्ष्मण सिंह का कहना है कि यह कानून उनके लिए संजीवनी का कार्य करेगा.
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लक्ष्मण सिंह की पत्नी रेशी देवी कहती हैं कि जब वे यहां आए थे तो बहुत ही गरीबी देखी और बहुत ही बुरे दिनों से अपना गुजारा किया है, लेकिन अब कुछ उम्मीद जगी है. लक्ष्मण सिंह का बेटा नरेंद्र भरे गले से बताता है कि उसके साथ यहां भेदभाव किया जाता था. स्कूल में उनको एडमिशन नहीं मिलता था. लोग उन्हें पाकिस्तानी कहते थे. लेकिन अब उन्हें इस कानून के आ जाने से उम्मीद जगी है.