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तीर्थ पुरोहित बोले- गंगा सफाई के नाम पर हो रही धांधली, जताई नाराजगी

नमामि गंगे प्रोजक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना में शामिल है. हरिद्वार में गंगा घाटों की सफाई के लिए 10 दिन पहले गंगा बंदी कर दी गई थी, लेकिन बजट जारी न होने के चलते अभी तक काम नहीं हो पाया है. जिसको लेकर गंगा प्रेमी और तीर्थ पुरोहित नाराजगी जाहिर कर रहे हैं.

गंगा बंदी के बाद भी जारी नहीं हुआ बजट.
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Published : Oct 23, 2019, 7:34 AM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी में वार्षिक गंगा बंदी के तहत हर साल सफाई का काम किया जाता है. इस साल गंगा बंदी के दस दिन बीत जाने के बाद भी घाटों की मरम्मत का काम नहीं किया गया है. जिसको लेकर गंगा प्रेमी और तीर्थ पुरोहितों ने विरोध दर्ज कराया है. वहीं, सिंचाई विभाग के अधिकारी बजट न होने की बात कह रहे हैं.

गंगा बंदी के बाद भी जारी नहीं हुआ बजट.

दशहरे से लेकर दीपावली तक साफ-सफाई के नाम पर गंगनहर का पानी रोक दिया जाता है, जिसके चलते हरिद्वार में गंगा में पानी न होने के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है.

पढ़ें: सफाई के नाम पर बहाए जा रहे करोड़ों रुपए, आखिर कब निर्मल होगी गंगा की धारा?

तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि त्योहारों के सीजन में गंगा बंदी का कोई औचित्य नहीं है. उनका कहना है कि गंगा आस्था का विषय है और श्रद्धालुओं को इस सीजन में गंगा स्नान नसीब न होना दुर्भाग्यपूर्ण है.वहीं, गंगा प्रेमियों का कहना है कि गंगा सफाई के नाम पर धांधली की जाती है. सफाई के लिए जो बजट जारी किया जाता है, उससे कोई काम नहीं किया जाता है.

हरिद्वार सिंचाई विभाग के एसडीओ विक्रांत सैनी का कहना है कि गंगा बंदी के दस दिन बाद भी उनके पास बजट नहीं आया है. साफ-सफाई के काम के लिए विभाग के बजट का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों द्वारा बजट प्राप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं.

हरिद्वार: धर्मनगरी में वार्षिक गंगा बंदी के तहत हर साल सफाई का काम किया जाता है. इस साल गंगा बंदी के दस दिन बीत जाने के बाद भी घाटों की मरम्मत का काम नहीं किया गया है. जिसको लेकर गंगा प्रेमी और तीर्थ पुरोहितों ने विरोध दर्ज कराया है. वहीं, सिंचाई विभाग के अधिकारी बजट न होने की बात कह रहे हैं.

गंगा बंदी के बाद भी जारी नहीं हुआ बजट.

दशहरे से लेकर दीपावली तक साफ-सफाई के नाम पर गंगनहर का पानी रोक दिया जाता है, जिसके चलते हरिद्वार में गंगा में पानी न होने के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट देखने को मिल रही है.

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तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि त्योहारों के सीजन में गंगा बंदी का कोई औचित्य नहीं है. उनका कहना है कि गंगा आस्था का विषय है और श्रद्धालुओं को इस सीजन में गंगा स्नान नसीब न होना दुर्भाग्यपूर्ण है.वहीं, गंगा प्रेमियों का कहना है कि गंगा सफाई के नाम पर धांधली की जाती है. सफाई के लिए जो बजट जारी किया जाता है, उससे कोई काम नहीं किया जाता है.

हरिद्वार सिंचाई विभाग के एसडीओ विक्रांत सैनी का कहना है कि गंगा बंदी के दस दिन बाद भी उनके पास बजट नहीं आया है. साफ-सफाई के काम के लिए विभाग के बजट का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों द्वारा बजट प्राप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं.

Intro:एंकर:- हरिद्वार में वार्षिक गँगा बंदी तो कर दी गई है लेकिन सफाई के नाम पर धरातल पर कोई काम होता दिखाई दे रहा है। गँगा बंदी को दस दिन से ऊपर हो गया लेकिन अभी तक घाटों की मरम्मत का काम नही हुआ है। सिचाई विभाग के अधिकारी बजट का रोना रो रहे है वही हरिद्वार के गँगा प्रेमी और तीर्थ पुरोहितों ने इसे लेकर अपना विरोध भी दर्ज कराया है। इतना ही नही गँगा बंदी को लेकर बजट की बंदरबांट करने के सवाल भी उठने लगे है।


Body:वीओ 1:- गौरतलब है कि दशहरे से लेकर दीपावली तक साफ सफाई के नाम पर गंगनहर का पानी रोक दिया जाता है और गँगा में पानी न होने की वजह से हरिद्वार में श्रद्धालु की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिलती है। हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित और गँगा प्रेमी प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ है। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि त्यौहारी सीजन में गँगा बंदी का कोई औचित्य नही है, गँगा आस्था का विषय है और श्रद्धालुओं को इस सीजन में गँगा स्नान नसीब न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस काम के लिए गँगा को बंद किया जाता है वो काम होते ही नही। वही गँगा प्रेमियों ने भी गँगा बंदी का विरोध किया है। गँगा प्रेमियों का कहना है कि केवल और केवल गँगा सफाई के नाम पर जो बजट आता है उसकी बंदरबांट होती है न हो गँगा साफ होती है और न ही गंगाजल।


वीओ 2:- वही इस बार यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारी बजट का रोना रो रहे है। हरिद्वार सिंचाई विभाग के एसडीओ विक्रांत सैनी का कहना है कि उनके द्वारा गँगा बंदी किये हुए इतने दिन बीत गए मगर अभी तक उनके पास बजट नही आया है। साफ सफाई के जो काम हो रहे वो अपने विभाग के बजट से करवा रहे है। बैराजों की मरम्मत, गँगा की सफाई, घाटों की टूटफूट, घाटों पर लगी चैनों की मरम्मत का काम अपने बजट करवा रहे है। बाकी उनके उनके उच्चाधिकारियों द्वारा बजट प्राप्त करने के प्रयास किये जा रहे है।
Conclusion:बाइट:- उज्जवल पंडित तीर्थ पुरोहित
बाइट:- रामेश्वर गौड़ गँगा प्रेमी
बाइट:- विक्रांत सैनी, एसडीओ, यूपी सिंचाई विभाग, हरिद्वार
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