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179 दिनों से अनशन रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने PM को लिखा पत्र, 27 अप्रैल से त्याग देंगे जल

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Published : Apr 20, 2019, 11:54 PM IST

Updated : Apr 21, 2019, 12:09 AM IST

ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द, स्वामी सानंद की मौत के बाद से ही उनकी मांगों के लिए 179 दिन से अनशन कर रहे हैं.

Brahmachari Atmbodhanand

हरिद्वार: गंगा की अवरिलता और निर्मलता के लिए 179 दिनों से अनशनरत मातृसदन के संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने 27 अप्रैल से जल त्यागने की घोषणा कर दी है. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है. पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रपति और यूएनओ समेत अनेक लोगों को भेजी गई है. ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द गंगा की रक्षा के लिए अनशनरत है.

27 अप्रैल से जल त्याग देंगे आत्मबोधानंद.

पढ़ें- 'मेरी बेटी रोहित से बेहद प्यार करती थी, वो ऐसा कभी नहीं कर सकती'

ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द, स्वामी सानंद की मौत के बाद से ही उनकी मांगों के लिए 179 दिन से अनशन कर रहे हैं. इस दौरान वे केवल जल और शहद का ही सेवन कर रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने सरकार के निराश होकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जल त्यागने की घोषणा की हैं.

आत्मबोधानन्द का कहना है कि सरकार की मंशा गंगा की हत्या करने में ही है. 22 जून 2018 को अनशन पर बैठने से पहले स्वानी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था. लेकिन सरकार ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया था. जब उन्होंने अपना अनशन शुरू किया तो अधिकारी खानापूर्ति के लिए आते थे और बात करके चले जाते थे. लेकिन कभी गंगा के लिए जमीन पर कोई कार्य नहीं हुआ. आईआईटी के डीन रहे सानंद जैसे व्यक्ति की जब इन लोगों ने हत्या कर दी तो हम लोगों की हत्या करना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है.

आत्मबोधानन्द ने बताया कि उन्होंने स्वामी सानंद को वचन दिया था कि यदि उन्हें कुछ हो जाएगा तो वो मातृ सदन सदन में आपके आंदोलन को आगे बढ़ाएगा. उनके जाने के बाद मैं बैठा हूं. अब मुझे भी साफ नजर आ रहा है कि सरकार गंगा के लिए कुछ नहीं सोच रही है. यह लोग तो चाहते हैं कि किसी तरह मुझे मार दे. मेरी हत्या होती है तो मैं तैयार हूं. मैने निश्चित कर लिया है कि 25 अप्रैल तक मेरी मांगों को नहीं माना जाता है तो मैं 27 अप्रैल से जल भी त्याग दूंगा. इसके बाद कोई भी मुझे मनाएगा तो मैं नहीं मानूंगा. जब मेरा शरीर त्याग होगा तो मेरे दूसरे गुरु भाई इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.

आत्मबोधानन्द के गुरु स्वामी शिवानंद का कहना है कि आत्मबोधानन्द के अनशन को आज 179 दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है. अब हमारे द्वारा एक पत्र लिखा गया है. क्योंकि पहले ही स्वामी सानंद और निगमानंद गंगा के लिए बलिदान दे चुके हैं. अब आत्मबोध आनंद ने भी ऐलान कर दिया है कि अगर 25 तारीख तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह जल का त्याग कर देंगे. क्योंकि सरकार और प्रशासन गंगा की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

हरिद्वार: गंगा की अवरिलता और निर्मलता के लिए 179 दिनों से अनशनरत मातृसदन के संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द ने 27 अप्रैल से जल त्यागने की घोषणा कर दी है. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है. पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रपति और यूएनओ समेत अनेक लोगों को भेजी गई है. ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द गंगा की रक्षा के लिए अनशनरत है.

27 अप्रैल से जल त्याग देंगे आत्मबोधानंद.

पढ़ें- 'मेरी बेटी रोहित से बेहद प्यार करती थी, वो ऐसा कभी नहीं कर सकती'

ब्रह्मचारी आत्मबोधानन्द, स्वामी सानंद की मौत के बाद से ही उनकी मांगों के लिए 179 दिन से अनशन कर रहे हैं. इस दौरान वे केवल जल और शहद का ही सेवन कर रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने सरकार के निराश होकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जल त्यागने की घोषणा की हैं.

आत्मबोधानन्द का कहना है कि सरकार की मंशा गंगा की हत्या करने में ही है. 22 जून 2018 को अनशन पर बैठने से पहले स्वानी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था. लेकिन सरकार ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया था. जब उन्होंने अपना अनशन शुरू किया तो अधिकारी खानापूर्ति के लिए आते थे और बात करके चले जाते थे. लेकिन कभी गंगा के लिए जमीन पर कोई कार्य नहीं हुआ. आईआईटी के डीन रहे सानंद जैसे व्यक्ति की जब इन लोगों ने हत्या कर दी तो हम लोगों की हत्या करना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है.

आत्मबोधानन्द ने बताया कि उन्होंने स्वामी सानंद को वचन दिया था कि यदि उन्हें कुछ हो जाएगा तो वो मातृ सदन सदन में आपके आंदोलन को आगे बढ़ाएगा. उनके जाने के बाद मैं बैठा हूं. अब मुझे भी साफ नजर आ रहा है कि सरकार गंगा के लिए कुछ नहीं सोच रही है. यह लोग तो चाहते हैं कि किसी तरह मुझे मार दे. मेरी हत्या होती है तो मैं तैयार हूं. मैने निश्चित कर लिया है कि 25 अप्रैल तक मेरी मांगों को नहीं माना जाता है तो मैं 27 अप्रैल से जल भी त्याग दूंगा. इसके बाद कोई भी मुझे मनाएगा तो मैं नहीं मानूंगा. जब मेरा शरीर त्याग होगा तो मेरे दूसरे गुरु भाई इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे.

आत्मबोधानन्द के गुरु स्वामी शिवानंद का कहना है कि आत्मबोधानन्द के अनशन को आज 179 दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है. अब हमारे द्वारा एक पत्र लिखा गया है. क्योंकि पहले ही स्वामी सानंद और निगमानंद गंगा के लिए बलिदान दे चुके हैं. अब आत्मबोध आनंद ने भी ऐलान कर दिया है कि अगर 25 तारीख तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह जल का त्याग कर देंगे. क्योंकि सरकार और प्रशासन गंगा की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

Intro:गंगा की अवरिलता और निर्मलता और दिवंगत संत स्वामी सानंद की मांगों को पूरा कराने के लिए 179 दिनों से अनशन कर रहे मातृ सदन के संत ब्रह्मचारी आत्मबोधआनंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 25 अप्रैल तक मांगे पूरी नहीं होने पर 27 अप्रैल से जल छोड़ने की घोषणा की है पत्र की कॉपी प्रधानमंत्री के साथ ही राष्ट्रपति यूएनओ समेत अनेक लोगों को भेजी गई है ब्रह्मचारी आत्मबोधआनंद स्वामी सानंद की मृत्यु के बाद से ही उनकी मांगों के लिए 179 दिन से अनशन कर रहे हैं और इस दौरान वे केवल जल और शहद का ही सेवन कर रहे हैं मगर अब उन्होंने सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं होने पर निराश होकर यह पत्र लिखकर घोषणा की है


Body:ब्रह्मचारी आत्मबोध आनंद का कहना है कि सरकार की मंशा गंगा की हत्या करने में ही है जब 22 जून 2018 से स्वामी सानंद जी ने तपस्या के लिए पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को पत्र भी लिखा था कि वह गंगा के लिए अनशन पर बैठने जा रहे है तब भी कोई एक्शन नहीं हुआ था जब वह बैठे तब भी अधिकारी खानापूर्ति के लिए आते थे बात करते थे और चले जाते थे या दिखाने के लिए कि हम बात कर रहे हैं पर जमीनी कोई कार्य नहीं हुआ था और जब सानंद जी जैसे व्यक्ति जो आईआईटी के डीन रहे हैं जब उन जैसे व्यक्ति की यह लोग हत्या कर देते हैं तो हम लोगों की हत्या करना तो उनके लिए कोई बड़ी बात नही

बाइट-- स्वामी आत्मबोधआनंद---अनशन कारी संत

मातृ सदन ने स्वामी सानंद को वचन दिया था कि अगर उनके शरीर को कुछ होगा तो मातृ सदन आपके आंदोलन को आगे बढ़ाएगा उनके जाने के बाद में बैठा हूं अब मुझे भी साफ नजर आ रहा है कि सरकार गंगा के लिए कुछ नहीं सोच रही है यह लोग तो चाहते हैं कि किसी तरह मुझे मार दे मेरी हत्या होती है तो मैं तैयार हूं मैंने कल ही इस बात के लिए निश्चित किया है कि 25 अप्रैल तक मेरी मांगों को नहीं माना जाता है तो मैं 27 अप्रैल से जल भी त्याग दूंगा और उसके बाद कोई भी मुझे मनाएगा तो मैं नहीं मानूंगा और जब मेरा शरीर त्याग होगा तो मेरे दूसरे गुरु भाई इस आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे और इस कड़ी को बरकरार रखेंगे

बाइट-- स्वामी आत्मबोधआनंद---अनशन कारी संत

वहीं आत्मबोध आनंद के गुरु स्वामी शिवानंद का कहना है कि आत्मबोध आनंद के अनशन को आज 179 दिन हो गए हैं मगर अब तक किसी ने भी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है अब हमारे द्वारा एक पत्र लिखा गया है क्योंकि पहले ही स्वामी सानंद और निगमानंद गंगा के लिए बलिदान दे चुके हैं अब आत्मबोध आनंद ने भी ऐलान कर दिया है कि अगर 25 तारीख तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह जल का त्याग कर देंगे क्योंकि सरकार और प्रशासन गंगा की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है

बाइट--स्वामी शिवानंद--परमाध्यक्ष मातृ सदन



Conclusion:मातृ सदन अब गंगा को लेकर आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में नजर आ रहा है क्योंकि 179 दिन अनसन होने के बावजूद भी उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है अब आत्म बोध आनंद द्वारा जल त्याग ने की घोषणा के बाद प्रशासन के भी हाथ पैर फूल गए हैं अब देखना होगा प्रशासन क्या आत्मबोध आनंद को मनाने में कामयाब होता है या फिर एक ओर संत मां गंगा के लिए बलिदान देगा
Last Updated : Apr 21, 2019, 12:09 AM IST
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