हरिद्वारः लॉकडाउन के चलते देश के कोने-कोने में प्रवासी लोग फंसे हुए हैं जिनकी वापसी का सिलसिला जारी है. उत्तराखंड में भी विभिन्न प्रांतों के लोग फंसे हैं. इनमें पश्चिम बंगाल के लोग भी शामिल हैं. अपने प्रदेश के लोगों को वापस बुलाने में ममता बनर्जी का बेरूखा रवैया देखने को मिल रहा है. इसका खामियाजा उत्तराखंड में फंसे बंगाली यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. वहीं, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
दरअसल, हरिद्वार में लॉकडाउन के चलते बीते 23 मार्च से करीब 700 बंगाली मूल के यात्री फंसे हुए हैं. इन यात्रियों की घर वापसी की सुध अभी तक किसी ने नहीं ली है. यात्रियों ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील की है कि उनकी वापसी को लेकर स्थिति साफ करें, लेकिन ममता सरकार मामले पर गंभीर नहीं है. हरिद्वार में फंसे बंगाली यात्रियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से रोजाना रहने और खाने की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन वो अपने घर वापस जाना चाहते हैं.
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उन्होंने कहा कि हरिद्वार से दूसरे राज्य के लोगों को उनके घर भेजा जा रहा है, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इससे वो काफी परेशान हैं. ऐसे में उनको वापस भेजने की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं, बंगाली यात्री, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके घर वापस लौटने की व्यवस्था करने की अपील कर रहे हैं.
हरिद्वार की पर्यटन अधिकारी सीमा नौटियाल का कहना है कि बंगाल के तकरीबन 700 यात्री हरिद्वार में फंसे हुए हैं. शासन और प्रशासन ने बंगाल सरकार से वार्ता की थी, लेकिन उनकी ओर से यात्रियों को बंगाल जाने के लिए कोई सहमति नहीं दी गई.
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इसे लेकर यात्रियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने कई लोगों को पास जारी किए. वहीं, कुछ लोगों को प्राइवेट वाहनों से बंगाल जाने की अनुमति दी गई. लेकिन अभी भी कई यात्री ऐसे हैं जिनके पास पैसों की व्यवस्था भी नहीं है और ये यात्री ट्रेन चलने के इंतजार में हैं.
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि वो बीते कई दिनों से पश्चिम बंगाल सरकार के संपर्क में हैं. लॉकडाउन के बाद ममता सरकार से आग्रह किया गया था कि यात्रियों को वापस बंगाल बुलाया जाए, लेकिन वहां से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया. भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार भी वार्ता की गई. इसके बावजूद बंगाल सरकार गंभीर नहीं है.