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लक्सर में दो राज्यों के बीच में लटका बालावाली पुल का निर्माण - Laksar bridge work incomplete

यूपी और उत्तराखंड की सीमा पर बनने वाले बालावाली पुल का निर्माण लंबे समय से अधर में लटका हुआ है. वहीं उत्तराखंड की सीमा में बनने वाली 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण भी नहीं हो पाया है.

Laksar
बालावाली पुल
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Published : Sep 17, 2021, 2:49 PM IST

लक्सर: उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश की सीमा पर लक्सर को बिजनौर जनपद से जोड़ने वाले बालावाली पुल के निर्माण का कार्य तीन साल से अधिक समय से चल रहा है. पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. लेकिन उत्तराखंड की सीमा में बनने वाली 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण अधर में लटका हुआ है. इस कारण पुल पर आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है. इसमें 200 मीटर एप्रोच का निर्माण प्रांतीय खंड लोनिवि बिजनौर को करना है.

बता दें कि, 191 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश सेतु निगम करा रहा है. पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. लक्सर बालावाली मार्ग से पुल को जोड़ने के लिए 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है.

लोक निर्माण विभाग के एई ललित कुमार बिष्ट ने बताया कि पुल के लिए उत्तराखंड की ओर 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण किया जाना है. इसमें 200 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण प्रांतीय खंड लोनिवि बिजनौर और शेष 125 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग लक्सर डिवीजन को करना है. पुल की एप्रोच रोड के लिए भूमि अधिग्रहण में शुरूआत में पेंच फंसा था, लेकिन इसके बाद भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद विभाग की ओर से यूपी लोनिवि को इसकी सूचना भेज दी गई थी. इस पर लोनिवि बिजनौर को अभी कार्य शुरू करना है.

उन्होंने बताया कि लक्सर से बालावाली तक केंद्रीय अवस्थापना सड़क निधि से 14.300 किमी सड़क का चौड़ीकरण और नवीनीकरण कार्य कराया जाना है. इसके लिए केंद्र से 2518.12 लाख की स्वीकृति मिल चुकी है. इसकी डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है. राज्य सरकार से स्वीकृति मिलते ही सड़क के चौड़ीकरण और नवीनीकरण का कार्य शुरू करा दिया जाएगा. संभवत: अगले एक दो माह में इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

पढ़ें: हरिद्वार में जंगल से सटे गांवों में हाथी का आतंक, धान की फसल रौंदी

लक्सर और बिजनौर जनपद में सीधा संपर्क लक्सर-बालावाली पुल पर आवागमन शुरू होते ही लक्सर और बिजनौर तहसील सीधे सड़क मार्ग से जुड़ जाएंगे. अभी तक लक्सर से बिजनौर जाने के लिए हरिद्वार होते हुए जाना पड़ता है. हल्के वाहनों के लिए बालावाली में रेलवे के पुराने पुल का उपयोग हो रहा है. लेकिन भारी वाहनों को अभी भी 30 से 35 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है. पुल बनने से कई गांवों के ग्रामीणों को सुविधा और रोजगार के अवसर मिलेंगे.

लक्सर: उत्तराखंड-उत्तर प्रदेश की सीमा पर लक्सर को बिजनौर जनपद से जोड़ने वाले बालावाली पुल के निर्माण का कार्य तीन साल से अधिक समय से चल रहा है. पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. लेकिन उत्तराखंड की सीमा में बनने वाली 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण अधर में लटका हुआ है. इस कारण पुल पर आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है. इसमें 200 मीटर एप्रोच का निर्माण प्रांतीय खंड लोनिवि बिजनौर को करना है.

बता दें कि, 191 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश सेतु निगम करा रहा है. पुल का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. लक्सर बालावाली मार्ग से पुल को जोड़ने के लिए 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है.

लोक निर्माण विभाग के एई ललित कुमार बिष्ट ने बताया कि पुल के लिए उत्तराखंड की ओर 325 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण किया जाना है. इसमें 200 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण प्रांतीय खंड लोनिवि बिजनौर और शेष 125 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग लक्सर डिवीजन को करना है. पुल की एप्रोच रोड के लिए भूमि अधिग्रहण में शुरूआत में पेंच फंसा था, लेकिन इसके बाद भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने के बाद विभाग की ओर से यूपी लोनिवि को इसकी सूचना भेज दी गई थी. इस पर लोनिवि बिजनौर को अभी कार्य शुरू करना है.

उन्होंने बताया कि लक्सर से बालावाली तक केंद्रीय अवस्थापना सड़क निधि से 14.300 किमी सड़क का चौड़ीकरण और नवीनीकरण कार्य कराया जाना है. इसके लिए केंद्र से 2518.12 लाख की स्वीकृति मिल चुकी है. इसकी डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए राज्य सरकार को भेजी जा चुकी है. राज्य सरकार से स्वीकृति मिलते ही सड़क के चौड़ीकरण और नवीनीकरण का कार्य शुरू करा दिया जाएगा. संभवत: अगले एक दो माह में इस पर कार्य शुरू हो जाएगा.

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लक्सर और बिजनौर जनपद में सीधा संपर्क लक्सर-बालावाली पुल पर आवागमन शुरू होते ही लक्सर और बिजनौर तहसील सीधे सड़क मार्ग से जुड़ जाएंगे. अभी तक लक्सर से बिजनौर जाने के लिए हरिद्वार होते हुए जाना पड़ता है. हल्के वाहनों के लिए बालावाली में रेलवे के पुराने पुल का उपयोग हो रहा है. लेकिन भारी वाहनों को अभी भी 30 से 35 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है. पुल बनने से कई गांवों के ग्रामीणों को सुविधा और रोजगार के अवसर मिलेंगे.

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