लक्सर: आज के दौर में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं भी उतनी ही जरूरी हैं. लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं का जिम्मा संभाल रहे सीएम साहब शायद प्रदेश की जनता की ये जरूरत पूरी करने में नाकाम साबित हो रहे हैं. ये हम नहीं कह रहे बल्कि खानपुर स्थित सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुद बयां कर रहा है. स्वास्थ्य सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार हो या सरकार के नुमाइंदे, सबके दावों की पोल इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में खुलती साफ दिख रही है.
50 गांव की लगभग 94 हजार की आबादी के इलाज के लिए खानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोल तो दिया गया. लेकिन, एक डॉक्टर को तैनात कर उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग लोगों के स्वास्थ्य के साथ केवल खिलवाड़ करता हुआ दिख रहा है. डॉक्टरों की कमी और केंद्र के बदहाल हालत मरीजों की बीमारी कम करने की जगह उनके दर्द को और बढ़ा रहा है. इस स्वास्थ्य केंद्र में दरवाजे गले हुए हैं, मरीजों का आरोप है कि दवाइयों की पर्ची तो काट दी जाती है, लेकिन समय से कभी भी दवाई नहीं मिलती. यहां तक इमरजेंसी सेवा के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं है.
लोगों ने बताया कि खानपुर सीएचसी में कोई डॉक्टर और सुविधा नहीं है. खानपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोल तो दिया गया है, लेकिन ये स्वास्थ्य केंद्र सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है. यहां पैथोलॉजी की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. सीएचसी में केवल एक डॉक्टर हैं जो कभी-कभी ही अस्पताल में मिलते हैं.
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सामुदायिक केंद्र में मौजूद एक आशा ने बताया कि खानपुर सीएचसी में एम्बुलेंस जैसी इमरजेंसी सेवा की भी कोई व्यवस्था नहीं है, यहां केवल 108 के अलावा मरीजों के लिए और कोई व्यवस्था नहीं है. 108 भी कभी-कभी ही सुविधा मुहैया करा पाती है. ज्यादातर मरीजों को इमरजेंसी में अपनी निजी गाड़ी का इस्तेमाल करना पड़ता है.
जब इस बावत टीम ने खानपुर की चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर कोमल से बात की तो उन्होंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खानपुर में खामियों को स्वीकार करते हुए कहा कि वास्तव में मरीजों को परेशानी हो रही है. इस अस्पताल में जो भी कमियां हैं, उनका जल्दी ही निराकरण कर दिया जाएगा.
अब देखने वाली बात ये होगी कि इस सामुदायिक केंद्र में सरकार कब तक सभी सुविधा मुहैया कराकर जनता के दर्द को कम करती है.