हरिद्वार: संतों की वरिष्ठ संस्था कही जाने वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के गठन को लेकर एक बार फिर से कई संत लामबंद हो गए हैं. अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता और वरिष्ठ संत बाबा हठयोगी ने अखाड़ा परिषद के गठन पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से असंवैधानिक और नियमों को ताक पर रखकर अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है वह एकदम गलत है.
दोनों संतों ने बताया कि नियम अनुसार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री पद पर वैष्णो और संन्यासी परंपरा के संतों को आसीन होना चाहिए. लेकिन निरंजनी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरी और जूना अखाड़े के महंत हरी गिरी ने हरिद्वार में होने वाले कुंभ की करोड़ों की निधि डकारने के लिए नियमों को ताक पर रखकर बंद कमरे में अध्यक्ष और महामंत्री का पद क़ब्जा लिया है. यह दोनों संत संन्यास परंपरा से आते हैं. इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री पद केवल संन्यास परंपरा के संतों को ही मिले हैं.
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बाबा हठयोगी के अनुसार पहले नासिक फिर उज्जैन और इलाहाबाद कुंभ के बाद अब हरिद्वार कुंभ में भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री करोड़ों की कुंभ निधि हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए उत्तराखंड सरकार से लेकर कुंभ मेला प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है.
बाबा हठयोगी के मुताबिक कई संतों को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री ने दरकिनार कर दिया है. जिस वजह से कई संत नाराज हैं. आने वाले हरिद्वार महाकुंभ में कई साधु-संत इसका पुरजोर विरोध करेंगे. बाबा हठयोगी ने अखाड़ा परिषद को कुंभ माफिया परिषद कहा है.