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टीबी मुक्त अभियान में संत भी हुए शामिल, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने 100 मरीजों को लिया गोद

देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए हरिद्वार के संत भी आगे आ गए हैं. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने हरिद्वार में टीबी के 100 मरीजों को गोद लिया है. साथ ही प्रदेश में प्रधानमंत्री टीबी उन्मूलन अभियान के तहत प्रदेश में अब घर-घर जाकर टीबी मरीज खोज कर उनका उपचार किया जाएगा.

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Published : Nov 21, 2022, 7:33 PM IST

हरिद्वारः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को टीबी मुक्त (TB free campaign) बनाने के तहत चलाए जा रहे अभियान में हरिद्वार के संत भी शामिल हुए. हरिद्वार के संतों ने भी इस अभियान को सफल बनाने और देश को टीबी मुक्त बनाने के अभियान को अपनाते हुए अपना योगदान देना शुरू कर दिया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रविंद्रपुरी ने आज ऐसे 100 टीबी मरीजों को अडॉप्ट किया है और मरीजों को पोषाहार वितरित किया है. यह पोषाहार उनको हर महीने उपलब्ध कराया जाएगा.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज का कहना है कि हमारा टीबी मुक्त भारत का मिशन (TB free India mission) शुरू हुआ है. इस मिशन में हमारे उत्तराखंड के अधिकारी हैं. इनका यह प्रयास है कि उत्तराखंड को सबसे पहले टीबी मुक्त करना है. टीबी की दवाई सरकार द्वारा निशुल्क दी जाती है. परंतु इनका जो खाने पीने का दाल, प्रोटीन, मूंगफली है वह नहीं मिल पाती है. उसके लिए हरिद्वार के संत महात्मा और संस्थाएं आगे आएंगी.
ये भी पढ़ेंः मंत्री गणेश जोशी ने ली उद्यान विभाग की बैठक, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पर की चर्चा

घर घर जाकर इलाजः प्रधानमंत्री टीबी उन्मूलन अभियान (Prime Minister TB Eradication Campaign) के तहत प्रदेश में अब घर-घर जाकर टीबी मरीज खोज कर उनका उपचार किया जाएगा. इसके लिए सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं. दरअसल, पहले चरण में सूबे के 6 जनपदों में एक्टिव टीबी केस फाइंडिंग कैंपेन (TB case finding campaign) चलाया जाएगा.ये जानकारी स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने दी. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड को साल 2024 तक टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं.

इसी अभियान के तहत 21 नवंबर 2022 से 20 दिसंबर 2022 तक प्रदेश के 6 जनपदों में घर-घर जाकर टीबी रोगियों की पहचान की जाएगी तथा इस अभियान के दौरान सामने आए एक्टिव टीबी मरीजों का संबंधित क्षेत्र के अस्पतालों के जरिए उपचार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के आहृान पर पूरे देश में टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत भारत में वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को एनएचएम के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

अभियान के प्रथम चरण में जनपद अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ, ऊधमसिंहनगर तथा उत्तरकाशी में घर-घर जाकर टीबी मरीजों की खोज की जाएगी. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस अभियान के तहत शहरी एवं ग्रामीण मलिन बस्तियों, संवेदनशील जनसंख्या वाले क्षेत्रों, एचआईवी एवं मधुमेह से ग्रसित रोगी. सब्जी एवं फल मंडी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट, ईंट भट्टे, स्टोन क्रेशर, नदियों में चुगान करते मजदूरों, साप्ताहिक बाजार, अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा एवं कारागार में व्यापक जन-जागरूकता अभियान के साथ ही एक रणनीति के तहत टीबी लक्षणों से ग्रसित व्यक्तियों को चिन्हिंत कर उनकी जांच कराई जाएगी.

हरिद्वारः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को टीबी मुक्त (TB free campaign) बनाने के तहत चलाए जा रहे अभियान में हरिद्वार के संत भी शामिल हुए. हरिद्वार के संतों ने भी इस अभियान को सफल बनाने और देश को टीबी मुक्त बनाने के अभियान को अपनाते हुए अपना योगदान देना शुरू कर दिया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रविंद्रपुरी ने आज ऐसे 100 टीबी मरीजों को अडॉप्ट किया है और मरीजों को पोषाहार वितरित किया है. यह पोषाहार उनको हर महीने उपलब्ध कराया जाएगा.

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज का कहना है कि हमारा टीबी मुक्त भारत का मिशन (TB free India mission) शुरू हुआ है. इस मिशन में हमारे उत्तराखंड के अधिकारी हैं. इनका यह प्रयास है कि उत्तराखंड को सबसे पहले टीबी मुक्त करना है. टीबी की दवाई सरकार द्वारा निशुल्क दी जाती है. परंतु इनका जो खाने पीने का दाल, प्रोटीन, मूंगफली है वह नहीं मिल पाती है. उसके लिए हरिद्वार के संत महात्मा और संस्थाएं आगे आएंगी.
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घर घर जाकर इलाजः प्रधानमंत्री टीबी उन्मूलन अभियान (Prime Minister TB Eradication Campaign) के तहत प्रदेश में अब घर-घर जाकर टीबी मरीज खोज कर उनका उपचार किया जाएगा. इसके लिए सभी जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं. दरअसल, पहले चरण में सूबे के 6 जनपदों में एक्टिव टीबी केस फाइंडिंग कैंपेन (TB case finding campaign) चलाया जाएगा.ये जानकारी स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने दी. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड को साल 2024 तक टीबी मुक्त प्रदेश बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं.

इसी अभियान के तहत 21 नवंबर 2022 से 20 दिसंबर 2022 तक प्रदेश के 6 जनपदों में घर-घर जाकर टीबी रोगियों की पहचान की जाएगी तथा इस अभियान के दौरान सामने आए एक्टिव टीबी मरीजों का संबंधित क्षेत्र के अस्पतालों के जरिए उपचार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के आहृान पर पूरे देश में टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत भारत में वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है. इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को एनएचएम के माध्यम से दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

अभियान के प्रथम चरण में जनपद अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ, ऊधमसिंहनगर तथा उत्तरकाशी में घर-घर जाकर टीबी मरीजों की खोज की जाएगी. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस अभियान के तहत शहरी एवं ग्रामीण मलिन बस्तियों, संवेदनशील जनसंख्या वाले क्षेत्रों, एचआईवी एवं मधुमेह से ग्रसित रोगी. सब्जी एवं फल मंडी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट, ईंट भट्टे, स्टोन क्रेशर, नदियों में चुगान करते मजदूरों, साप्ताहिक बाजार, अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा एवं कारागार में व्यापक जन-जागरूकता अभियान के साथ ही एक रणनीति के तहत टीबी लक्षणों से ग्रसित व्यक्तियों को चिन्हिंत कर उनकी जांच कराई जाएगी.

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