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अतिक्रमण पर चला प्रशासन का पीला पंजा, आशियानों को टूटता देख रोने-बिलखने लगे लोग - Nainital High Court order

हकीमपुर तुर्रा गांव में हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त करने की कार्रवाई की गई. एसडीएम भगवानपुर के नेतृत्व पर कार्रवाई की गई.

अतिक्रमण पर चला प्रशासन का पीला पंजा
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Published : Sep 5, 2019, 10:33 AM IST

रुड़की: हाई कोर्ट के आदेश के बाद रुड़की में भगवानपुर क्षेत्र के हकीमपुर तुर्रा गांव में अतिक्रमण पर प्रशासन का पीला पंजा चला. तालाब पर बने 36 मकानों पर कार्रवाई की गई. जिससे कई लोग बेघर हो गए हैं. अपने आशियाने को टूटता देख लोग रोने बिलखने लगे. इस दौरान उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई का भी विरोध किया. लेकिन मौके पर भारी पुलिस फोर्स के सामने उनकी एक नहीं चली. वहीं प्रशासन की इस कार्रवाई से लोगों में खासा रोष है.

अतिक्रमण पर चला प्रशासन का पीला पंजा.

दरअसल, प्रशासन की टीम जैसे ही भगवानपुर तहसील के हकीमपुर तुर्रा गांव में अतिक्रमण पर कार्रवाई के लिए पहुंची, तो लोगों में हड़कंप मच गया. जहां लोग सालों से निवास कर रहे थे. गांव में मकानों पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त करने की कार्रवाई की. एस डी एम भगवानपुर के नेतृत्व पर कार्रवाई की गई. बताया जा रहा है कि एक ग्रामीण ने कोर्ट में शिकायत की थी कि तालाब पर कुछ ग्रामीणों ने अतिक्रमण किया हुआ है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. आदेश मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और 36 परिवारों पर अतिक्रमण की कार्रवाई की गई. जिससे कई लोग बेघर हो गए हैं.

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आशियानों को टूटता देख रोने-बिलखने लगे लोग.

पढ़ें-युवा व्यापारी की हत्या के मामले में हाई कोर्ट का फैसला, तीन आरोपियों की उम्र कैद की सजा बरकरार

अपने आशियाने को टूटता देख लोग रोने बिलखने लगे. कुछ ग्रामीणों ने खुद अपने पुश्तैनी मकानों पर हथौड़ा चलाया और रोते बिलखते रहे. साथ ही ग्रामीणों ने सीधे तौर से प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आखिरकार अगर मकान सरकारी थे तो उन्हें तालाब पर क्यों बनाने दिया गया. वहीं सैंकड़ो लोग बेघर हो गए है और सरकार या कोई भी जनप्रतिनिधि उनकी सुध नहीं ले रहा है. वहीं मौके पर पहुंचे एस डी एम भगवानपुर संतोष कुमार पांडेय ने बताया कि तालाबों में बने मकानों पर कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई की गई है.

रुड़की: हाई कोर्ट के आदेश के बाद रुड़की में भगवानपुर क्षेत्र के हकीमपुर तुर्रा गांव में अतिक्रमण पर प्रशासन का पीला पंजा चला. तालाब पर बने 36 मकानों पर कार्रवाई की गई. जिससे कई लोग बेघर हो गए हैं. अपने आशियाने को टूटता देख लोग रोने बिलखने लगे. इस दौरान उन्होंने प्रशासन की कार्रवाई का भी विरोध किया. लेकिन मौके पर भारी पुलिस फोर्स के सामने उनकी एक नहीं चली. वहीं प्रशासन की इस कार्रवाई से लोगों में खासा रोष है.

अतिक्रमण पर चला प्रशासन का पीला पंजा.

दरअसल, प्रशासन की टीम जैसे ही भगवानपुर तहसील के हकीमपुर तुर्रा गांव में अतिक्रमण पर कार्रवाई के लिए पहुंची, तो लोगों में हड़कंप मच गया. जहां लोग सालों से निवास कर रहे थे. गांव में मकानों पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने अतिक्रमण मुक्त करने की कार्रवाई की. एस डी एम भगवानपुर के नेतृत्व पर कार्रवाई की गई. बताया जा रहा है कि एक ग्रामीण ने कोर्ट में शिकायत की थी कि तालाब पर कुछ ग्रामीणों ने अतिक्रमण किया हुआ है. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. आदेश मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और 36 परिवारों पर अतिक्रमण की कार्रवाई की गई. जिससे कई लोग बेघर हो गए हैं.

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आशियानों को टूटता देख रोने-बिलखने लगे लोग.

पढ़ें-युवा व्यापारी की हत्या के मामले में हाई कोर्ट का फैसला, तीन आरोपियों की उम्र कैद की सजा बरकरार

अपने आशियाने को टूटता देख लोग रोने बिलखने लगे. कुछ ग्रामीणों ने खुद अपने पुश्तैनी मकानों पर हथौड़ा चलाया और रोते बिलखते रहे. साथ ही ग्रामीणों ने सीधे तौर से प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आखिरकार अगर मकान सरकारी थे तो उन्हें तालाब पर क्यों बनाने दिया गया. वहीं सैंकड़ो लोग बेघर हो गए है और सरकार या कोई भी जनप्रतिनिधि उनकी सुध नहीं ले रहा है. वहीं मौके पर पहुंचे एस डी एम भगवानपुर संतोष कुमार पांडेय ने बताया कि तालाबों में बने मकानों पर कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई की गई है.

Intro:हाई कोर्ट के आदेश के बाद रुड़की में भगवानपुर क्षेत्र के हकीमपुर तुर्रा गांव में आज प्रशासन ने पहुंचकर तालाब पर बने 36 मकानों को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जहां पर सैंकड़ो ग्रामीण आज बेघर हो गए ग्रामीणों ने प्रशासन पर कई गम्भीर आरोप लगाए और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए इस दौरान भारी तादाद में पुलिस फोर्स मौजूद रही लोगो के सैंकड़ो साल पुराने आशियाने उजड़ते रहे और बेघर हुए मजबूर लोग बिलखते रहे।

दरअसल तस्वीरों में जो रोते बिलखते लोग आप लोगो को दिखाई दे रहे है वो भगवानपुर तहसील के हकीमपुर तुर्रा गांव के वो लोग है जिनके सैंकड़ो सालो से बाप दादा के बनाये हुए मकान आज माननीय हाई कोर्ट के आदेश के बाद एस डी एम भगवानपुर द्वारा तोड़े जा रहे है बताया जा रहा है कि एक ग्रामीण ने कोर्ट में शिकायत की थी कि तालाब पर कुछ ग्रामीणों ने अतिक्रमण किया हुआ है जिसके बाद हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया और आज 36 परिवारों को उनके घरों से बेघर कर दिया गया, वहीं जेसीबी मशीनों से मजबूर लोगो के सामने ही उनके घरों को तोड़ा गया कुछ ग्रामीणों ने खुद अपने पुश्तैनी मकानों पर हथौड़ा चलाया और रोते बिलखते रहे कई उन लोगों के मकानों को भी तोड़ दिया गया जिनके मकान सरकार ने ही बनवाये थे जिस पर ग्रामीणों ने सीधे तौर से प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आख़िकार अगर मकान सरकारी थे तो उन्हें तालाब पर क्यो बनाये गए थे आज सैंकड़ो लोग बेघर हो गए है और सरकार या कोई ज़िम्मेदार इन बेघरों को कोई आश्वासन देने के लिए तैयार नही है।

बाइट - ग्रामीण

Body:वही मौके पर पहुंचे एस डी एम भगवानपुर संतोष कुमार पांडेय ने बताया कि तालाबों में बने मकानों को कोर्ट के आदेश पर तोड़ा जा रहा है पूछने पर उन्होंने बताया कि प्रधान द्वारा बेघर हुए लोगो का कुछ इंतज़ाम किया जाएगा।

बाइट - संतोष कुमार पांडेय (एस डी एम भगवानपुर)

Conclusion:माननीय कोर्ट के आदेश भले ही इन गरीबो के आशियानों को तोड़ने के लिए जारी किए गए हो लेकिन स्थानीय प्रशासन जो सरकार की नुमाइंदगी कर रहे है उन्हें इन बेघर हुए लोगो के लिए विस्थापन करने का इंतज़ाम ज़रूर करना चाहिए था ताकि आज सैंकड़ो लोग महिलाओं और बच्चों समेत बेघर न होते अब सैंकड़ो लोग कहाँ जाएंगे कैसे रहेंगे ये एक बड़ा सवाल है।
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