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महाकुंभ 2021: मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए इस प्लान पर काम कर रहा वन विभाग, जानिए क्या कहा दीपक रावत ने

मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए महकमे ने यहां आने वाले हाथियों की पहचान कर उनको रेडियो कॉलर लगाने की योजना बनाई है. फिलहाल वन विभाग दस हाथियों में रेडियो कॉलर लगा कर इसकी शुरुआत करेगा.

हरिद्वार
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Published : Nov 11, 2019, 5:45 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 6:33 PM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पुलिस-प्रशासन और वन विभाग के सामने आगामी कुंभ मेले के दौरान जंगली जानवरों को रिहायसी इलाकों में आने से रोकना और उन पर काबू करना बड़ी चुनौती होगी. हालांकि प्रशासन ने इस पर योजना बनानी शुरू कर दी है.

2021 में होने वाले हरिद्वार महाकुंभ को लेकर शासन-प्रशासन ने अपने स्तर पर अभी से तैयारी शुरू कर दी है. पुलिस और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती और डर जंगली जानवर हैं. जिसके लिए वन विभाग ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है. जिस पर मेला प्रशासन जल्द ही अपनी स्वीकृति देगा.

मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने का एक्शन प्लान

पढ़ें- हरिद्वार: गुलदार की दस्तक से खौफजदा लोग, वन महकमे से की निजात दिलाने की मांग

कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि बीते कुछ दिनों में मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हुआ है. वन विभाग और गंगा किनारे बने टापुओं पर जहां कुंभ क्षेत्र का विस्तार हुआ है, वहां वन्य जीवों का खतरा है. इस खतरे से निपटने के लिए वन विभाग ने एक योजना तैयारी की है. जल्द ही उस पर काम शुरू कर दिया जाएगा.

दरअसल, इस बार कुंभ मेले का क्षेत्र बढ़ाया गया है. कुंभ नगर क्षेत्र का विस्तार नील धारा तट से कांगड़ी गांव तक किया गया है. इस क्षेत्र में अकसर गंगा पार करके हाथी समेत अन्य जंगली जानवर आबादी वालों क्षेत्रों में घुस जाते हैं, जहां वो किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते है. जिस कारण मानव और वन्यजीवों को बीच संघर्ष बढ़ा है.

पढ़ें- हरिद्वार में स्लॉटर हाउस के विरोध में आए BJP के 3 विधायक, DM को हटाने की मांग

इस संघर्ष को रोकने के लिए महकमे ने यहां आने वाले हाथियों की पहचान कर उनको रेडियो कॉलर लगाने की योजना बनाई है. जिसके तहत जल्द ही इन हाथियों को रेडियो कॉलर लगा कर आबादी क्षेत्र में आने से रोका जाएगा. फिलहाल वन विभाग दस हाथियों में रेडियो कॉलर लगा कर इसकी शुरुआत करेगा.

हरिद्वार: उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पुलिस-प्रशासन और वन विभाग के सामने आगामी कुंभ मेले के दौरान जंगली जानवरों को रिहायसी इलाकों में आने से रोकना और उन पर काबू करना बड़ी चुनौती होगी. हालांकि प्रशासन ने इस पर योजना बनानी शुरू कर दी है.

2021 में होने वाले हरिद्वार महाकुंभ को लेकर शासन-प्रशासन ने अपने स्तर पर अभी से तैयारी शुरू कर दी है. पुलिस और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती और डर जंगली जानवर हैं. जिसके लिए वन विभाग ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है. जिस पर मेला प्रशासन जल्द ही अपनी स्वीकृति देगा.

मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने का एक्शन प्लान

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कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि बीते कुछ दिनों में मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हुआ है. वन विभाग और गंगा किनारे बने टापुओं पर जहां कुंभ क्षेत्र का विस्तार हुआ है, वहां वन्य जीवों का खतरा है. इस खतरे से निपटने के लिए वन विभाग ने एक योजना तैयारी की है. जल्द ही उस पर काम शुरू कर दिया जाएगा.

दरअसल, इस बार कुंभ मेले का क्षेत्र बढ़ाया गया है. कुंभ नगर क्षेत्र का विस्तार नील धारा तट से कांगड़ी गांव तक किया गया है. इस क्षेत्र में अकसर गंगा पार करके हाथी समेत अन्य जंगली जानवर आबादी वालों क्षेत्रों में घुस जाते हैं, जहां वो किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते है. जिस कारण मानव और वन्यजीवों को बीच संघर्ष बढ़ा है.

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इस संघर्ष को रोकने के लिए महकमे ने यहां आने वाले हाथियों की पहचान कर उनको रेडियो कॉलर लगाने की योजना बनाई है. जिसके तहत जल्द ही इन हाथियों को रेडियो कॉलर लगा कर आबादी क्षेत्र में आने से रोका जाएगा. फिलहाल वन विभाग दस हाथियों में रेडियो कॉलर लगा कर इसकी शुरुआत करेगा.

Intro:एंकर:- पिछले कुछ दिनों ने वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। हरिद्वार के ग्रामीण क्षेत्रों और भेल क्षेत्र में तो लोगो को जान तक गँवानी पड़ गई। और ऐसे में धर्मनगरी हरिद्वार में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले में जंगली जानवरों द्वारा प्रभावित होने का खतरा सता रहा है। और अब इन्ही घटनाओं को ध्यान में रखते हुए वन विभाग और कुंभ मेला प्रशासन अपनी योजना बना रहा है।Body:
वीओ:- महाकुंभ मेले को तैयारियां जारी है। हरिद्वार जनपद में गुलदार और हाथियों के आबादी क्षेत्र में घुसने और इस संघर्ष में कई लोगो की मौत के बाद प्रशासन ने तैयारियां में बदलाव किया है। वन विभाग ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है जिस पर मेला प्रशासन जल्द ही अपनी स्वीकृति देगा। कुम्भ मेलाधिकारी दीपक रावत ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि इन दिनों में मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हुआ है, वन विभाग और गँगा किनारे बने टापुओं पर जहां कुंभ क्षेत्र का विस्तार हुआ है वन्य जीवों के खतरा है उसको देखते हुए वन विभाग तैयारी कर रहा है। उनको वन विभाग द्वारा तैयार कार्ययोजना मिल गई है जल्द ही उस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

वीओ2:- कुम्भ मेला क्षेत्र का दायरा बढ़ाये जाने के बाद से वन महकमे के लिए वन्य जीवों को मेला और आबादी क्षेत्र में आने से रोकना वन महकमे के लिए कड़ी चुनौती बना हुआ है । जिसके लिए महकमे ने कई प्रस्ताव बनाकर मेला प्रशासन को भेजे है जिसमें सबसे प्रमुख हाथियों को मेला और आबादी क्षेत्र में आने से रोकना है । दरसल कुम्भ मेले के दौरान बनाये जाने वाले कुम्भ नगर क्षेत्र को नील धारा तट से कांगड़ी गॉव तक बढ़ाया गया है । इस बढ़े हुए क्षेत्र में कई जगह से हाथी व अन्य वन्य जीव जंगलो से निकल कर गंगा पार करते हुए आबादी वाले क्षेत्रों में घुस कर वहां के किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं । कई बार इस दौरान वन्य जीव मानव संघर्ष भी देखने को मिलता है । इस संघर्ष को रोकने के लिए महकमे ने यहां आने वाले हाथियों की पहचान कर उनको रेडियो कॉलर लगाने की योजना बनाई है। जिसके तहत जल्द ही इन हाथियों को रेडियो कॉलर लगा कर आबादी क्षेत्र में आने से रोका जाएगा। फिलहाल वन महकमे द्वारा 10 हाथियों को रेडियो कॉलर लगा कर इसकी शुरुवात की जाएगी ।

Conclusion:बाइट:- आकाश कुमार वर्मा, डीएफओ, हरिद्वार
बाइट:- दीपक रावत, कुंभ मेलाधिकारी
Last Updated : Nov 11, 2019, 6:33 PM IST
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