हरिद्वार: उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से वन्यजीव और मानव संघर्ष की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पुलिस-प्रशासन और वन विभाग के सामने आगामी कुंभ मेले के दौरान जंगली जानवरों को रिहायसी इलाकों में आने से रोकना और उन पर काबू करना बड़ी चुनौती होगी. हालांकि प्रशासन ने इस पर योजना बनानी शुरू कर दी है.
2021 में होने वाले हरिद्वार महाकुंभ को लेकर शासन-प्रशासन ने अपने स्तर पर अभी से तैयारी शुरू कर दी है. पुलिस और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती और डर जंगली जानवर हैं. जिसके लिए वन विभाग ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है. जिस पर मेला प्रशासन जल्द ही अपनी स्वीकृति देगा.
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कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि बीते कुछ दिनों में मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा हुआ है. वन विभाग और गंगा किनारे बने टापुओं पर जहां कुंभ क्षेत्र का विस्तार हुआ है, वहां वन्य जीवों का खतरा है. इस खतरे से निपटने के लिए वन विभाग ने एक योजना तैयारी की है. जल्द ही उस पर काम शुरू कर दिया जाएगा.
दरअसल, इस बार कुंभ मेले का क्षेत्र बढ़ाया गया है. कुंभ नगर क्षेत्र का विस्तार नील धारा तट से कांगड़ी गांव तक किया गया है. इस क्षेत्र में अकसर गंगा पार करके हाथी समेत अन्य जंगली जानवर आबादी वालों क्षेत्रों में घुस जाते हैं, जहां वो किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते है. जिस कारण मानव और वन्यजीवों को बीच संघर्ष बढ़ा है.
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इस संघर्ष को रोकने के लिए महकमे ने यहां आने वाले हाथियों की पहचान कर उनको रेडियो कॉलर लगाने की योजना बनाई है. जिसके तहत जल्द ही इन हाथियों को रेडियो कॉलर लगा कर आबादी क्षेत्र में आने से रोका जाएगा. फिलहाल वन विभाग दस हाथियों में रेडियो कॉलर लगा कर इसकी शुरुआत करेगा.