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साधु-संतों ने किया 108 बाल कन्याओं का पूजन, कोरोना महामारी के खात्मे की कामना

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर वीरेंद्रनंद ने बताया कि उन्होंने 108 कन्याओं की पूजा करने का संकल्प लिया था. आज यह पूजा संपन्न हुई है. मां दुर्गा से प्राण घातक महामारी कोरोना को विश्वभर से जड़ से खत्म करने की प्रार्थना की गई.

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साधु-संतों ने किया कन्याओं का पूजन
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Published : Apr 20, 2021, 7:08 PM IST

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में अष्टमी के दिन साधु-संतों ने 108 कन्याओं की पूजा की. इस अवसर पर सभी साधु-संतों ने मां से कोरोना महामारी का खात्मा करने की कामना की.

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर वीरेंद्रनंद ने बताया कि उन्होंने 108 कन्याओं की पूजा करने का संकल्प लिया था. आज यह पूजा संपन्न हुई है. मां दुर्गा से प्राण घातक महामारी कोरोना को विश्वभर से जड़ से खत्म करने की प्रार्थना की गई. उधर जूना अखाड़े के महंत सहदेवानंद गिरी का कहना है कि प्राचीन काल में जब देवी-देवताओं के ऊपर संकट आता था वो भी सबसे पहले शक्ति को ही मनाते थे और शक्ति प्रसन्न होकर उनके सभी दुखों का निवारण कर देती थीं.

ये भी पढ़ें: अभिभावकों की शिकायत पर RTE को लेकर बाल आयोग ने शिक्षा निदेशक को लिखा पत्र

महंत ने कहा कि हमारे सनातन धर्म में अष्टमी और नवमी के दिन मां दुर्गा की की विशेष पूजा की जाती है. अष्टमी और नवमी के दिन हम उपासना, साधना और व्रत के साथ कन्या का पूजन करते हैं. प्राचीन काल से ये मान्यता चली आ रही है कि बाल कन्याओं में मां का वास होता है. इसीलिए अष्टमी के दिन हम बाल कन्याओं का पूजन करते हैं. जब कभी इस संसार के ऊपर कोई कष्ट आया है, तो मां ने ही संसार को उस कष्ट से उबारा है. हमें विश्वास है कि मां इस कोरोना महामारी को भी खत्म करके इस संसार को बचाएंगी.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में अष्टमी के दिन साधु-संतों ने 108 कन्याओं की पूजा की. इस अवसर पर सभी साधु-संतों ने मां से कोरोना महामारी का खात्मा करने की कामना की.

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर वीरेंद्रनंद ने बताया कि उन्होंने 108 कन्याओं की पूजा करने का संकल्प लिया था. आज यह पूजा संपन्न हुई है. मां दुर्गा से प्राण घातक महामारी कोरोना को विश्वभर से जड़ से खत्म करने की प्रार्थना की गई. उधर जूना अखाड़े के महंत सहदेवानंद गिरी का कहना है कि प्राचीन काल में जब देवी-देवताओं के ऊपर संकट आता था वो भी सबसे पहले शक्ति को ही मनाते थे और शक्ति प्रसन्न होकर उनके सभी दुखों का निवारण कर देती थीं.

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महंत ने कहा कि हमारे सनातन धर्म में अष्टमी और नवमी के दिन मां दुर्गा की की विशेष पूजा की जाती है. अष्टमी और नवमी के दिन हम उपासना, साधना और व्रत के साथ कन्या का पूजन करते हैं. प्राचीन काल से ये मान्यता चली आ रही है कि बाल कन्याओं में मां का वास होता है. इसीलिए अष्टमी के दिन हम बाल कन्याओं का पूजन करते हैं. जब कभी इस संसार के ऊपर कोई कष्ट आया है, तो मां ने ही संसार को उस कष्ट से उबारा है. हमें विश्वास है कि मां इस कोरोना महामारी को भी खत्म करके इस संसार को बचाएंगी.

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