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जर्मनी से आए साधकों ने परमार्थ निकेतन में किया योग, पर्यावरण संरक्षण का लिया संकल्प

जर्मनी से आए दल ने परमार्थ निकेतन का भ्रमण किया. साथ ही योग और ध्यान की कक्षाओं में सहभाग कर आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया.

जर्मनी से आए योग साधकों ने परमार्थ निकेतन में किया योग
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Published : Oct 31, 2019, 11:14 PM IST

ऋषिकेशः परमार्थ निकेतन में इन दिनों जर्मनी से साधकों और योग जिज्ञासुओं का दल आया है. दल के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर योग, जल और पर्यावरण प्रदूषण जैसे अनेक वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने दल के सदस्यों को विश्वशांति स्थापना के साथ पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी दिलाया.

जर्मनी से आए दल ने परमार्थ निकेतन का भ्रमण किया. साथ ही योग और ध्यान की कक्षाओं में सहभाग कर आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया. दल ने स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्वस्तर पर कार्य कर रहे जीवा, संगठन द्वारा संचालित विश्व शौचालय कॉलेज की गतिविधियों का अवलोकन किया.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जर्मनी से आए दल के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें मिलकर प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति मानवीय रवैया अपनाना होगा और प्रकृति के साथ विनम्रता का व्यवहार करना होगा. तभी हम एक समृद्ध और शांत विश्व के निर्माण की परिकल्पना साकार कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंःदेहरादून में आयोजित हुई राष्ट्रीय एकता परेड, कम वक्त में केस सुझलाने पर SP श्वेता चौबे सम्मानित

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रदूषण, घटता जल और दूषित होती प्राणवायु की समस्या वैश्विक स्तर पर है. इसके समाधान के लिए प्रयत्न भी वैश्विक स्तर पर ही संभव है. स्वामी ने योगियों से पर्यावरण प्रेमी-प्रकृति मित्र बनने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भागीदारी हो तो विलक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.

ऋषिकेशः परमार्थ निकेतन में इन दिनों जर्मनी से साधकों और योग जिज्ञासुओं का दल आया है. दल के सदस्यों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर योग, जल और पर्यावरण प्रदूषण जैसे अनेक वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने दल के सदस्यों को विश्वशांति स्थापना के साथ पर्यावरण संरक्षण का संकल्प भी दिलाया.

जर्मनी से आए दल ने परमार्थ निकेतन का भ्रमण किया. साथ ही योग और ध्यान की कक्षाओं में सहभाग कर आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया. दल ने स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्वस्तर पर कार्य कर रहे जीवा, संगठन द्वारा संचालित विश्व शौचालय कॉलेज की गतिविधियों का अवलोकन किया.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जर्मनी से आए दल के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें मिलकर प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति मानवीय रवैया अपनाना होगा और प्रकृति के साथ विनम्रता का व्यवहार करना होगा. तभी हम एक समृद्ध और शांत विश्व के निर्माण की परिकल्पना साकार कर सकते हैं.

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उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रदूषण, घटता जल और दूषित होती प्राणवायु की समस्या वैश्विक स्तर पर है. इसके समाधान के लिए प्रयत्न भी वैश्विक स्तर पर ही संभव है. स्वामी ने योगियों से पर्यावरण प्रेमी-प्रकृति मित्र बनने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भागीदारी हो तो विलक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते हैं.

Intro:ऋषिकेश-- परमार्थ निकेतन में जर्मनी के विभिन्न शहरों से साधकों एवं योग जिज्ञासुओं का दल आया। दल के सदस्यों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात कर योग, जल और पर्यावरण प्रदूषण और समाधान जैसे अनेक वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।


Body:वी/ओ--जर्मनी से आये दल ने परमार्थ निकेतन का भ्रमण किया। साथ ही योग और ध्यान की कक्षाओं में सहभाग कर आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया। स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्व स्तर पर कार्य कर रहा जीवा, संगठन द्वारा संचालित विश्व शौचालय काॅलेज की गतिविधियों का अवलोकन किया स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने जर्मनी से आये दल के सदस्यों को सम्बोधित करते हुये कहा कि जलवायु परिवर्तन, जल प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिग जैसी समस्यायें किसी एक राष्ट्र की नहीं है बल्कि सम्पूर्ण विश्व की है इसलिये इसके लिये समाधान भी मिलकर किये जाये तो हम बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते है। उन्होने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भागीदारी हो तो विलक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते है। जिस प्रकार पूरे विश्व में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है वह लम्बे समय तक न तो व्यवहारिक है न ही संभव है अतः इसके भयावह परिणाम प्राप्त हो उससे पहले हमें पहल करनी होगी।






Conclusion:वी/ओ--  पिछली पीढ़ियों की जलवायु के प्रति उदासीनता का परिणाम आज की युवा पीढ़ी के लिये घातक है अतः युवा पीढ़ी को चाहिये कि वे अपनी रचनात्मकता, नवीनता और अन्वेषण के आधार पर पर्यावरण संरक्षण के नये तरीके खोजे यही सबसे बेहतर समाधान है। अल्बर्ट आइंस्तीन के कहा था कि यदि मानवता को जीवित रहना है तो हमें सोच के नये तरीकों की आवश्यकता होगी। मुझे तो लगता है अब वह समय आ गया है जब हम अपनी सोच को बदले और प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन करे।विश्व स्तर पर जल की आपूर्ति हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती के सान्निध्य में जर्मनी से आये दल के सदस्यों ने विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया। स्वामी जी ने दल के सदस्यों को पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया।

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