देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने योग के प्रचार-प्रसार को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे लेकिल हकीकत विपरीत है. हालत ये है कि उत्तराखंड कि योग ब्रांड एम्बेसडर गली-गली भटक रही हैं,कोई उनकी सुध लेने वाला नहीं है. उत्तराखंड सरकार ने दिलराज प्रीत कौर को दो साल पहले ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया था.
दरअसल दिलराज प्रीत कौर का नाम साल 2017 में पहली बार चर्चा में आया जब तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने पहले योग दिवस पर दिलराज को उत्तराखंड में योग का ब्रांड एम्बेसडर घोषित किया. दिलराज को ये तमगा यूं ही नहीं दिया गया. दिलराज देश- विदेश में योग के क्षेत्र में कई मेडल जीत चुकी हैं.
दिलराज इसी साल जुलाई में संविदा पर योग प्रशिक्षक के रूप में देहरादून में आयुर्वेद विश्विद्यालय में नियुक्त हुईं. दिलराज के लिए दिक्कतें एक साल बाद यानी 2018 से शुरू हो गईं. दिलराज प्रीत को आयुर्वेद विवि से अनुबंध खत्म होने के बाद सेवा विस्तार नहीं मिला. हालांकि तब से लेकर अब तक दिलराज लगातार विवि में प्रशिक्षण दे रही हैं और अनुबंध का समय बढ़ाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही हैं.
इसके बावजूद भी दिलराज को अभी तक तनख्वाह नहीं मिली है. ये हाल तब है जब मुख्यमंत्री से लेकर आयुष मंत्री तक दिलराज कौर के अनुबंध की फाइल को लेकर उन्हें भरोसा दिला चुके हैं, लेकिन शासन में बैठे अधिकारी दिलराज को कभी फाइल का नंबर लाने के लिए दौड़ाते हैं, तो कभी वे लोकेशन जानने के लिए सचिवालय में चक्कर मारती हुई दिखाई देती हैं. हालांकि दिलराज जल्द फाइल पर अंतिम निर्णय होने की उम्मीद जता रही हैं.
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ब्यूरोक्रेट्स को फाइलें जल्द निपटारे से जुड़े निर्देश कई बार दे चुके हैं, लेकिन इन निर्देशों को अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं, इसका ताजा उदाहरण दिलराज को देखकर लगाया जा सकता है. बहरहाल दिलराज प्रीत को उम्मीद है कि उनका काम जल्द होगा.