हल्द्वानी: कुमाऊं में इन दिनों जगह-जगह उत्तरायणी मेले की धूम देखी जा रही है. हल्दूचौड़ में सात दिवसीय पौराणिक उत्तरायणी मेला चल रहा है. इसमें कुमाऊंनी और गढ़वाली संस्कृति का समागम भी देखने को मिल रहा है. कड़ाके की ठंड के बीच लोग उत्तराखंड की लोक संस्कृति और लोक कला को देखने के लिए दूर-दूर से उत्तरायणी मेले में पहुंच रहे हैं. मेले के तीसरे दिन उत्तराखंड की मशहूर लोक गायिका माया उपाध्याय के सुरों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. वहीं, लोक गायक गजेंद्र राणा ने भी कुमाऊंनी गीतों पर लोगों को थिरकने को मजबूर कर दिया.
प्रसिद्ध लोक गायिका माया उपाध्याय ने जैसे ही मंच संभाला तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पंडाल गूंज उठा. ठंड के बीच बड़ी संख्या में पहुंची महिलाएं और पुरुष उनकी प्रस्तुति को सुनने के लिए बेताब दिखे. इसके बाद लोक गायिका माया उपाध्याय ने 'चाहा को होटल खोलुलो इत्ति टनकपुर...., हाई काकड़ी झिलमा… क्रीम पौडरा घिसने किले नै..., लाली हो लाली हंसिया, पधानी लाली तिले धारू बोला...' जैसे कई कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों से लोगों दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.
ईटीवी भारत पर लोक गायिका माया उपाध्याय ने की ये अपील: वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत में लोक गायिका माया उपाध्याय ने सभी को उत्तरायणी और कौतिक, घुघुतिया की बधाई दी. उन्होंने सभी से पहाड़ी बोली भाषा और वेशभूषा को जीवित रखने के लिए आगे आने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति को बचाने के लिए इस तरह के मेलों आदि के आयोजनों की जरूरत है. साथ ही कहा कि युवाओं को अपनी संस्कृति बचाने के लिए आगे आना चाहिए, जिससे पहाड़ की संस्कृति इसी तरह से आगे जीवित रहे.
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