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World Mental Health Day 2020: अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें पूरा ख्याल

हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. यह दिवस मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है.

world mental health day
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Published : Oct 10, 2020, 7:13 AM IST

Updated : Oct 10, 2020, 7:32 AM IST

देहरादून: बदलती जीवन शैली के बीच आज एक तरफ हम कई तरह के शारीरिक रोगों के शिकार हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ लगभग हर उम्र के लोग विभिन्न तरह के मानसिक रोगों से भी जूझ रहे हैं. ऐसे में मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी.

अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें पूरा ख्याल

गौरतलब है कि भारत में भी तेजी के साथ लोग तरह-तरह के मानसिक रोगों का शिकार होते जा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 23 लाख से ज्यादा लोग अलग-अलग तरह के मानसिक रोगों का शिकार हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश भारत में आज भी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक रोगों को लेकर जागरूकता बेहद ही कम है. स्थिति कुछ यह है कि अगर कोई व्यक्ति मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की सलाह लेता है तो लोग उस व्यक्ति को पागल समझ लेते हैं.

मानसिक रोग के विभिन्न कारण

देश में जिस तरह से लोग विभिन्न तरह के मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं, उसके कई कारण हैं. कई बार युवा बेरोजगारी या एक तरफा प्यार के चलते मानसिक रोग जैसे डिप्रेशन इत्यादि का शिकार हो जाते हैं. इसके अलावा अक्सर मानसिक रोग की एक बड़ी वजह पारिवारिक कलह, नशा और बचपन में घटी कोई घटना भी होती है, जिसके बारे में सोच-सोच कर एक व्यक्ति मानसिक तौर से बीमार होने लगता है.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम

हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम रखी जाती है. इस बार की थीम - "सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच" रखी गई है.

मानसिक रोग के विभिन्न प्रकार

आमतौर पर मानसिक रोग का जिक्र होते ही हमारे जहन में केवल अवसाद या डिप्रेशन का ही ख्याल आता है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मानसिक रोग के कई प्रकार होते हैं. इसमें भूलने की बीमारी, किसी तरह का फोबिया (डर), अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) और पार्किसन (मस्तिष्क में किसी इस का दब जाना) इत्यादि भी एक तरह के मानसिक रोग ही हैं.

मानसिक रोग के लक्षण

हमारा कोई अपना किसी भी तरह के मानसिक रोग से जूझ तो नहीं रहा हैं ? इस बात का समय रहते पता लगाना बेहद ही जरूरी है. अगर मानसिक रोग के लक्षणों की बात करें तो इसके कई लक्षण होते है. जिसमें उदास रहना, व्यवहार का बार-बार बदलना यानी कभी क्रोधित हो जाना तो कभी बेहद ही खुश हो जाना. कुल मिलाकर कहें तो असामान्य सा बर्ताव करना. वहीं दोस्तों और परिवार जनों से अलग रहना किसी भी छोटी बात पर घबराहट या डर का एहसास करना.

पढ़ें- संतों की बैठक राजनीतिक अखाड़े में तब्दील, आपस में भिड़े मदन कौशिक और कांग्रेस नेता

तनाव में न रहें, अपनों से बात करें- मनोवैज्ञानिक

ईटीवी भारत के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर अपना संदेश साझा करते हुए जानी मानी मनोवैज्ञानिक डॉ. श्रवि अमर अत्री बताती हैं की कोरोना काल के दौरान जब देश में लॉकडाउन जारी था. उस दौरान देश वासियों में मानसिक तनाव काफी बढ़ चुका था. जहां कई लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके थे. तो वहीं, दूसरी तरफ कई लोगों का व्यापार ठप पड़ गया था. जिसकी वजह से इस दौरान कई लोग मानसिक रोगों का शिकार हुए. लेकिन यहां लोगों को यह समझने की जरूरत है कि अपने शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना चाहिए. जहां तक हो सके लोगों को यह प्रयास करना चाहिए कि वह किसी भी तरह के तनाव में ना रहें. जब लगे कि समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है तो अपने परिवार जनों से जरूर अपनी समस्या पर बात करें.

समस्या का समाधान चुप्पी नहीं होती- मनोवैज्ञानिक

मानसिक रोग से लड़ने में जितनी मदद एक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से मिल सकती है. उससे कई ज्यादा मददगार आपका परिवार साबित हो सकता है. राजधानी देहरादून के जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा के मुताबिक किसी भी समस्या का समाधान चुप्पी नहीं होती. इसलिए यदि किसी भी कारण से आपको तनाव महसूस हो रहा है, तो आपको तुरंत इस बारे में अपने किसी भी करीबी मित्र या परिवार जन से बात करनी चाहिए. अक्सर अंदर ही अंदर अपनी समस्या को लेकर घुटने की वजह से लोग कई बार अवसाद का शिकार हो जाते हैं और आत्महत्या जैसा घातक कदम तक उठा लेते हैं.

देहरादून: बदलती जीवन शैली के बीच आज एक तरफ हम कई तरह के शारीरिक रोगों के शिकार हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ लगभग हर उम्र के लोग विभिन्न तरह के मानसिक रोगों से भी जूझ रहे हैं. ऐसे में मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इसकी शुरुआत साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी.

अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें पूरा ख्याल

गौरतलब है कि भारत में भी तेजी के साथ लोग तरह-तरह के मानसिक रोगों का शिकार होते जा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में 23 लाख से ज्यादा लोग अलग-अलग तरह के मानसिक रोगों का शिकार हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश भारत में आज भी लोगों में मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक रोगों को लेकर जागरूकता बेहद ही कम है. स्थिति कुछ यह है कि अगर कोई व्यक्ति मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की सलाह लेता है तो लोग उस व्यक्ति को पागल समझ लेते हैं.

मानसिक रोग के विभिन्न कारण

देश में जिस तरह से लोग विभिन्न तरह के मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं, उसके कई कारण हैं. कई बार युवा बेरोजगारी या एक तरफा प्यार के चलते मानसिक रोग जैसे डिप्रेशन इत्यादि का शिकार हो जाते हैं. इसके अलावा अक्सर मानसिक रोग की एक बड़ी वजह पारिवारिक कलह, नशा और बचपन में घटी कोई घटना भी होती है, जिसके बारे में सोच-सोच कर एक व्यक्ति मानसिक तौर से बीमार होने लगता है.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम

हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम रखी जाती है. इस बार की थीम - "सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच" रखी गई है.

मानसिक रोग के विभिन्न प्रकार

आमतौर पर मानसिक रोग का जिक्र होते ही हमारे जहन में केवल अवसाद या डिप्रेशन का ही ख्याल आता है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मानसिक रोग के कई प्रकार होते हैं. इसमें भूलने की बीमारी, किसी तरह का फोबिया (डर), अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) और पार्किसन (मस्तिष्क में किसी इस का दब जाना) इत्यादि भी एक तरह के मानसिक रोग ही हैं.

मानसिक रोग के लक्षण

हमारा कोई अपना किसी भी तरह के मानसिक रोग से जूझ तो नहीं रहा हैं ? इस बात का समय रहते पता लगाना बेहद ही जरूरी है. अगर मानसिक रोग के लक्षणों की बात करें तो इसके कई लक्षण होते है. जिसमें उदास रहना, व्यवहार का बार-बार बदलना यानी कभी क्रोधित हो जाना तो कभी बेहद ही खुश हो जाना. कुल मिलाकर कहें तो असामान्य सा बर्ताव करना. वहीं दोस्तों और परिवार जनों से अलग रहना किसी भी छोटी बात पर घबराहट या डर का एहसास करना.

पढ़ें- संतों की बैठक राजनीतिक अखाड़े में तब्दील, आपस में भिड़े मदन कौशिक और कांग्रेस नेता

तनाव में न रहें, अपनों से बात करें- मनोवैज्ञानिक

ईटीवी भारत के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर अपना संदेश साझा करते हुए जानी मानी मनोवैज्ञानिक डॉ. श्रवि अमर अत्री बताती हैं की कोरोना काल के दौरान जब देश में लॉकडाउन जारी था. उस दौरान देश वासियों में मानसिक तनाव काफी बढ़ चुका था. जहां कई लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके थे. तो वहीं, दूसरी तरफ कई लोगों का व्यापार ठप पड़ गया था. जिसकी वजह से इस दौरान कई लोग मानसिक रोगों का शिकार हुए. लेकिन यहां लोगों को यह समझने की जरूरत है कि अपने शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना चाहिए. जहां तक हो सके लोगों को यह प्रयास करना चाहिए कि वह किसी भी तरह के तनाव में ना रहें. जब लगे कि समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है तो अपने परिवार जनों से जरूर अपनी समस्या पर बात करें.

समस्या का समाधान चुप्पी नहीं होती- मनोवैज्ञानिक

मानसिक रोग से लड़ने में जितनी मदद एक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से मिल सकती है. उससे कई ज्यादा मददगार आपका परिवार साबित हो सकता है. राजधानी देहरादून के जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा के मुताबिक किसी भी समस्या का समाधान चुप्पी नहीं होती. इसलिए यदि किसी भी कारण से आपको तनाव महसूस हो रहा है, तो आपको तुरंत इस बारे में अपने किसी भी करीबी मित्र या परिवार जन से बात करनी चाहिए. अक्सर अंदर ही अंदर अपनी समस्या को लेकर घुटने की वजह से लोग कई बार अवसाद का शिकार हो जाते हैं और आत्महत्या जैसा घातक कदम तक उठा लेते हैं.

Last Updated : Oct 10, 2020, 7:32 AM IST
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