देहरादून: दुनिया भर में मेडिकल साइंस के जरिए हार्ट डिजीज की चिंताओं को कम करने के लिए कई कार्यक्रम और नए प्रयोग किए जाते हैं. इस दौरान कई अध्ययन भी हो रहे हैंं. तमाम रिपोर्ट के आधार पर दिल की बीमारियों पर नई एडवाइजरी भी जारी की जाती है, लेकिन इस सब के बीच हार्ट डिजीज को लेकर एशिया के कुछ देश ज्यादा परेशानी में दिखाई देते हैं. भारत भी इन्हीं में से एक है. भारत में दिल के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वैसे तो हार्ट डिजीज का कोई एक कारण नहीं है. तमाम वजहों से लोगों को इस बीमारी का सामना करना पड़ता है. लेकिन कार्डियो से जुड़े तमाम विशेषज्ञ भारत के परिपेक्ष में एक खास रिस्क फैक्टर चिन्हित करते हैं, जिसे भारत में दिल की बीमारियों के लिए बेहद अहम फैक्टर माना जाता है.
उम्र भी हो सकती है दिल की बीमारी का कारण: दून मेडिकल कॉलेज के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर उपाध्याय ने बताया भारत के परिपेक्ष में इस रिस्क फैक्टर को बिंदुवार देखें तो कुल 6 प्वाइंट्स में इन रिस्क फैक्टर को समझा जा सकता है. भारत में हार्ड डिजीज को लेकर सबसे पहले और बड़ा रिस्क फैक्टर व्यक्ति की उम्र हो सकती है. अगर किसी की उम्र पुरुष में 50 वर्ष और महिलाओं में 60 वर्ष से अधिक है, तो उन्हें दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है.
डायबिटीज के मरीजों में दिल की बीमारी होने की संभावना ज्यादा: दूसरा बड़ा फैक्टर धूम्रपान को माना गया है और इसी फैक्टर को युवाओं के लिए सबसे घातक माना गया है. यही नहीं युवाओं में दिल की बीमारी के पीछे सबसे बड़ी वजह भी इसी को ही बताया जा रहा है. तीसरा फैक्टर डायबिटीज की बीमारी है. यानी इस बीमारी से ग्रसित लोग में दिल की बीमारी होने की संभावना ज्यादा है. ब्लड प्रेशर के मरीज भी दिल की बीमारी को लेकर हाई रिस्क जोन में होते हैं. इसी तरह कोलेस्ट्रॉल भी दिल की बीमारी के लिए खतरनाक हो सकता है. इसके अलावा फिजिकल इन एक्टिविटी यानी शारीरिक रूप से निष्क्रियता भी किसी व्यक्ति को दिल का मरीज बना सकती है.
प्रमिला जयपाल ने दिल की बीमारी को लेकर संसद पेश किया था विधेयक: अमेरिका की संसद में दिल की बीमारी को लेकर एक विधेयक भी पारित हुआ है. भारतवंशी सांसद प्रमिला जयपाल ने इसको पेश किया था और इसका मकसद दक्षिण एशियाई देशों के लोगों में दिल की बीमारी को लेकर बढ़ती समस्या से उन्हें जागरूक करना था. विशेषज्ञ भी मानते हैं कि भारत के लोगों में दिल की बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है और चिंता इस बात को लेकर है कि अब कम उम्र के युवा भी इस समस्या से जूझने लगे हैं.
150 मिनट तक तेज गति में करें वॉक: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ने दिल को सुरक्षित रखने के लिए सबसे आसान तरीका वर्कआउट को बताया है. विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार यदि एक हफ्ते में 150 मिनट तक तेज गति में वॉक की जाए तो काफी हद तक दिल की बीमारी को आने से रोका जा सकता है. इसी तरह अगर कोई व्यक्ति हर दिन 15 मिनट भी तेज दौड़ता है तो वह दिल की बीमारी से खुद को दूर रख सकता है.
दिल की बीमारियों को लेकर जागरूक करना: वर्ल्ड हार्ट डे मनाने का मकसद भी लोगों को दिल की बीमारियों को लेकर जागरूक करना है और यह बताना है कि किस तरह तेजी से आपका दिल बीमार हो रहा है और इस बीमारी से बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए. इस बार हार्ट से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ने वर्ल्ड हार्ट डे पर Use Heart, Know Heart की थीम दी है. यानी बेहतर तरीके से अपने दिल का प्रयोग करें और इसको जानें.
भारत में कम उम्र के लोगों के प्रभावित होने की वजह: भारत में कम उम्र के युवा भी अब दिल की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी लाइफस्टाइल है. इसके अलावा बदलते खान-पान, कामकाज का प्रेशर और मानसिक तनाव भी युवाओं को दिल का मरीज बना रहा है. विशेषज्ञ चिकित्सक कहते हैं कि 30 साल से कम उम्र के दिल के मरीज अधिकतर अधिक धूम्रपान करने वाले रिकॉर्ड किए गए हैं. हालांकि अलग-अलग जगह पर इसकी वजह बदल सकती है, लेकिन उत्तराखंड में कम उम्र के मरीज के लिए धूम्रपान एक बड़ी वजह दिखाई दी है.
दिल की बीमारी होने की मुख्य वजह युवाओं का बदलता लाइफस्टाइल: मैक्स अस्पताल में कार्डियोवस्पर इनथोरेसिक सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. अरविंद मक्कड़ कहते हैं कि 20 से 30 साल पहले दिल के मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं थी और कम उम्र के लोगों में भी यह बीमारी कम ही पाई जाती थी, लेकिन अब तेजी से यह ट्रेंड बदल रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते दिल के मरीजों की संख्या बड़ी है या फिर कम उम्र वाले लोग इसके कारण बीमार हो रहे हैं यह कहना मुश्किल है. अब तक जो पाया गया है, उसमें युवाओं का बदलता लाइफस्टाइल मुख्य वजह कहा जा सकता है.
दिल की बीमारी को रोकने के तरीके: दिल का मरीज होने से बचना है, तो इसके लिए सबसे बड़ा उपाय व्यायाम ही है. वहीं, अगर युवा या बुजुर्ग अपने शरीर को पूरा वक्त देते हैं और व्यायाम में 1 से 2 घंटे बिताते हैं, तो दिल की बीमारी से सुरक्षा हो सकती है. इसके अलावा खान-पान में भी कुछ परहेज कर इस बीमारी से बचा सकता है. इसके लिए बाहर से खाना मंगवाने या खाने की बजाय घर का खाना बीमारी को दूर रख सकता है. इसी तरह धूम्रपान से पूरी तरह तौबा करना ही युवाओं के लिए इस बीमारी के लिहाज से फायदेमंद हो सकता है.
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