सूरत/देहरादून: इन दिनों जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है, हम आपको ऐसे दो लोगों की कहानी से रूबरू करवा रहे हैं जिन्होंने एचआईवी एड्स से जंग लड़ी है और अब खुशहाल जीवन जी रहे हैं. देहरादून की रहने वाली लड़की और गुजरात (सूरत) में रहने वाले इस लड़के ने एक महीने पहले ही सात फेरे लिये हैं. हालांकि, इन दोनों की शुरुआती कहानी कुछ एक सी है.
दरअसल, 2007 में लड़की के पिता एचआईवी पॉजिटिव पाए गये थे. उसके बाद पूरे परिवार का चेकअप किया तो लड़की भी पॉजिटिव पाई गई, तब उसकी उम महज 10 साल थी. जैसे-जैसे वो बड़ी होती गई, रोग गंभीर होता गया. इस दौरान परिवार और दोस्त भी उससे दूर होते गए.
उसके बाद प्राइवेट कंपनी में जॉब करने के दौरान धीरे-धीरे उसे नए लोग मिले और उसने एचआईवी के बारे में पूरी जानकारी ली. उसे पता चला कि दो एचआईवी पॉजिटिव लोग शादी कर सकते हैं. तब इंटरनेट पर उसने शादी के लिए सर्च किया. उस दौरान उसे शादी के बारे में पूरी जानकारी मिली.
उधर, सूरत निवासी लड़के की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही. जब उसे एचआईवी पॉजिटिव होने का पता चला तो वो भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हो गया. लड़के के पिता भी एचआईवी पॉजिटिव थे और उनकी मौत के बाद उसे भी डर सताने लगा था. इसी बीच दोनों ने जीएसएन (गुजरात स्टेट नेटवर्क ऑफ पीपल लिविंग) पीपल संस्था से संपर्क किया. संगठन ने दोनों को मिलवाया. दोनों ने हाल ही में शादी की है और खुशहाल जीवन जी रहे हैं. शादी के बाद लड़की देहरादून से गुजरात चली गई है.
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गौर हो कि गुजरात स्टेट नेटवर्क ऑफ पीपल लिविंग संस्था एचआईवी पॉजिटिव लोगों को अपने लिए एक उपयुक्त साथी खोजने और जीवन में एक नई शुरुआत करने में मदद करती है. इस संगठन के तहत एक मैरिज ब्यूरो चलाया जाता है, जिसमें देश भर के एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए चयन मेलों का आयोजन किया जाता है. संस्था की मदद से 2006 से अब तक 262 लोगों की शादियां हो चुकी हैं. कोरोना की वजह से इस साल वर्चुअल मेला लगाया जाएगा, जिसमें गुजरात सहित अन्य छह राज्यों के 300 से 400 लोग शामिल होंगे.