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उत्तराखंड के वनों का जीपीएस से होगा सटीक सीमांकन, तराई डिवीजन के वर्किंग प्लान पर जारी हुए निर्देश

Uttarakhand Forest Department Working plan meeting in Dehradun उत्तराखंड वन विभाग की वर्किंग प्लान बैठक में तराई पूर्वी और पश्चिमी वन प्रभाग को लेकर अहम फैसले लिए गए. वनों के संरक्षण के लिए सीमांकन को सैटेलाइट यानी जीपीएस के माध्यम अंकित किया जाएगा. इसके साथ ही बाघों के संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनेगी.

Uttarakhand Forest Department
उत्तराखंड वन विभाग समाचार
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 19, 2023, 9:22 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग क्षेत्र में आगामी कार्य योजना को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं. इस दौरान वन क्षेत्र के सीमांकन से लेकर इस क्षेत्र में बाघों की बढ़ती संख्या के लिए जरूरी कार्य योजना पर फोकस करते हुए प्रभाग के अधिकारियों को आदेश दिए गए.

उत्तराखंड के वनों का होगा सटीक सीमांकन: उत्तराखंड वन विभाग में तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग के लिए आगामी वर्षों हेतु कार्य योजना पर चिंतन किया गया. इस दौरान प्रमुख वन संरक्षक हॉफ की अध्यक्षता में संबंधित अधिकारियों ने पिछले सालों में हुए कार्यों की समीक्षा की और आगामी कार्य योजना के बारे में भी बातचीत की. बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा की गई जिससे वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीव संरक्षण को बेहतर किया जा सके. इतना ही नहीं वाइल्डलाइफ टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की नीतियों को आगे बढ़ने के लिए जरूरी उपायों पर काम करने के लिए कहा गया.

तराई डिवीजन के वर्किंग प्लान पर जारी हुए निर्देश: वैसे तो उत्तराखंड में तमाम वन क्षेत्र के सीमांकन को लेकर काम किया जा रहा है, लेकिन वर्किंग प्लान की बैठक के दौरान तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग क्षेत्र में चर्चा करते हुए यहां के वन क्षेत्र के सीमांकन को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए. दरअसल तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन क्षेत्र में वनों के संरक्षण के लिए सीमांकन को तकनीकी माध्यम से किया जाएगा. इसके लिए सैटेलाइट यानी जीपीएस माध्यम का उपयोग करते हुए सटीक सीमांकन करने के प्रयास किए जाएंगे. इसी को लेकर प्रमुख वन संरक्षक ने अधिकारियों को इस दिशा में काम करने के लिए कहा.

बाघों के संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनेगी: हाल ही में बाघों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. तराई पश्चिमी क्षेत्र में बाघों की अच्छी खासी संख्या पाई गई है. ऐसे में इन स्थितियों को देखते हुए इस क्षेत्र में बाघों के संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनाने के लिए भी कहा गया है. दूसरी तरफ मानव वन्य जीव संघर्ष के खतरों को भी रोकने के लिए प्लान तैयार करने के लिए कहा गया, ताकि इन स्थितियों में मानव वन्य जीव संघर्ष को काम किया जा सके.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड शासन से IFS अफसरों को प्रशिक्षण की नहीं मिल रही अनुमति, केंद्र ने राज्य को लिख डाली ये चिट्ठी

देहरादून: उत्तराखंड के तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग क्षेत्र में आगामी कार्य योजना को लेकर जरूरी दिशा निर्देश दिए गए हैं. इस दौरान वन क्षेत्र के सीमांकन से लेकर इस क्षेत्र में बाघों की बढ़ती संख्या के लिए जरूरी कार्य योजना पर फोकस करते हुए प्रभाग के अधिकारियों को आदेश दिए गए.

उत्तराखंड के वनों का होगा सटीक सीमांकन: उत्तराखंड वन विभाग में तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग के लिए आगामी वर्षों हेतु कार्य योजना पर चिंतन किया गया. इस दौरान प्रमुख वन संरक्षक हॉफ की अध्यक्षता में संबंधित अधिकारियों ने पिछले सालों में हुए कार्यों की समीक्षा की और आगामी कार्य योजना के बारे में भी बातचीत की. बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा की गई जिससे वन संरक्षण के साथ-साथ वन्य जीव संरक्षण को बेहतर किया जा सके. इतना ही नहीं वाइल्डलाइफ टूरिज्म को भी बढ़ावा देने की नीतियों को आगे बढ़ने के लिए जरूरी उपायों पर काम करने के लिए कहा गया.

तराई डिवीजन के वर्किंग प्लान पर जारी हुए निर्देश: वैसे तो उत्तराखंड में तमाम वन क्षेत्र के सीमांकन को लेकर काम किया जा रहा है, लेकिन वर्किंग प्लान की बैठक के दौरान तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन प्रभाग क्षेत्र में चर्चा करते हुए यहां के वन क्षेत्र के सीमांकन को लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए. दरअसल तराई पूर्वी और तराई पश्चिमी वन क्षेत्र में वनों के संरक्षण के लिए सीमांकन को तकनीकी माध्यम से किया जाएगा. इसके लिए सैटेलाइट यानी जीपीएस माध्यम का उपयोग करते हुए सटीक सीमांकन करने के प्रयास किए जाएंगे. इसी को लेकर प्रमुख वन संरक्षक ने अधिकारियों को इस दिशा में काम करने के लिए कहा.

बाघों के संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनेगी: हाल ही में बाघों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. तराई पश्चिमी क्षेत्र में बाघों की अच्छी खासी संख्या पाई गई है. ऐसे में इन स्थितियों को देखते हुए इस क्षेत्र में बाघों के संरक्षण के लिए विशेष कार्य योजना बनाने के लिए भी कहा गया है. दूसरी तरफ मानव वन्य जीव संघर्ष के खतरों को भी रोकने के लिए प्लान तैयार करने के लिए कहा गया, ताकि इन स्थितियों में मानव वन्य जीव संघर्ष को काम किया जा सके.
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