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ठंडे बस्ते में बीन नदी पर प्रस्तावित मोटर पुल, ठगा महसूस कर रही जनता

बीन नदी पर पुल बनाने की मांग स्थानीय जनता लंबे समय से करती आ रही है. लेकिन बीन नदी पर प्रस्तावित मोटर पुल निर्माण ठंडे बस्ते में पड़ता दिखाई दे रहा है.

Rishikesh News
बीन नदी ऋषिकेश
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Published : Jul 29, 2021, 7:17 AM IST

ऋषिकेश: बैराज-चीला मार्ग पर पड़ने वाली बीन नदी पर प्रस्तावित मोटर पुल निर्माण ठंडे बस्ते में पड़ता दिखाई दे रहा है. इसका बड़ा कारण यह है कि अभीतक पुल निर्माण के लिए सिर्फ मृदा परीक्षण ही हो पाया है. जबकि, न तो डिजाइन फाइनल का कार्य किया गया है न ही केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड से विधिवत स्वीकृति मिल पाई है. जाहिर है कि इन प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद पुल का निर्माण इस सरकार में नहीं होने वाला है.

गौर हो कि बीन नदी पर पुल निर्माण की मांग दशकों पुरानी है. साल 2020 में पुल निर्माण के लिए 29 लाख रुपए प्रथम चरण में राज्य सरकार ने स्वीकृत किए, लेकिन यह मंजूरी भी केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने सैद्धांतिक तौर पर दी. हालांकि, बोर्ड से विधिवत स्वीकृति मिलनी अभी बाकी है. दिलचस्प बात यह है कि 29 लाख रुपए की रकम में से भी अभी सिर्फ 9 लाख रुपए ही खर्च किए गए हैं. यह पैसा भी मृदा परीक्षण पर विभाग खर्च करने की बात कह रहा है.

प्रथम चरण की स्वीकृत धनराशि में 20 लाख रुपए अभी व्यय होना बाकी है. यही नहीं, पुल के डिजाइनिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है, लेकिन अभी आईआईटी से इसकी अप्रूवल बाकी है. साफ है कि इन तमाम प्रक्रियाओं में वक्त लगेगा और कुछ माह में यह सभी क्लीयरेंस मिल जाती है, तो जमीन पर पुल निर्माण में भी लंबा वक्त लगना है. बता दें कि, पुल की लंबाई करीब 200 मीटर और चौड़ाई 9 मीटर विभाग ने बताई है.

पढ़ें- गणेश गोदियाल ने संभाला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पदभार, चुनाव से पहले चुनौतियां भरमार

गौर करने लायक यह है कि राज्य में विधानसभा चुनाव मार्च में होने की संभावना है. इससे पहले चुनाव आचार संहिता भी लग सकती है. इसलिए इस सरकार में पुल का निर्माण होना मुश्किल है. पुल निर्माण की मांग क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग दशकों से करते आ रहे हैं. हर साल बीन नदी में बरसात के दौरान उफान पर आने से डाडा मंडल क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों का संपर्क शहरी क्षेत्रों से कट जाता है. मजबूरन ग्रामीणों को गांव में ही कैद होकर रहना पड़ता है.

पीडब्ल्यूडी दुगड्डा डिविजन के सहायक अभियंता एसएस राठौड़ के मुताबिक पुल निर्माण के लिए राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 29 लाख रुपए की स्वीकृति दी थी. इससे मृदा परीक्षण का कार्य किया जा चुका है. डिजाइनिंग का काम अभी गतिमान है. फिलहाल 20 लाख रुपए की धनराशि अभी खर्च नहीं हुई है. केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड से सैद्धांतिक मंजूरी मिली तो है, मगर अभी विधिवत मंजूरी का मिलना बाकी है. विधिवत स्वीकृति मिलने के बाद पुल निर्माण की वित्तीय स्वीकृति के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा. फिलहाल बोर्ड से विधिवत मंजूरी मिलने का इंतजार है. उम्मीद है कि डेढ़ माह के भीतर बोर्ड से स्वीकृति मिल जाएगी.

पढ़ें-'उत्तराखंड में भू-कानून की आवश्यकता, सत्ता में आते ही देवस्थानम बोर्ड करेंगे खत्म'

वहीं यमकेश्वर विधायक रितु खंडूड़ी ने बताया कि पुल निर्माण का शिलान्यास डेढ़ माह में कर दिया जाएगा. जल्द ही पुल का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि पुल निर्माण को लेकर वे पूरी तरह से गंभीर हैं और हर संभव प्रयास किया जाएगा.

ऋषिकेश: बैराज-चीला मार्ग पर पड़ने वाली बीन नदी पर प्रस्तावित मोटर पुल निर्माण ठंडे बस्ते में पड़ता दिखाई दे रहा है. इसका बड़ा कारण यह है कि अभीतक पुल निर्माण के लिए सिर्फ मृदा परीक्षण ही हो पाया है. जबकि, न तो डिजाइन फाइनल का कार्य किया गया है न ही केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड से विधिवत स्वीकृति मिल पाई है. जाहिर है कि इन प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद पुल का निर्माण इस सरकार में नहीं होने वाला है.

गौर हो कि बीन नदी पर पुल निर्माण की मांग दशकों पुरानी है. साल 2020 में पुल निर्माण के लिए 29 लाख रुपए प्रथम चरण में राज्य सरकार ने स्वीकृत किए, लेकिन यह मंजूरी भी केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने सैद्धांतिक तौर पर दी. हालांकि, बोर्ड से विधिवत स्वीकृति मिलनी अभी बाकी है. दिलचस्प बात यह है कि 29 लाख रुपए की रकम में से भी अभी सिर्फ 9 लाख रुपए ही खर्च किए गए हैं. यह पैसा भी मृदा परीक्षण पर विभाग खर्च करने की बात कह रहा है.

प्रथम चरण की स्वीकृत धनराशि में 20 लाख रुपए अभी व्यय होना बाकी है. यही नहीं, पुल के डिजाइनिंग का कार्य पूरा किया जा चुका है, लेकिन अभी आईआईटी से इसकी अप्रूवल बाकी है. साफ है कि इन तमाम प्रक्रियाओं में वक्त लगेगा और कुछ माह में यह सभी क्लीयरेंस मिल जाती है, तो जमीन पर पुल निर्माण में भी लंबा वक्त लगना है. बता दें कि, पुल की लंबाई करीब 200 मीटर और चौड़ाई 9 मीटर विभाग ने बताई है.

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गौर करने लायक यह है कि राज्य में विधानसभा चुनाव मार्च में होने की संभावना है. इससे पहले चुनाव आचार संहिता भी लग सकती है. इसलिए इस सरकार में पुल का निर्माण होना मुश्किल है. पुल निर्माण की मांग क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग दशकों से करते आ रहे हैं. हर साल बीन नदी में बरसात के दौरान उफान पर आने से डाडा मंडल क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों का संपर्क शहरी क्षेत्रों से कट जाता है. मजबूरन ग्रामीणों को गांव में ही कैद होकर रहना पड़ता है.

पीडब्ल्यूडी दुगड्डा डिविजन के सहायक अभियंता एसएस राठौड़ के मुताबिक पुल निर्माण के लिए राज्य सरकार ने प्रथम चरण में 29 लाख रुपए की स्वीकृति दी थी. इससे मृदा परीक्षण का कार्य किया जा चुका है. डिजाइनिंग का काम अभी गतिमान है. फिलहाल 20 लाख रुपए की धनराशि अभी खर्च नहीं हुई है. केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड से सैद्धांतिक मंजूरी मिली तो है, मगर अभी विधिवत मंजूरी का मिलना बाकी है. विधिवत स्वीकृति मिलने के बाद पुल निर्माण की वित्तीय स्वीकृति के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा जाएगा. फिलहाल बोर्ड से विधिवत मंजूरी मिलने का इंतजार है. उम्मीद है कि डेढ़ माह के भीतर बोर्ड से स्वीकृति मिल जाएगी.

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वहीं यमकेश्वर विधायक रितु खंडूड़ी ने बताया कि पुल निर्माण का शिलान्यास डेढ़ माह में कर दिया जाएगा. जल्द ही पुल का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि पुल निर्माण को लेकर वे पूरी तरह से गंभीर हैं और हर संभव प्रयास किया जाएगा.

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