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चीड़ की पत्तियों से कमाल कर रही मणिगुह की महिलाएं, बना रही इकोफ्रेंडली राखियां, दूसरे राज्यों में बढ़ी डिमांड

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 27, 2023, 8:02 PM IST

Updated : Aug 27, 2023, 10:38 PM IST

Rakhis made from pine leaves भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व आने वाला है. इसी क्रम में मणिगुह गांव की महिलाओं ने इस बार रक्षाबंधन पर चीड़ की पत्तियों से सुंदर राखी बनाने का काम शुरू किया. जिनकी मांग अन्य राज्यों में भी है. पढ़ें पूरी खबर.. Raksha Bandhan2023

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चीड़ की पत्तियों से कमाल कर रही मणिगुह की महिलाएं

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग के गांव मणिगुह की महिलाओं के लिए इस बार राखी का त्यौहार खास बन गया है. हो भी क्यों ना, राखी के इस त्यौहार से उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में पहला कदम सफलता के साथ आगे बढ़ाया है. गांव की महिलाओं ने चीड़ की पत्तियों से सुंदर राखियों का निर्माण किया है, जिसे हमारा गांव घर फाउंडेशन के सहयोग से भारत के कई शहरों में बेचा जा रहा है. अपने पहले ही प्रयास में महिलाओं ने 12 हजार से अधिक की राखियां बेची हैं.

Rakhis made from pine leaves
महिलाओं ने 12 हजार से अधिक की राखियां बेची

चीड़ की पत्तियों और स्थानीय उत्पादों से महिलाएं बना रहीं राखियां: पहाड़ों में इस बार रक्षाबंधन को लेकर महिलाएं खास तैयारी कर रही हैंं. महिलाएं राखियां चीड़ की पत्तियों (पीरूल) और स्थानीय उत्पादों से बना रही हैं. सात महीने पहले जब गांव मणिगुह में पुस्तकालय का उद्घाटन हुआ था, तब किसी ने यह सोचा ना था कि पुस्तकालय गांव की महिलाएं छः महीने बाद इतनी सुंदर राखियां बना रही होंगी. राखियां भी उन चीड़ के पत्तों से जिन्हें उत्तराखंड में अभिशाप माना जाता है. इन महिलाओं ने अपने हुनर से अभिशाप को वरदान में बदल दिया है.

Rakhis made from pine leaves
रक्षाबंधन पर चीड़ की पत्तियों से सुंदर राखी बनाने का काम

देश के कोने-कोने से राखियों के आए ऑर्डर: इसके लिए जून में फाउंडेशन ने एक पिरूल हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया था, जिसमें प्रख्यात पिरूल हस्तशिल्पकार मंजू आर साह ने महिलाओं को पिरूल के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया था. इसके बाद रक्षाबंधन त्यौहार को देखते हुए महिलाओं ने सबसे पहले राखी बनाने पर जोर दिया और देखते ही देखते इसमें पारंगत होकर. ऐसी सुंदर राखियां बना दी कि देश के कोने-कोने से उनको राखियों के ऑर्डर मिलने लगे.

Rakhis made from pine leaves
मणिगुह की महिलाएं बना रही इकोफ्रेंडली राखियां

बारह हजार रुपये की बिकी राखियां: हमारा गांव घर फाउंडेशन के संस्थापक सुमन मिश्रा ने बताया कि इस कार्य को गांव की करीब आठ महिलाओं ने अपनाया है. जिनमें पांच महिलाओं का काम सर्वोत्तम रहा है. हमारी करीब बारह हजार की राखियां इस बार बिकी हैं, क्योंकि समय बहुत कम था और एक महीने पहले ही महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया था. ये राखियां देखने में सुंदर तो हैं ही. साथ ही साथ प्रकृति के साथ जुड़े रहने का अहसास भी कराती हैं. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्य बिहार, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्यप्रदेश और पंजाब आदि में उत्तराखंड की पिरुल से निर्मित ये राखियां सब को पसंद आई हैंं.

ये भी पढ़ें: दुर्लभ भोजपत्र से बनी राखियों से सजेगी भाइयों की कलाई, पहाड़ी महिलाओं का ये हुनर देख पीएम मोदी भी कह चुके हैं वाह!

महिलाएं रोजगार की दिशा में कर रही अच्छा काम: विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि मणिगुह क्षेत्र की महिलाएं रोजगार की दिशा में बेहतर कार्य कर रही हैं. उनकी मेहनत सफल होने के बाद क्षेत्र के अन्य लोगों को भी इस रोजगार की ओर प्रोत्साहित किया जाएगा.

26 जनवरी को मणिगुह में पहला पुस्तकालय खोला गया: हमारा गांव घर फाउंडेशन द्वारा 26 जनवरी को रुद्रप्रयाग के दूरस्थ गांव मणिगुह में पहला सुसज्जित पुस्तकालय खोला गया था. इसके साथ ही गांव में जगह-जगह पुस्तक मंदिरों की स्थापना कर शिक्षा की अलख जगाई गई थी. फाउंडेशन का उद्देश्य गांव को पुस्तकालय के माध्यम से पर्यटन और ट्रैकिंग का हब बनाकर इसे रोजगार से जोड़ना था. जिसमें वह काफी हद तक सफल हुए हैं. साथ ही फाउंडेशन ने गांव की महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ने के लिए कई प्रोग्राम बनाए. जिनमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देते हुए उन्हें बाजार उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया.

ये भी पढ़ें: रक्षाबंधन के लिए डाकघरों में मिल रहे वॉटरप्रूफ डिजाइनर लिफाफे, इतनी है कीमत

चीड़ की पत्तियों से कमाल कर रही मणिगुह की महिलाएं

रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग के गांव मणिगुह की महिलाओं के लिए इस बार राखी का त्यौहार खास बन गया है. हो भी क्यों ना, राखी के इस त्यौहार से उन्होंने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में पहला कदम सफलता के साथ आगे बढ़ाया है. गांव की महिलाओं ने चीड़ की पत्तियों से सुंदर राखियों का निर्माण किया है, जिसे हमारा गांव घर फाउंडेशन के सहयोग से भारत के कई शहरों में बेचा जा रहा है. अपने पहले ही प्रयास में महिलाओं ने 12 हजार से अधिक की राखियां बेची हैं.

Rakhis made from pine leaves
महिलाओं ने 12 हजार से अधिक की राखियां बेची

चीड़ की पत्तियों और स्थानीय उत्पादों से महिलाएं बना रहीं राखियां: पहाड़ों में इस बार रक्षाबंधन को लेकर महिलाएं खास तैयारी कर रही हैंं. महिलाएं राखियां चीड़ की पत्तियों (पीरूल) और स्थानीय उत्पादों से बना रही हैं. सात महीने पहले जब गांव मणिगुह में पुस्तकालय का उद्घाटन हुआ था, तब किसी ने यह सोचा ना था कि पुस्तकालय गांव की महिलाएं छः महीने बाद इतनी सुंदर राखियां बना रही होंगी. राखियां भी उन चीड़ के पत्तों से जिन्हें उत्तराखंड में अभिशाप माना जाता है. इन महिलाओं ने अपने हुनर से अभिशाप को वरदान में बदल दिया है.

Rakhis made from pine leaves
रक्षाबंधन पर चीड़ की पत्तियों से सुंदर राखी बनाने का काम

देश के कोने-कोने से राखियों के आए ऑर्डर: इसके लिए जून में फाउंडेशन ने एक पिरूल हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया था, जिसमें प्रख्यात पिरूल हस्तशिल्पकार मंजू आर साह ने महिलाओं को पिरूल के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण दिया था. इसके बाद रक्षाबंधन त्यौहार को देखते हुए महिलाओं ने सबसे पहले राखी बनाने पर जोर दिया और देखते ही देखते इसमें पारंगत होकर. ऐसी सुंदर राखियां बना दी कि देश के कोने-कोने से उनको राखियों के ऑर्डर मिलने लगे.

Rakhis made from pine leaves
मणिगुह की महिलाएं बना रही इकोफ्रेंडली राखियां

बारह हजार रुपये की बिकी राखियां: हमारा गांव घर फाउंडेशन के संस्थापक सुमन मिश्रा ने बताया कि इस कार्य को गांव की करीब आठ महिलाओं ने अपनाया है. जिनमें पांच महिलाओं का काम सर्वोत्तम रहा है. हमारी करीब बारह हजार की राखियां इस बार बिकी हैं, क्योंकि समय बहुत कम था और एक महीने पहले ही महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया था. ये राखियां देखने में सुंदर तो हैं ही. साथ ही साथ प्रकृति के साथ जुड़े रहने का अहसास भी कराती हैं. उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्य बिहार, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्यप्रदेश और पंजाब आदि में उत्तराखंड की पिरुल से निर्मित ये राखियां सब को पसंद आई हैंं.

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महिलाएं रोजगार की दिशा में कर रही अच्छा काम: विधायक शैलारानी रावत ने कहा कि मणिगुह क्षेत्र की महिलाएं रोजगार की दिशा में बेहतर कार्य कर रही हैं. उनकी मेहनत सफल होने के बाद क्षेत्र के अन्य लोगों को भी इस रोजगार की ओर प्रोत्साहित किया जाएगा.

26 जनवरी को मणिगुह में पहला पुस्तकालय खोला गया: हमारा गांव घर फाउंडेशन द्वारा 26 जनवरी को रुद्रप्रयाग के दूरस्थ गांव मणिगुह में पहला सुसज्जित पुस्तकालय खोला गया था. इसके साथ ही गांव में जगह-जगह पुस्तक मंदिरों की स्थापना कर शिक्षा की अलख जगाई गई थी. फाउंडेशन का उद्देश्य गांव को पुस्तकालय के माध्यम से पर्यटन और ट्रैकिंग का हब बनाकर इसे रोजगार से जोड़ना था. जिसमें वह काफी हद तक सफल हुए हैं. साथ ही फाउंडेशन ने गांव की महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ने के लिए कई प्रोग्राम बनाए. जिनमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देते हुए उन्हें बाजार उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया.

ये भी पढ़ें: रक्षाबंधन के लिए डाकघरों में मिल रहे वॉटरप्रूफ डिजाइनर लिफाफे, इतनी है कीमत

Last Updated : Aug 27, 2023, 10:38 PM IST
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