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धामी सरकार के महिला आरक्षण पर उत्तराखंड में जश्न, हर तबके ने जताई खुशी

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में (uttarakhand assembly winter session) दो विधेयक पास (Two bills passed in the assembly) हुए हैं. सदन में महिला क्षैतिज आरक्षण (Women Horizontal Reservation Bill passed) और धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित (Anti conversion bill passed in Uttarakhand) हुए. अब ये दोनों जल्द ही कानून बन जाएंगे, जिसके लिए सरकार जल्द ही अधिसूचना जारी करेगी. विधान सभा में महिला क्षैतिज आरक्षण पारित (Women Horizontal Reservation Bill passed) होने के बाद महलाएं काफी खुश हैं.

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धामी सरकार के महिला आरक्षण पर उत्तराखंड में जश्न
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Published : Dec 2, 2022, 5:32 PM IST

Updated : Mar 18, 2023, 2:02 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने शीतकालीन सत्र में महिला आरक्षण (Women Horizontal Reservation Bill passed) पर अध्यादेश लाकर यह साबित कर दिया है कि सरकार महिला आरक्षण को लेकर गंभीर है. जल्द ही महिला आरक्षण को लेकर के कानूनी प्रक्रिया भी पूरी कर दी जाएगी. महिला आरक्षण को लेकर आगे बढ़कर काम करने वाली धामी सरकार का आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड भाजपा महिला मोर्चा(Uttarakhand BJP Mahila Morcha) की महिलाओं ने आज प्रदेश कार्यालय पर अपनी खुशी व्यक्त की. साथ ही महिला मोर्चा की महिलाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को महिला आरक्षण पर अध्यादेश लाने के लिए शुभकामनाएं भी दी.

उत्तराखंड राज्य महिलाओं के बलिदान और अदम्य साहस परिचायक रहा है. ऐसे में महिलाओं के विकास के लिए राज्य सरकार भी कई योजनाएं संचालित कर रही है. इस सब में धामी सरकार ने महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उनके आरक्षण विधेयक पर अध्यादेश लाने का काम किया है. जिसे शीतकालीन सत्र में सदन के भीतर ध्वनिमत से पास कराया गया है. धामी सरकार के इस फैसले के बाद राज्यभर में महिलायें युवा मुख्यमंत्री को धन्यवाद अदा कर रही है.
पढे़ं- उत्तराखंड विधानसभा में रखा गया कठोर धर्मांतरण विरोधी विधेयक, महिला आरक्षण बिल भी पेश

प्रसिद्ध जागर गायिका पदम श्री बंसती बिष्ट(Renowned Jagar Singer Padam Shri Bansati Bisht) का कहना है कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद भी हमेशा उत्ताखंड की महिलाओ ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है. उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य में अभी भी महिलाओं को सपोर्ट की जरुरत है. पहाड़ की पहाड़ जैसी चुनौतियों में महिला आरक्षण एक सहारे का काम करेगा. वहीं, महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा धामी सरकार ने महिला आरक्षण को लाकर महिलाओं के प्रति अपने समर्पण और मंशा को व्यक्त की है.
पढे़ं- शीतकालीन सत्र संपन्न, महिला क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण विरोधी विधेयक हुए पास, करीब 14 घंटे चला सदन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी(Chief Minister Pushkar Singh Dhami) की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पर शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाने का जो काम किया है उसे राज्य में एक नये युग की शुरुवात कहा जा सकता है. महिलाओं को इस बिल के पास होने से नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिल पाएगा, जो एक बार फिर महिलाओं को पुरुषों के बराबर खड़ा करने में सहायक सिद्ध होगा.
पढ़ें- उत्तराखंड में यूपी जैसा सख्त होगा धर्मांतरण कानून, सामूहिक धर्म परिवर्तन की सजा 10 साल

महिलाओ के साथ साथ युवतियां भी इस बिल को सरकार का क्रांतिकार कदम मान रही हैं. युवतियों की मानें तो सरकार ने राज्य की महिलाओं की वर्षों पुरानी मांग पूरी की है. जिसमें राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण मिल पायेगा. युवतियों को अब प्रतियोगी परीक्षाओं में ये आरक्षण मिलने लगेगा जो राज्य में महिलाओं की स्थितियों को बदलने वाला होगा.धामी सरकार के इस फैसले पर अब राजनीति भी शुरू हो गयी है. कांग्रेस इस महिला आरक्षण बिल को कांग्रेस सरकार की देन मान रही है, जबकि भाजपा इसे धामी सरकार का ऐतिहासिक कदम बता रही है.

क्या है 30 फीसदी महिला क्षैतिज आरक्षण का मामला?

  1. उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई, 2001 से आरक्षण मिलना शुरू हुआ था.
  2. तब 20 फीसदी आरक्षण से इसकी शुरूआत हुई थी.
  3. 24 जुलाई, 2006 में इसमें बढ़ोत्तरी करते हुए 30 फीसदी कर दिया गया था.
  4. UKPSC EXAM में उत्तराखंड की महिलाओं को जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30% आरक्षण मिलता था.

2021 में आया टर्निंग प्वाइंट

  1. 2021 में लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा हुई.
  2. इसी वर्ष यानी 2021 में रिजल्ट घोषित हुआ.
  3. हरियाणा की एक महिला अभ्यर्थी पवित्रा चौहान इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई.
  4. पवित्रा का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर किया गया.
  5. पवित्रा ने कहा- ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 के विपरीत है.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने शीतकालीन सत्र में महिला आरक्षण (Women Horizontal Reservation Bill passed) पर अध्यादेश लाकर यह साबित कर दिया है कि सरकार महिला आरक्षण को लेकर गंभीर है. जल्द ही महिला आरक्षण को लेकर के कानूनी प्रक्रिया भी पूरी कर दी जाएगी. महिला आरक्षण को लेकर आगे बढ़कर काम करने वाली धामी सरकार का आभार व्यक्त करते हुए उत्तराखंड भाजपा महिला मोर्चा(Uttarakhand BJP Mahila Morcha) की महिलाओं ने आज प्रदेश कार्यालय पर अपनी खुशी व्यक्त की. साथ ही महिला मोर्चा की महिलाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को महिला आरक्षण पर अध्यादेश लाने के लिए शुभकामनाएं भी दी.

उत्तराखंड राज्य महिलाओं के बलिदान और अदम्य साहस परिचायक रहा है. ऐसे में महिलाओं के विकास के लिए राज्य सरकार भी कई योजनाएं संचालित कर रही है. इस सब में धामी सरकार ने महिलाओं के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए उनके आरक्षण विधेयक पर अध्यादेश लाने का काम किया है. जिसे शीतकालीन सत्र में सदन के भीतर ध्वनिमत से पास कराया गया है. धामी सरकार के इस फैसले के बाद राज्यभर में महिलायें युवा मुख्यमंत्री को धन्यवाद अदा कर रही है.
पढे़ं- उत्तराखंड विधानसभा में रखा गया कठोर धर्मांतरण विरोधी विधेयक, महिला आरक्षण बिल भी पेश

प्रसिद्ध जागर गायिका पदम श्री बंसती बिष्ट(Renowned Jagar Singer Padam Shri Bansati Bisht) का कहना है कि उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक चुनौतियों के बावजूद भी हमेशा उत्ताखंड की महिलाओ ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है. उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य में अभी भी महिलाओं को सपोर्ट की जरुरत है. पहाड़ की पहाड़ जैसी चुनौतियों में महिला आरक्षण एक सहारे का काम करेगा. वहीं, महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा धामी सरकार ने महिला आरक्षण को लाकर महिलाओं के प्रति अपने समर्पण और मंशा को व्यक्त की है.
पढे़ं- शीतकालीन सत्र संपन्न, महिला क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण विरोधी विधेयक हुए पास, करीब 14 घंटे चला सदन

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी(Chief Minister Pushkar Singh Dhami) की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पर शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाने का जो काम किया है उसे राज्य में एक नये युग की शुरुवात कहा जा सकता है. महिलाओं को इस बिल के पास होने से नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण मिल पाएगा, जो एक बार फिर महिलाओं को पुरुषों के बराबर खड़ा करने में सहायक सिद्ध होगा.
पढ़ें- उत्तराखंड में यूपी जैसा सख्त होगा धर्मांतरण कानून, सामूहिक धर्म परिवर्तन की सजा 10 साल

महिलाओ के साथ साथ युवतियां भी इस बिल को सरकार का क्रांतिकार कदम मान रही हैं. युवतियों की मानें तो सरकार ने राज्य की महिलाओं की वर्षों पुरानी मांग पूरी की है. जिसमें राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में राज्य की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण मिल पायेगा. युवतियों को अब प्रतियोगी परीक्षाओं में ये आरक्षण मिलने लगेगा जो राज्य में महिलाओं की स्थितियों को बदलने वाला होगा.धामी सरकार के इस फैसले पर अब राजनीति भी शुरू हो गयी है. कांग्रेस इस महिला आरक्षण बिल को कांग्रेस सरकार की देन मान रही है, जबकि भाजपा इसे धामी सरकार का ऐतिहासिक कदम बता रही है.

क्या है 30 फीसदी महिला क्षैतिज आरक्षण का मामला?

  1. उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 18 जुलाई, 2001 से आरक्षण मिलना शुरू हुआ था.
  2. तब 20 फीसदी आरक्षण से इसकी शुरूआत हुई थी.
  3. 24 जुलाई, 2006 में इसमें बढ़ोत्तरी करते हुए 30 फीसदी कर दिया गया था.
  4. UKPSC EXAM में उत्तराखंड की महिलाओं को जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30% आरक्षण मिलता था.

2021 में आया टर्निंग प्वाइंट

  1. 2021 में लोक सेवा आयोग की उत्तराखंड सम्मिलित प्रवर सेवा परीक्षा हुई.
  2. इसी वर्ष यानी 2021 में रिजल्ट घोषित हुआ.
  3. हरियाणा की एक महिला अभ्यर्थी पवित्रा चौहान इसके खिलाफ हाईकोर्ट चली गई.
  4. पवित्रा का तर्क था कि उसके नंबर उत्तराखंड की स्थानीय अभ्यर्थी से ज्यादा थे लेकिन उसे बाहर किया गया.
  5. पवित्रा ने कहा- ये आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 के विपरीत है.
Last Updated : Mar 18, 2023, 2:02 PM IST
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