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माफिया कहे जाने पर शराब कारोबारियों ने जताई आपत्ति, सरकार पर शोषण करने का लगाया आरोप - देहरादून शराब कारोबारी

देहरादून में शराब कारोबारियों ने सरकार पर शोषण करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि व्यापारी 40 से 50 लाख रुपये लगाकर इसका कारोबार करता है. उसे इंडस्ट्रलिस्ट का दर्जा दिया जाता है, लेकिन शराब व्यापारियों को माफिया कहकर संबोधित किया जा रहा है.

शराब कारोबारी
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Published : Sep 27, 2019, 7:56 PM IST

देहरादूनः शराब कारोबारियों को माफिया कहे जाने पर इससे जुड़े व्यवसायियों ने सख्त ऐतराज जताया है. शराब व्यापारियों ने सरकार पर सौतेला व्यवहार और शोषण करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि राज्य को राजस्व देने के बाद भी शराब कारोबारियों को शासन प्रशासन और जनता माफिया कहकर संबोधित कर रही है. साथ ही जहरीली शराब कांड में हुई मौत पर खेद जताते हुए शराब की दुकानों से कोई नाता ना होने की बात कही है.

शराब कारोबारियों ने माफिया शब्द पर जताई आपत्ति.

शराब व्यवसायी संघ देहरादून के अध्यक्ष दिनेश मल्होत्रा का कहना है कि जब से उत्तराखंड राज्य गठित गठित हुआ है. तब से कई व्यापारी देहरादून जिले में देशी शराब व्यवसाय का काम कर रहे हैं. यहां के कारोबारियों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब समेत उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शराब का कारोबार किया है, लेकिन यहां शराब कारोबारियों का शोषण किया जा रहा है. उन्हें हीन भावना से देखा जाता है.

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उन्होंने कहा कि व्यापारी 40 से 50 लाख रुपये लगाकर इसका कारोबार करता है. उसे इंडस्ट्रलिस्ट का दर्जा दिया जाता है, लेकिन शराब व्यापारियों को माफिया कहकर संबोधित किया जा रहा है. उन्होंने पथरिया पीर में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना से उनकी दुकानों का कोई लेना-देना नहीं है. क्योंकि, रिपोर्ट के आधार पर जहरीली शराब नहीं पाई गई है, लेकिन इस घटना के दौरान उनकी दुकानें 6 दिन के लिए सील कर दी गई थी.

ये भी पढे़ंः NRHM में हुए 600 करोड़ के घोटाले की CBI जांच शुरू, मांगी गई 7 अधिकारियों की जानकारी

उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इन 6 दिनों में उनका ढाई से 3 करोड रुपये का नुकसान हुआ है. उस राजस्व माफ किया जाए. दुकानें बंद रखने से उनके व्यापार का काफी नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, शराब कारोबारियों के मुताबिक 2019-20 का राजस्व प्रदेश सरकार ने करीब 3 हजार करोड़ रुपये रखा है. ऐसे में हर साल राजस्व की वृद्धि और शराब के बढ़ते दामों की वजह से शराब कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

देहरादूनः शराब कारोबारियों को माफिया कहे जाने पर इससे जुड़े व्यवसायियों ने सख्त ऐतराज जताया है. शराब व्यापारियों ने सरकार पर सौतेला व्यवहार और शोषण करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि राज्य को राजस्व देने के बाद भी शराब कारोबारियों को शासन प्रशासन और जनता माफिया कहकर संबोधित कर रही है. साथ ही जहरीली शराब कांड में हुई मौत पर खेद जताते हुए शराब की दुकानों से कोई नाता ना होने की बात कही है.

शराब कारोबारियों ने माफिया शब्द पर जताई आपत्ति.

शराब व्यवसायी संघ देहरादून के अध्यक्ष दिनेश मल्होत्रा का कहना है कि जब से उत्तराखंड राज्य गठित गठित हुआ है. तब से कई व्यापारी देहरादून जिले में देशी शराब व्यवसाय का काम कर रहे हैं. यहां के कारोबारियों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब समेत उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शराब का कारोबार किया है, लेकिन यहां शराब कारोबारियों का शोषण किया जा रहा है. उन्हें हीन भावना से देखा जाता है.

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उन्होंने कहा कि व्यापारी 40 से 50 लाख रुपये लगाकर इसका कारोबार करता है. उसे इंडस्ट्रलिस्ट का दर्जा दिया जाता है, लेकिन शराब व्यापारियों को माफिया कहकर संबोधित किया जा रहा है. उन्होंने पथरिया पीर में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना से उनकी दुकानों का कोई लेना-देना नहीं है. क्योंकि, रिपोर्ट के आधार पर जहरीली शराब नहीं पाई गई है, लेकिन इस घटना के दौरान उनकी दुकानें 6 दिन के लिए सील कर दी गई थी.

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उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इन 6 दिनों में उनका ढाई से 3 करोड रुपये का नुकसान हुआ है. उस राजस्व माफ किया जाए. दुकानें बंद रखने से उनके व्यापार का काफी नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, शराब कारोबारियों के मुताबिक 2019-20 का राजस्व प्रदेश सरकार ने करीब 3 हजार करोड़ रुपये रखा है. ऐसे में हर साल राजस्व की वृद्धि और शराब के बढ़ते दामों की वजह से शराब कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Intro: देहरादून के शराब कारोबारियों ने एक स्वर में शराब व्यवसायियों को माफिया कहे जाने पर सख्त ऐतराज जताया है । व्यापारियों का कहना है कि उत्तराखंड राज्य में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला यदि कोई व्यापार है तो वह शराब व्यवसाय है, उसके बावजूद शराब कारोबारियों को शासन प्रशासन और जनता माफिया कहकर संबोधित करती है। सभी व्यापारियों ने पथरिया पीर में हुए शराब कांड पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि उस क्षेत्र में जो मौतें हुई हैं उसका यहां की शराब की दुकानों से कोई लेना-देना नहीं था।


Body:शराब व्यवसायी संघ देहरादून के अध्यक्ष दिनेश मल्होत्रा का कहना है कि जब से उत्तराखंड राज्य गठित गठित हुआ है तब से कई व्यापारी देहरादून जिले में देशी शराब व्यवसाय का काम कर रहे हैं, यहां के कारोबारियों ने मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ पंजाब समेत उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शराब का कारोबार किया है लेकिन यहां शराब कारोबारियों का शोषण किया जा रहा है और उन्हें हीन भावना से देखा जाता है जबकि किसी और क्षेत्र का व्यापारी यदि यहां 40 से 50 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट करके इंडस्ट्री लगाता है तो उसे इंडस्ट्रलिस्ट का दर्जा दिया जाता है। लेकिन शराब व्यापारियों को माफिया कहकर संबोधित किया जाता है। उन्होंने कहा कि यहां के व्यापारियों द्वारा शासन प्रशासन को शिकायत की जाती है कि यहां अवैध और कच्ची शराब का धंधा जोरों पर चल रहा है ,जिसका विरोध शराब कारोबारियों ने पूर्व मे कई बार किया है। उन्होंने पथरिया पीर में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना से हमारी दुकानों का कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि रिपोर्ट के आधार पर जहरीली शराब कहीं नहीं पाई गई है। लेकिन इस घटना के दौरान उनकी दुकानें 6 दिन के लिए सील कर दीं गई थी, सभी व्यापारी सरकार से मांग करते हैं कि इन 6 दिनों में उनका ढाई से 3 करोड रुपए का राजस्व माफ किया जाये, क्योंकि दुकानें बंद रखने से उनके व्यापार का काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

बाईट- दिनेश मल्होत्रा अध्यक्ष, शराब व्यवसायी संघ देहरादून


Conclusion: शराब कारोबारियों के मुताबिक 2019-20 का राजस्व प्रदेश सरकार ने करीबन 3 हज़ार करोड़ रुपए रखा है, ऐसे में प्रत्येक वर्ष यहां राजस्व की वृद्धि और शराब के बढ़ते दामों की वजह से शराब कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, और उनके कारोबार को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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