देहरादूनः शराब कारोबारियों को माफिया कहे जाने पर इससे जुड़े व्यवसायियों ने सख्त ऐतराज जताया है. शराब व्यापारियों ने सरकार पर सौतेला व्यवहार और शोषण करने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि राज्य को राजस्व देने के बाद भी शराब कारोबारियों को शासन प्रशासन और जनता माफिया कहकर संबोधित कर रही है. साथ ही जहरीली शराब कांड में हुई मौत पर खेद जताते हुए शराब की दुकानों से कोई नाता ना होने की बात कही है.
शराब व्यवसायी संघ देहरादून के अध्यक्ष दिनेश मल्होत्रा का कहना है कि जब से उत्तराखंड राज्य गठित गठित हुआ है. तब से कई व्यापारी देहरादून जिले में देशी शराब व्यवसाय का काम कर रहे हैं. यहां के कारोबारियों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब समेत उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शराब का कारोबार किया है, लेकिन यहां शराब कारोबारियों का शोषण किया जा रहा है. उन्हें हीन भावना से देखा जाता है.
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उन्होंने कहा कि व्यापारी 40 से 50 लाख रुपये लगाकर इसका कारोबार करता है. उसे इंडस्ट्रलिस्ट का दर्जा दिया जाता है, लेकिन शराब व्यापारियों को माफिया कहकर संबोधित किया जा रहा है. उन्होंने पथरिया पीर में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस घटना से उनकी दुकानों का कोई लेना-देना नहीं है. क्योंकि, रिपोर्ट के आधार पर जहरीली शराब नहीं पाई गई है, लेकिन इस घटना के दौरान उनकी दुकानें 6 दिन के लिए सील कर दी गई थी.
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उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इन 6 दिनों में उनका ढाई से 3 करोड रुपये का नुकसान हुआ है. उस राजस्व माफ किया जाए. दुकानें बंद रखने से उनके व्यापार का काफी नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं, शराब कारोबारियों के मुताबिक 2019-20 का राजस्व प्रदेश सरकार ने करीब 3 हजार करोड़ रुपये रखा है. ऐसे में हर साल राजस्व की वृद्धि और शराब के बढ़ते दामों की वजह से शराब कारोबारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.