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राजधानी की सड़कों पर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें, आखिर ऑटो और सिटी बस संचालक क्यों हैं परेशान? - देहरादून न्यूज

देहरादून में 30 नई इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होने वाला है. लेकिन इसी बीच अब निजी सिटी बस समेत ऑटो-टैक्सी संचालक इसके विरोध में उतरने जा रहे हैं.

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इलेक्ट्रिक बसें
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Published : Jan 18, 2021, 9:07 AM IST

Updated : Jan 18, 2021, 1:39 PM IST

देहरादून: नया साल राजधानी वासियों के लिए कुछ खास रहने वाला है. क्योंकि नए साल में शहरवासियों के सफर को सुगम बनाने के लिए 30 नई इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होने वाला है. उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई बार ट्रायल हो चुके हैं. लिहाजा पिछले साल राज्य सरकार ने 30 इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर उतारने को हरी झंडी दिखाई थी. लेकिन इसी बीच अब निजी सिटी बस समेत ऑटो-टैक्सी संचालक इसके विरोध में उतरने जा रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि निजी सिटी बस और ऑटो-टैक्सी संचालकों को विरोध करना पड़ रहा है. इलेक्ट्रिक बस सड़कों पर उतरने से कितना फायदा और कितना नुकसान होगा? देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

राजधानी की सड़कों पर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें.

आज के इस दौर में तमाम वर्ग के परिवारों के पास दोपहिया वाहन से लेकर चौपहिया वाहन आसानी से देखा जा सकता है. जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. जिसके चलते तेजी से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. ऐसे में अब केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दे रही है. इससे न सिर्फ वाहनों से बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सकेगा, बल्कि डीजल-पेट्रोल की खपत में भी कमी आएगी. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार बतौर ट्रायल 30 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करने जा रही है. पिछले साल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका शुभारंभ किया था. इन बसों का संचालन जल्द ही शुरू हो जाएगा.

यूं तो वाहन से तमाम सहूलियत लोगों को मिलती हैं. किसी भी क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन भी लोगों को उपलब्ध हो जाता है. लेकिन निजी वाहन होने से लोगों को काफी सहूलियत मिलने के चलते लोग मुख्य रूप से निजी वाहनों का प्रयोग करना ज्यादा बेहतर समझते हैं. इसके चलते सड़कों पर वाहनों का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है और लगातार वाहनों की संख्या बढ़ने से डीजल-पेट्रोल की खपत भी बढ़ रही है.
सालाना 130 करोड़ लीटर डीजल-पेट्रोल की खपत
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में सालाना 40 करोड़ लीटर पेट्रोल और 90 करोड़ लीटर डीजल की खपत होती है. इससे सरकार को सालाना 1,400 करोड़ से ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है. हालांकि डीजल और पेट्रोल से राज्य को बड़ा राजस्व तो प्राप्त होता है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी पेट्रोल-डीजल की अहम भूमिका रहती है. जहां एक ओर इलेक्ट्रिक वाहनों से पेट्रोल-डीजल की खपत कम होगी वहीं दूसरी ओर ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा.

इतना होगा इलेक्ट्रिक बसों का किराया
राज्य सरकार फिलहाल ट्रायल के तौर पर राजधानी देहरादून में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 30 इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने जा रही है. इनका किराया भी तय कर लिया गया है. हालांकि, पिछले साल दिसंबर महीने में हुई राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक के दौरान इलेक्ट्रिक बसों के किराए का निर्धारण किया गया था. इलेक्ट्रिक बसों का जो किराया निर्धारित किया गया है वह सामान्य सिटी बसों के मुकाबले 20 से 30 प्रतिशत अधिक होगा. यही वजह है कि निजी बस-टैक्सी संचालक इसका विरोध कर रहे हैं. निजी बस-टैक्सी संचालकों का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों का किराया और अधिक होना चाहिए नहीं तो यात्री उनकी बसों में नहीं बैठेंगे. बल्कि वो इलेक्ट्रिक बसों में जाना प्रेफर करेंगे.

इलेक्ट्रिक बसों के विरोध की तैयारी
वहीं, महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने बताया कि जिस दौरान एसटीए की बैठक हुई थी, उस समय भी सिटी बस सेवा महासंघ ने विरोध किया था. उस दौरान परिवहन विभाग के अधिकारी द्वारा कहा गया था कि इलेक्ट्रिक बसों का किराया सम्मानजनक तय किया जाएगा, जिससे सिटी बस संचालकों को नुकसान न हो. लेकिन इलेक्ट्रिक बसों का किराया जो तय किया गया वह बहुत कम रखा गया है. इससे सीधे तौर पर सिटी बस, टैक्सी, ऑटो संचालकों को सीधे नुकसान होगा. इसे देखते हुए एक संगठन बनाया गया है जिसमें सभी निजी संचालकों को शामिल किया गया है और पुरजोर ढंग से इलेक्ट्रिक बसों के किराए को लेकर विरोध किया जाएगा.
देहरादून सिटी में करीब 6300 गाड़ियां हो रहीं संचालित
वर्तमान समय की बात करें तो राजधानी देहरादून में तमाम जगहों से सिटी बस, विक्रम, टैक्सी, ऑटो के साथ ही दून ट्रैवल यूनियन की कुल 6,274 गाड़ियां चल रही हैं. इससे हजारों लोगों को रोजी-रोटी चलती है. यही वजह है कि अब निजी संचालक इलेक्ट्रिक बसों के किराए का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर इलेक्ट्रिक बसों का किराया कम होगा तो यात्री निजी वाहनों पर बैठने के बजाय इलेक्ट्रिक बसों में बैठेंगे.

महानगर में चल रहे हैं इतने निजी वाहन
1-महानगर में 260 सिटी बसें संचालित हो रही हैं.
2-महानगर में 794 विक्रम संचालित हो रहे हैं.
3-जौलीग्रांट एयरपोर्ट से 420 टैक्सी संचालित हो रही हैं.
4-महानगर में 2400 ऑटो संचालित हो रहे हैं.
5-देहरादून रेलवे स्टेशन से 200 टैक्सी संचालित हो रही हैं.
6-देहरादून आईएसबीटी से 200 टैक्सी संचालित हो रही हैं.
7-दून ट्रैवल यूनियन की 2000 गाड़ियां संचालित हो रही हैं.

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए तय किए गए रूट
शहर में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए मुख्य रूप से फिलहाल 6 रूट तय किए गए हैं. इनमें आईएसबीटी से जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक, आईएसबीटी से रेलवे स्टेशन-घंटाघर होते हुए राजपुर तक, आईएसबीटी से रेलवे स्टेशन-घंटाघर-आईटी पार्क होते हुए सहस्त्रधारा तक, सेलाकुई से सुद्धोंवाला-प्रेमनगर-घंटाघर होते हुए रायपुर तक, आईएसबीटी से घंटाघर होते हुए सेलाकुई तक और आईएसबीटी से घंटाघर होते हुए रायपुर तक इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के रूट शामिल हैं. हालांकि, मुख्य रूप से इन्हीं रूटों पर सबसे अधिक यात्री ट्रैवल करते हैं. ऐसे में निजी वाहन संचालकों को अब इलेक्ट्रिक बसों के किराए को लेकर डर सताने लगा है.

इलेक्ट्रिक बसों का तय किया गया किराया...
1- शून्य से 4 किलोमीटर तक 10 रुपये.
2- 4 किलोमीटर से 7 किलोमीटर तक 15 रुपये.
3- 7 किलोमीटर से 10 किलोमीटर तक 20 रुपये.
4- 10 किलोमीटर से 13 किलोमीटर तक 25 रुपये.
5- 13 किलोमीटर से 17 किलोमीटर तक 30 रुपये.
6- 17 किलोमीटर से 21 किलोमीटर तक 35 रुपये.
6- 21 किलोमीटर से 25 किलोमीटर तक 40 रुपये.
7- 25 किलोमीटर से 30 किलोमीटर तक 45 रुपये.
8- 30 किलोमीटर से 35 किलोमीटर तक 50 रुपये.
9- 35 किलोमीटर से ऊपर 55 रुपये.

पढ़ें: कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा अन्य विकल्पों पर बात करें किसान : कृषि मंत्री

फरवरी में होगा इलेक्ट्रिक बसों का संचालन
स्मार्ट सिटी के सीईओ एवं जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि फरवरी की शुरूआत में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो जाएगा. इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए जो रूट तय किए गए थे, उन सभी रूटों पर ट्रायल कर लिया गया है और यह ट्रायल सफल रहा है. साथ ही परिवहन विभाग से जो कागजी कार्रवाई पूरी की जानी थी, वह सभी पूरी कर ली गई हैं. लिहाजा फरवरी की शुरूआत में ही इलेक्ट्रिक बसें, देहरादून की सड़कों पर दौड़ने लगेंगी.

देहरादून: नया साल राजधानी वासियों के लिए कुछ खास रहने वाला है. क्योंकि नए साल में शहरवासियों के सफर को सुगम बनाने के लिए 30 नई इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होने वाला है. उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई बार ट्रायल हो चुके हैं. लिहाजा पिछले साल राज्य सरकार ने 30 इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर उतारने को हरी झंडी दिखाई थी. लेकिन इसी बीच अब निजी सिटी बस समेत ऑटो-टैक्सी संचालक इसके विरोध में उतरने जा रहे हैं. आखिर क्या वजह है कि निजी सिटी बस और ऑटो-टैक्सी संचालकों को विरोध करना पड़ रहा है. इलेक्ट्रिक बस सड़कों पर उतरने से कितना फायदा और कितना नुकसान होगा? देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

राजधानी की सड़कों पर दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें.

आज के इस दौर में तमाम वर्ग के परिवारों के पास दोपहिया वाहन से लेकर चौपहिया वाहन आसानी से देखा जा सकता है. जितनी तेजी से आबादी बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. जिसके चलते तेजी से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है. ऐसे में अब केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दे रही है. इससे न सिर्फ वाहनों से बढ़ते प्रदूषण को कम किया जा सकेगा, बल्कि डीजल-पेट्रोल की खपत में भी कमी आएगी. इसी क्रम में उत्तराखंड सरकार बतौर ट्रायल 30 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करने जा रही है. पिछले साल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका शुभारंभ किया था. इन बसों का संचालन जल्द ही शुरू हो जाएगा.

यूं तो वाहन से तमाम सहूलियत लोगों को मिलती हैं. किसी भी क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन भी लोगों को उपलब्ध हो जाता है. लेकिन निजी वाहन होने से लोगों को काफी सहूलियत मिलने के चलते लोग मुख्य रूप से निजी वाहनों का प्रयोग करना ज्यादा बेहतर समझते हैं. इसके चलते सड़कों पर वाहनों का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है और लगातार वाहनों की संख्या बढ़ने से डीजल-पेट्रोल की खपत भी बढ़ रही है.
सालाना 130 करोड़ लीटर डीजल-पेट्रोल की खपत
मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में सालाना 40 करोड़ लीटर पेट्रोल और 90 करोड़ लीटर डीजल की खपत होती है. इससे सरकार को सालाना 1,400 करोड़ से ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है. हालांकि डीजल और पेट्रोल से राज्य को बड़ा राजस्व तो प्राप्त होता है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण प्रदूषण में भी पेट्रोल-डीजल की अहम भूमिका रहती है. जहां एक ओर इलेक्ट्रिक वाहनों से पेट्रोल-डीजल की खपत कम होगी वहीं दूसरी ओर ध्वनि प्रदूषण भी कम होगा.

इतना होगा इलेक्ट्रिक बसों का किराया
राज्य सरकार फिलहाल ट्रायल के तौर पर राजधानी देहरादून में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 30 इलेक्ट्रिक बसों को संचालित करने जा रही है. इनका किराया भी तय कर लिया गया है. हालांकि, पिछले साल दिसंबर महीने में हुई राज्य परिवहन प्राधिकरण की बैठक के दौरान इलेक्ट्रिक बसों के किराए का निर्धारण किया गया था. इलेक्ट्रिक बसों का जो किराया निर्धारित किया गया है वह सामान्य सिटी बसों के मुकाबले 20 से 30 प्रतिशत अधिक होगा. यही वजह है कि निजी बस-टैक्सी संचालक इसका विरोध कर रहे हैं. निजी बस-टैक्सी संचालकों का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों का किराया और अधिक होना चाहिए नहीं तो यात्री उनकी बसों में नहीं बैठेंगे. बल्कि वो इलेक्ट्रिक बसों में जाना प्रेफर करेंगे.

इलेक्ट्रिक बसों के विरोध की तैयारी
वहीं, महानगर सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने बताया कि जिस दौरान एसटीए की बैठक हुई थी, उस समय भी सिटी बस सेवा महासंघ ने विरोध किया था. उस दौरान परिवहन विभाग के अधिकारी द्वारा कहा गया था कि इलेक्ट्रिक बसों का किराया सम्मानजनक तय किया जाएगा, जिससे सिटी बस संचालकों को नुकसान न हो. लेकिन इलेक्ट्रिक बसों का किराया जो तय किया गया वह बहुत कम रखा गया है. इससे सीधे तौर पर सिटी बस, टैक्सी, ऑटो संचालकों को सीधे नुकसान होगा. इसे देखते हुए एक संगठन बनाया गया है जिसमें सभी निजी संचालकों को शामिल किया गया है और पुरजोर ढंग से इलेक्ट्रिक बसों के किराए को लेकर विरोध किया जाएगा.
देहरादून सिटी में करीब 6300 गाड़ियां हो रहीं संचालित
वर्तमान समय की बात करें तो राजधानी देहरादून में तमाम जगहों से सिटी बस, विक्रम, टैक्सी, ऑटो के साथ ही दून ट्रैवल यूनियन की कुल 6,274 गाड़ियां चल रही हैं. इससे हजारों लोगों को रोजी-रोटी चलती है. यही वजह है कि अब निजी संचालक इलेक्ट्रिक बसों के किराए का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अगर इलेक्ट्रिक बसों का किराया कम होगा तो यात्री निजी वाहनों पर बैठने के बजाय इलेक्ट्रिक बसों में बैठेंगे.

महानगर में चल रहे हैं इतने निजी वाहन
1-महानगर में 260 सिटी बसें संचालित हो रही हैं.
2-महानगर में 794 विक्रम संचालित हो रहे हैं.
3-जौलीग्रांट एयरपोर्ट से 420 टैक्सी संचालित हो रही हैं.
4-महानगर में 2400 ऑटो संचालित हो रहे हैं.
5-देहरादून रेलवे स्टेशन से 200 टैक्सी संचालित हो रही हैं.
6-देहरादून आईएसबीटी से 200 टैक्सी संचालित हो रही हैं.
7-दून ट्रैवल यूनियन की 2000 गाड़ियां संचालित हो रही हैं.

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए तय किए गए रूट
शहर में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए मुख्य रूप से फिलहाल 6 रूट तय किए गए हैं. इनमें आईएसबीटी से जौलीग्रांट एयरपोर्ट तक, आईएसबीटी से रेलवे स्टेशन-घंटाघर होते हुए राजपुर तक, आईएसबीटी से रेलवे स्टेशन-घंटाघर-आईटी पार्क होते हुए सहस्त्रधारा तक, सेलाकुई से सुद्धोंवाला-प्रेमनगर-घंटाघर होते हुए रायपुर तक, आईएसबीटी से घंटाघर होते हुए सेलाकुई तक और आईएसबीटी से घंटाघर होते हुए रायपुर तक इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के रूट शामिल हैं. हालांकि, मुख्य रूप से इन्हीं रूटों पर सबसे अधिक यात्री ट्रैवल करते हैं. ऐसे में निजी वाहन संचालकों को अब इलेक्ट्रिक बसों के किराए को लेकर डर सताने लगा है.

इलेक्ट्रिक बसों का तय किया गया किराया...
1- शून्य से 4 किलोमीटर तक 10 रुपये.
2- 4 किलोमीटर से 7 किलोमीटर तक 15 रुपये.
3- 7 किलोमीटर से 10 किलोमीटर तक 20 रुपये.
4- 10 किलोमीटर से 13 किलोमीटर तक 25 रुपये.
5- 13 किलोमीटर से 17 किलोमीटर तक 30 रुपये.
6- 17 किलोमीटर से 21 किलोमीटर तक 35 रुपये.
6- 21 किलोमीटर से 25 किलोमीटर तक 40 रुपये.
7- 25 किलोमीटर से 30 किलोमीटर तक 45 रुपये.
8- 30 किलोमीटर से 35 किलोमीटर तक 50 रुपये.
9- 35 किलोमीटर से ऊपर 55 रुपये.

पढ़ें: कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा अन्य विकल्पों पर बात करें किसान : कृषि मंत्री

फरवरी में होगा इलेक्ट्रिक बसों का संचालन
स्मार्ट सिटी के सीईओ एवं जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि फरवरी की शुरूआत में इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो जाएगा. इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए जो रूट तय किए गए थे, उन सभी रूटों पर ट्रायल कर लिया गया है और यह ट्रायल सफल रहा है. साथ ही परिवहन विभाग से जो कागजी कार्रवाई पूरी की जानी थी, वह सभी पूरी कर ली गई हैं. लिहाजा फरवरी की शुरूआत में ही इलेक्ट्रिक बसें, देहरादून की सड़कों पर दौड़ने लगेंगी.

Last Updated : Jan 18, 2021, 1:39 PM IST
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