देहरादून: उत्तराखंड रीजन में करीब एक हजार ग्लेशियर मौजूद हैं. यही वजह है कि उत्तराखंड में कुछ सालों के भीतर ही किसी न किसी क्षेत्र में ग्लेशियर की वजह से आपदा जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. हाल में घटित हादसे को इसे देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार भी सक्रिय हो गई है. लिहाजा राज्य में ग्लेशियरों से होने वाली संभावित आपदा के दृष्टिगत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गोमुख क्षेत्र के अंतर्गत गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी के लिए वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को बजट आवंटित करने पर सहमति दी है.
उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. यही वजह है कि राज्य सरकार किसी भी आपदा के दौरान राहत बचाव कार्यों के लिए एक बड़े बजट का भी प्रावधान करती है, ताकि आपदा के दौरान तत्काल प्रभाव से राहत बचाव कार्य किए जा सकें. जोशीमठ में आयी भीषण आपदा हाल ही में हुई बर्फबारी की वजह से हुई है लेकिन इससे पहले साल 2013 में केदार घाटी में आई भीषण आपदा और साल 2018 में गंगोत्री में भी आपदा जैसे हालात बने थे.
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बता दें कि उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर सबसे बड़ा ग्लेशियर है. यह चार हिमनदों- रतनवन, चतुरंगी, स्वच्छंद और कैलाश से मिलकर बना है. गंगोत्री गली से 30 किलोमीटर लंबा और 2 किलोमीटर चौड़ा है. हाल ही में किए गए शोध में यह बात सामने आयी थी कि गंगोत्री ग्लेशियर पर्यावरण में आए बदलाव के चलते हर साल पीछे खिसक रहा है.
ग्लेशियर की वजह से पूर्व में आयी आपदा को देखते हुए पिछले साल वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक ने शीतकाल के दौरान गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में किसी भूस्खलन या कृत्रिम झील निर्माण के निरीक्षण के लिए एक टीम भेजने का अनुरोध राज्य सरकार से किया था. हालांकि, इसके लिए वाडिया संस्थान ने उस दौरान राज्य सरकार से बजट की मांग भी की थी, जिसके बाद अब उत्तराखंड सरकार ने वाडिया संस्थान को तत्काल प्रभाव से 12 लाख रुपए देने के आदेश दिए हैं.
वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर कालाचंद साईं ने बताया कि पिछले साल हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि शीतकाल के दौरान गंगोत्री ग्लेशियर का निरीक्षण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है. लिहाजा इसका निरीक्षण होना चाहिए. जिसके बाद वाडिया संस्थान ने राज्य सरकार से गंगोत्री ग्लेशियर भेजने की बात कही थी साथ ही बजट की भी मांग की थी. लेकिन उस दौरान वाडिया इंस्टीट्यूट को बजट नहीं मिल पाया था. ये मांग अब पूरी हुई है.