देहरादूनः देश के अन्य राज्यों की तुलना में भले ही अपराध की घटनाओं का वर्कआउट करने में उत्तराखंड का नाम बेस्ट पुलिसिंग में आता हो, लेकिन आम लोगों की सुनवाई मामले में थाना व चौकियों का रवैया काफी ढुलमुल रहता है. पुलिस मुख्यालय के लाख दावे और सख्त आदेश के बावजूद भी थाना-चौकियों में सुनवाई न होना बड़ा ही गंभीर विषय है, जबकि समय-समय पर लगातार शिकायतों के मद्देनजर मुख्यालय द्वारा आम जनता की हर शिकायत पर गौर फरमाते हुए सभी थाना चौकियों के मामले का संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करने के सख्त आदेश कई बार हो चुके हैं.
उसके बावजूद थाना चौकी मुख्यालय के आदेशों को हवा में उड़ाते हुए अपनी मनमानी पर उतारू हैं. आम जनता के साथ घटित होने वाले कई गंभीर मामलों में थाना चौकी में सुनवाई न होने के चलते शिकायतकर्ताओं को मजबूरन पुलिस मुख्यालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. ऐसा ही मामले इन दिनों राजधानी देहरादून में सामने आ रहे हैं.
एक के बाद एक किट्टी खिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने वाले आरोपी पुलिस की लचर कार्यप्रणाली का फायदा उठाकर बचने की जुगत में लगे हैं. तो वहीं दूसरी ओर अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई गंवाने वाले लोग थाना चौकी में सुनवाई न होने के चलते पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों से मदद की गुहार लगाते नजर आ रहे हैं.
पिछले दिनों कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत किट्टी खिलाने के नाम पर हजारों घरेलू महिलाओं से करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करने वाले दंपति के खिलाफ शिकंजा कसने को लेकर पुलिस मुख्यालय से आदेश जारी हुए थे. सभी पीड़ित लोगों की तहरीर के आधार अलग-अलग थाना-चौकी में मुकदमे दर्ज करने लिखित आदेश हुए लेकिन इसके बावजूद शिकायत करने वाले लोगों को लगातार थाना-चौकियों से बैरंग वापस भेजा जा रहा है.
उधर थाना चौकियों में शिकायत दर्ज न होने के चलते पीड़ित लोग पुलिस मुख्यालय ने आला अधिकारियों से मदद की गुहार लगाते नजर आ रहे हैं. पीड़ित लोगों का आरोप है कि थाना चौकी स्तर पर करोड़ों रुपये की किट्टी धोखाधड़ी करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करने से बच रही है.
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जबकि मुख्यालय आने पर यहां से थाना-चौकी की कार्रवाई के आदेश दिए जा रहे हैं. उधर इस मामले पर राज्य में अपराध को कानून व्यवस्था की कमान संभालने वाले महानिदेशक अशोक कुमार का भी मानना है कि निर्देशों के बावजूद थाना-चौकी में सुनवाई न होना गंभीर विषय बनता जा रहा है.
जबकि शिकायतों के आधार पर लगातार मुख्यालय द्वारा आदेश दिए जाते रहे हैं. ऐसे में जिलास्तर पर संबंधित अधिकारियों को भी इस तरह के मामलों पर गौर करते हुए एक्शन लेना चाहिए. वहीं मुख्यालय द्वारा एक बार फिर जिला पुलिस को हिदायत देते हुए शिकायतों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं.