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जौनपुर में दुबड़ी त्योहार की धूम, फसलों के गट्ठर को गाढ़ने और पूजने की है परंपरा - दुबड़ी की पूजा अर्चना

उत्तराखंड ने सदियों से लोक संस्कृति, लोक कलाओं और लोक गाथाओं को संजोकर रखा है. इनमें कई तीज त्यौहार और मेले भी शामिल हैं. इन्ही में से एक पारंपरिक पर्व दुबड़ी (Dubri festival Jaunpur) भी है. जिसे जौनपुर क्षेत्र में मनाया जाता है. इस पर्व को खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाताा है.

Villagers Celebrate Dubri festival
पारंपरिक पर्व दुबड़ी
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Published : Sep 5, 2022, 7:50 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 8:34 PM IST

मसूरीः जौनपुर ब्लॉक की पट्टी पालीगाड़ के गांवों में खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाने वाला दुबड़ी (दुर्गा अष्टमी) त्योहार धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने भूमि और कुलदेवता से क्षेत्र के सुख समृद्धि की कामना (Villagers Celebrate Dubri festival) की. वहीं, पारंपरिक वाद्ययंत्रों और ढोल दमाऊं की थाप ग्रामीण जमकर थिरके.

जौनपुर ब्लॉक के खेडा, ठिक्क, भुयासारी, तेवा, बंगशील, ओंतड़, ऐरी, शीर्ष, डिगोन, मुंगलोडी समेत कई गांवों में दुबड़ी त्योहार की धूम रही. ग्राम टकारना के पूर्व प्रधान राजेंद्र रावत ने बताया कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला दुबड़ी त्योहार जौनपुर का पौराणिक पर्व है. इस पर्व को मनाने की तैयारी स्वछता अभियान से शुरू होती है.

जौनपुर में दुबड़ी त्योहार.

दुबड़ी से एक दिन पूर्व गांव की सभी महिलाएं अपने घर आंगन, पंचायती चौक और रास्तों की सामूहिक रूप से साफ सफाई करती हैं. जिसके बाद अगले दिन दोपहर के समय गांव के पुरुष और बच्चे खेतों से फसलें लाकर पंचायती चौक में जमा कर एक बड़ा गट्ठर बनाते हैं.

ये भी पढ़ेंः त्रियुगीनारायण मंदिर में हरियाली मेला, भगवाण विष्णु को अर्पित की गई जौ की हरियाली

गांव के बुजुर्गों के निर्देश पर उस फसलों के गट्ठर को एक मीटर गहरे खड्ढे में गाढ़ा जाता है. जिसे स्थानीय भाषा में दुबड़ी (Dubri festival in Jaunpur) कहा जाता है. शाम के समय गांव की सभी महिलाएं पंचायती चौक में पहुंचकर दुबड़ी की पूजा अर्चना करते हैं.

इस दौरान ग्रामीण भूमि देवता, कुल और ईष्ट देवता से गांव की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना करती हैं. दुबड़ी पर्व के दिन स्थानीय अनाज झंगोरा और कोदे के आटे को पीसकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाई जाती हैं. यह दुबड़ी पर्व का विशेष पकवान होता है. जिसे खांड (चीनी का भूरा) और शुद्ध घी के साथ प्रसाद के रूप में परोसा जाता है.

मसूरीः जौनपुर ब्लॉक की पट्टी पालीगाड़ के गांवों में खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माना जाने वाला दुबड़ी (दुर्गा अष्टमी) त्योहार धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान ग्रामीणों ने भूमि और कुलदेवता से क्षेत्र के सुख समृद्धि की कामना (Villagers Celebrate Dubri festival) की. वहीं, पारंपरिक वाद्ययंत्रों और ढोल दमाऊं की थाप ग्रामीण जमकर थिरके.

जौनपुर ब्लॉक के खेडा, ठिक्क, भुयासारी, तेवा, बंगशील, ओंतड़, ऐरी, शीर्ष, डिगोन, मुंगलोडी समेत कई गांवों में दुबड़ी त्योहार की धूम रही. ग्राम टकारना के पूर्व प्रधान राजेंद्र रावत ने बताया कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला दुबड़ी त्योहार जौनपुर का पौराणिक पर्व है. इस पर्व को मनाने की तैयारी स्वछता अभियान से शुरू होती है.

जौनपुर में दुबड़ी त्योहार.

दुबड़ी से एक दिन पूर्व गांव की सभी महिलाएं अपने घर आंगन, पंचायती चौक और रास्तों की सामूहिक रूप से साफ सफाई करती हैं. जिसके बाद अगले दिन दोपहर के समय गांव के पुरुष और बच्चे खेतों से फसलें लाकर पंचायती चौक में जमा कर एक बड़ा गट्ठर बनाते हैं.

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गांव के बुजुर्गों के निर्देश पर उस फसलों के गट्ठर को एक मीटर गहरे खड्ढे में गाढ़ा जाता है. जिसे स्थानीय भाषा में दुबड़ी (Dubri festival in Jaunpur) कहा जाता है. शाम के समय गांव की सभी महिलाएं पंचायती चौक में पहुंचकर दुबड़ी की पूजा अर्चना करते हैं.

इस दौरान ग्रामीण भूमि देवता, कुल और ईष्ट देवता से गांव की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना करती हैं. दुबड़ी पर्व के दिन स्थानीय अनाज झंगोरा और कोदे के आटे को पीसकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाई जाती हैं. यह दुबड़ी पर्व का विशेष पकवान होता है. जिसे खांड (चीनी का भूरा) और शुद्ध घी के साथ प्रसाद के रूप में परोसा जाता है.

Last Updated : Sep 5, 2022, 8:34 PM IST
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