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उत्तराखंड का पहला 'रामसर साइट' बना आसन कंजर्वेशन रिजर्व, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

आसन कंजर्वेशन रिजर्व को उत्तराखंड का पहला रामसर का दर्जा मिला है, जिसके बाद आसन कंजर्वेशन रिजर्व दुनिया के मानचित्र पर उभर कर सामने आएगा.

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रामसर साइट बना आसन कंजर्वेशन रिजर्व
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Published : Oct 24, 2020, 5:27 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 5:54 PM IST

विकासनगर: नम भूमि क्षेत्र (कंजरवेशन रिजर्व) के संरक्षण के लिए दुनिया की सबसे बड़ी साइट रामसर साइट ने आसन रिजर्व कंजर्वेशन वैटलैंड क्षेत्र को मान्यता दे दी है. इसके साथ ही देश में रामसर साइट की संख्या 38 पहुंच गई है, जो पूरे साउथ एशिया में सबसे अधिक है. दुनिया में नम भूमि संरक्षण के लिए स्थापित रामसर साइट की मान्यता मिलने के बाद उत्तराखंड का आसन बैराज रिजर्व कंजरवेशन अब दुनिया के मानचित्र पर दिख सकेगा, जिससे देश ही नहीं दुनिया के नम भूमि से जुड़े विशेषज्ञों से लेकर पक्षी प्रेमी आसन कंजर्वेशन का दीदार कर सकेंगे.

  • Ramsar declares “Asan Conservation Reserve’ as a site of international importance. With this, the number of Ramsar sites in India goes up to 38, the highest in South Asia and #Uttarakhand gets its first Ramsar site. pic.twitter.com/ieyDGBJFhr

    — MoEF&CC (@moefcc) October 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लंबे समय से वन विभाग के अधिकारी आसन कंजर्वेशन रिजर्व को रामसर साइट में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे, जिसमें अब वन विभाग की सफलता रंग लाई है. विकासनगर तहसील मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित आसन झील और उसके आसपास के इलाके को वर्ष 2005 में आसन कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था, जो देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व है.

रामसर साइट बना आसन कंजर्वेशन रिजर्व.

चकराता वन प्रभाग के डीएफओ दीपचंद आर्य ने बताया कि केंद्र, राज्य और वन विभाग की कोशिशों के चलते आसन कंजर्वेशन रिजर्व रामसर का टैग हासिल हुआ है. आसम कंजर्वेशन देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व है. 444.40 हेक्टेयर भूभाग में फैले इस रिजर्व में हर साल 54 से अधिक विदेशी प्रजातियों के पक्षी 6 माह के प्रवास पर आते हैं. अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में आसन झील में विदेशी पक्षियों का एक समूह पहुंच चुका है और लगातार विदेश पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. दिसंबर मध्य तक इनकी संख्या अपने सर्वोच्च स्तर पर होती है. मार्च तक झील ही इन पक्षियों का निवास स्थान होता है. झील में मध्य एशिया समेत चीन, रूस आदि इलाकों से पक्षियां प्रवास पर पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हादसों की 'रफ्तार'

क्या है रामसर साइट

दुनिया में नम भूमि क्षेत्र कंजरवेशन रिजर्व के संरक्षण के लिए दो फरवरी 1971 को ईरान में रामसर साइट की स्थापना हुई थी. जिसमें दुनिया के रिजर्व कंजर्वेशन को मान्यता देकर उनके संरक्षण के लिए कदम उठाए जाते हैं. आसन कंजर्वेशन को रामसर साइट पर देश के 38 कंजर्वेशन के रूप में मान्यता मिली है.

क्या होंगे फायदे

आसन बैराज में हर साल सर्दी के मौसम में पांच से दस हजार के करीब देश विदेश के पक्षी डेरा डालते हैं. करीब 54 प्रजातियों के विदेशी परिंदें आते हैं. रामसर साइट से मान्यता मिलने पर विश्व के मानचित पर आसन बैराज होगा. दुनिया भर के पक्षी प्रेमी पक्षियों पर रिसर्च करने आएंगे और इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

रामसर कंजर्वेशन सबसे पुराने सरकारी समझौतों में से एक है. जिसके सदस्य देशों ने वेटलैंड क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से समझौते पर हस्ताक्षर किए. वेटलैंड्स भोजन, पानी, भूजल रिचार्ज, कटाव, नियंत्रण और पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ को विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं.

आसन कंजर्वेशन रिजर्व

उत्तराखंड में प्रवासी पक्षियों की ऐशगाह आसन कंजर्वेशन रिजर्व 14 अगस्त 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने देश को समर्पित किया था. विकासनगर से आठ किमी की दूरी पर स्थित इस रिजर्व में अक्टूबर में प्रवासी परिंदों का आगमन होता है और ये मार्च आखिर तक डेरा डाले रहते हैं. सुर्खाब यानी रूडी शेल्डक का तो ये पसंदीदा स्थल है.

विकासनगर: नम भूमि क्षेत्र (कंजरवेशन रिजर्व) के संरक्षण के लिए दुनिया की सबसे बड़ी साइट रामसर साइट ने आसन रिजर्व कंजर्वेशन वैटलैंड क्षेत्र को मान्यता दे दी है. इसके साथ ही देश में रामसर साइट की संख्या 38 पहुंच गई है, जो पूरे साउथ एशिया में सबसे अधिक है. दुनिया में नम भूमि संरक्षण के लिए स्थापित रामसर साइट की मान्यता मिलने के बाद उत्तराखंड का आसन बैराज रिजर्व कंजरवेशन अब दुनिया के मानचित्र पर दिख सकेगा, जिससे देश ही नहीं दुनिया के नम भूमि से जुड़े विशेषज्ञों से लेकर पक्षी प्रेमी आसन कंजर्वेशन का दीदार कर सकेंगे.

  • Ramsar declares “Asan Conservation Reserve’ as a site of international importance. With this, the number of Ramsar sites in India goes up to 38, the highest in South Asia and #Uttarakhand gets its first Ramsar site. pic.twitter.com/ieyDGBJFhr

    — MoEF&CC (@moefcc) October 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

लंबे समय से वन विभाग के अधिकारी आसन कंजर्वेशन रिजर्व को रामसर साइट में शामिल करने की कोशिश कर रहे थे, जिसमें अब वन विभाग की सफलता रंग लाई है. विकासनगर तहसील मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित आसन झील और उसके आसपास के इलाके को वर्ष 2005 में आसन कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किया गया था, जो देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व है.

रामसर साइट बना आसन कंजर्वेशन रिजर्व.

चकराता वन प्रभाग के डीएफओ दीपचंद आर्य ने बताया कि केंद्र, राज्य और वन विभाग की कोशिशों के चलते आसन कंजर्वेशन रिजर्व रामसर का टैग हासिल हुआ है. आसम कंजर्वेशन देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व है. 444.40 हेक्टेयर भूभाग में फैले इस रिजर्व में हर साल 54 से अधिक विदेशी प्रजातियों के पक्षी 6 माह के प्रवास पर आते हैं. अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में आसन झील में विदेशी पक्षियों का एक समूह पहुंच चुका है और लगातार विदेश पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. दिसंबर मध्य तक इनकी संख्या अपने सर्वोच्च स्तर पर होती है. मार्च तक झील ही इन पक्षियों का निवास स्थान होता है. झील में मध्य एशिया समेत चीन, रूस आदि इलाकों से पक्षियां प्रवास पर पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में सड़क हादसों पर चौंकाने वाली रिपोर्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हादसों की 'रफ्तार'

क्या है रामसर साइट

दुनिया में नम भूमि क्षेत्र कंजरवेशन रिजर्व के संरक्षण के लिए दो फरवरी 1971 को ईरान में रामसर साइट की स्थापना हुई थी. जिसमें दुनिया के रिजर्व कंजर्वेशन को मान्यता देकर उनके संरक्षण के लिए कदम उठाए जाते हैं. आसन कंजर्वेशन को रामसर साइट पर देश के 38 कंजर्वेशन के रूप में मान्यता मिली है.

क्या होंगे फायदे

आसन बैराज में हर साल सर्दी के मौसम में पांच से दस हजार के करीब देश विदेश के पक्षी डेरा डालते हैं. करीब 54 प्रजातियों के विदेशी परिंदें आते हैं. रामसर साइट से मान्यता मिलने पर विश्व के मानचित पर आसन बैराज होगा. दुनिया भर के पक्षी प्रेमी पक्षियों पर रिसर्च करने आएंगे और इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.

रामसर कंजर्वेशन सबसे पुराने सरकारी समझौतों में से एक है. जिसके सदस्य देशों ने वेटलैंड क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से समझौते पर हस्ताक्षर किए. वेटलैंड्स भोजन, पानी, भूजल रिचार्ज, कटाव, नियंत्रण और पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ को विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं.

आसन कंजर्वेशन रिजर्व

उत्तराखंड में प्रवासी पक्षियों की ऐशगाह आसन कंजर्वेशन रिजर्व 14 अगस्त 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने देश को समर्पित किया था. विकासनगर से आठ किमी की दूरी पर स्थित इस रिजर्व में अक्टूबर में प्रवासी परिंदों का आगमन होता है और ये मार्च आखिर तक डेरा डाले रहते हैं. सुर्खाब यानी रूडी शेल्डक का तो ये पसंदीदा स्थल है.

Last Updated : Oct 24, 2020, 5:54 PM IST
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