देहरादून: महानगर सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल को प्रधानमंत्री कार्यालय से उप परिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग की कार्यशैली को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब आरटीआई के तहत मिल गए हैं लेकिन विजयवर्धन डंडरियाल उन जवाबों से संतुष्ट नहीं है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि इस मामले में कहीं ना कहीं मिलीभगत नजर आ रही है.
दरअसल, प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा एक पत्र 2 नवंबर 2020 को मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन को जांच के लिए प्रेषित किया गया, जिसमें यूनियन के अध्यक्ष द्वारा शिकायत के 6 बिंदु थे. उनका जवाब यूनियन अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल को मिल चुके हैं लेकिन आरटीआई से मिले जवाब से यूनियन अध्यक्ष संतुष्ट नहीं है
परिवहन मुख्यालय में तैनात उपपरिवहन आयुक्त सुधांशु गर्ग आरआई के पद से अपने किए गए गलत कार्यों के होते हुए उप परिवहन आयुक्त तक पहुंच गए. विभाग लगातार उनका प्रमोशन कर रहा है, जबकि उनके द्वारा कई गलत कार्यों को अंजाम दिया गया. जिसकी अभी तक भी जांच नहीं हो पाई है. ऐसे में उन्होंने किसी बाहरी एजेंसी से जांच कराए जाने की मांग की है.
इन 6 बिन्दुओं पर मांगी थी जानकारी
- सुधांशु गर्ग द्वारा आरआई पद पर रहते हुए हरिद्वार में एक ट्रक की फिटनेस 12 फरवरी को कर दी गई थी, जबकि वह थाने में बंद था. ट्रक का नंबर UTL2396 था.
- जबकि ट्रक UTL 2396 की फिटनेस 21 मार्च, 1998 तक वैद्य थी लेकिन उसको दोबारा फिटनेस कराने के लिए नोटिस दिया गया. सवाल यह उठता है कि जब ट्रक थाने में बंद था तो बिना जांच पड़ताल के वाहन को फिटनेस प्रमाण पत्र कैसे दे दिया गया.
- सुधांशु गर्ग द्वारा ऋषिकेश में एआरटीओ रहते हुए एक वाहन की फिटनेस की गई, जो वाहन उत्तरकाशी में यात्रियों को लेकर गया था. वह उत्तरकाशी में खराब हो गया. दूसरा वाहन (यूपी07 सी - 4797) वहां से उन यात्रियों को लेकर बद्रीनाथ-जोशीमठ रूट पर गया तो बल्दौड़ा में वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में 26 लोग मारे गए थे, उसका फिटनेस प्रमाण पत्र भी सुधांशु गर्ग द्वारा ही दिया गया था.
- साल 2017 में आरटीओ देहरादून रहते हुए दो ट्रक 10 टायरा थे, जिनका नंबर यूपी 15 डीटी-2034 था. वह दोनों एक ही नंबर ट्रक थे. प्रवर्तन दल ने एक नंबर के दोनों ट्रकों को पकड़ लिया था लेकिन ट्रकों का चालान करके छोड़ दिया, जबकि यह अपराध की श्रेणी में आता था.
- साल 2017 में सुधांशु गर्ग ने देहरादून आरटीओ रहते ही पेनाल्टी घोटाला हुआ था, जिसमें आशुलिपिक और लेखाकार को निलंबित किया गया था लेकिन पेनाल्टी लॉगिन में सुधांशु गर्ग का भी नाम था लेकिन इनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
- साल 2020 में उप परिवहन आयुक्त रहते हुए एक फर्जी स्थानांतरण का मामला आया था, जिसमें यह रिवर्ट होकर आरटीओ के पद पर तैनाती को जा रहे थे. जिसमें की साफ-साफ इनकी मिलीभगत थी. लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि इस मामले में एसटीएफ द्वारा भी जांच में यह (सुधांशु गर्ग) दोषी करार हुए थे.
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सिटी बस यूनियन के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने बताया की जब इन सभी मामलों की आरटीआई द्वारा सूचना मांगी गई. तो 5 बिंदुओं पर तो इनके द्वारा कहा गया कि शासन स्तर से एक जांच अधिकारी को नामित किया जाना प्रस्तावित है लेकिन बिंदु संख्या 6 में सचिव परिवहन के द्वारा एक आलेख तैयार कर लिया गया है लेकिन अभी उसका खुलासा नहीं किया गया.
ऐसे में अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने इस मामले की किसी बाहरी एजेंसी से कराए जाने की मांग की है, जिससे कि जांच सही दिशा में आए. क्योंकि विभाग के अधिकारी ही जांच करते हैं, जिससे कि इन लोगों को साफ-साफ बचा लिया जाता है. उन्होंने कहा कि आज सुधांशु गर्ग खुद विजिलेंस पद पर तैनात हैं, जिस अधिकारी द्वारा गलत कार्य किए गए हैं और वही विजिलेंस पद पर कार्यरत है.