देहरादून: उत्तराखंड में ऑलवेदर रोड परियोजना पीएम नरेंद्र मोदी का डीम प्रोजेक्ट है. प्रदेश में चारधाम परियोजना को लेकर ऐसी कई बाधाएं हैं, जिनसे पार किए बिना ऑलवेदर रोड परियोजना का पूरा होना थोड़ा मुश्किल है. देहरादून में ऑलवेदर परियोजना को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर समेत सीएम त्रिवेंद्र सिंह और हरक सिंह रावत मौजूद रहे.
बैठक में परियोजना से जुड़े फाइलों को लटकाने पर केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई. साथ ही लैंड ट्रांसफर के नोडल अधिकारियों पर बरसते हुए केंद्रीय मंत्री ने नाराजगी जाहिर की. इस दौरान वन मंत्री हरक सिंह रावत के प्रयासों की जमकर तारीफ की गई.
बैठक के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि चारधाम परियोजना पर आ रही विभिन्न समस्याओं का समाधान किया गया है. इसमें भागीरथी सेंसिटिव जोन से योजना को अलग रखने का निर्णय लिया गया है. 100 किलोमीटर तक के लिए भारत सरकार से किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होने की भी सैद्धांतिक मंजूरी दी गई है, जबकि 40 मीटर से कम चौड़ी सड़क के लिए भी अब केंद्र से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी.
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हरक सिंह रावत के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के अधिकतर सदस्यों द्वारा मोटर मार्ग बनाए जाने के पक्ष में निर्णय लेने के बाद यहां से भी इस मोटर मार्ग को राहत मिल गई है. बैठक के दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को उत्तराखंड में गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की जानकारी दी साथ ही केंद्रीय मंत्री से राष्ट्रीय राजमार्ग 87 और 309 को विकसित कर टू लेन करने का अनुरोध किया. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसकी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.
ऑलवेदर रोड परियोजना
उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा सुगम बनाने के लिए 2016 में पीएम मोदी ने 12 हजार करोड़ की लागत से तैयार होने वाली ऑल वेदर रोड की सौगात दी थी. करीब 900 किमी सड़क मार्ग को 4 लेन बनाया जाना प्रस्तावित है. ऋषिकेश से बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग से केदारनाथ और ऋषिकेश से उत्तरकाशी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य लगातार किया जा रहा है. अब तक इस परियोजना में 350 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है.