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उत्तराखंड की ट्रेंकुलाइजर वुमेन डॉ. अदिति को मिला डॉ. वल्लभ मंडोखोट स्मृति पुरस्कार, जानें क्यों ?

पशु चिकित्सक डॉक्टर अदिति शर्मा को नागपुर में डॉ. वल्लभ मंडोखोट मेमोरियल पुरस्कार के सम्मानित किया गया. यह सम्मान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया. साथ ही 41 हजार रुपये की सम्मान राशि भी दी गई. डॉक्टर अदिति शर्मा को उत्तराखंड की एकमात्र ट्रेंकुलाइजर वुमेन एक्सपर्ट कहा जाता है.

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Published : Jun 21, 2022, 1:32 PM IST

tranquilizer women of uttarakhand
उत्तराखंड की ट्रेंकुलाइजर वुमेन

देहरादूनः पशु चिकिसक डॉक्टर अदिति को आखिरकार वो सम्मान मिल गया जिसकी चर्चा बीते कुछ दिनों से हो रही थी. नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें ये सम्मान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया. उत्तराखंड पशुपालन विभाग एवं वन विभाग में अपनी सेवाएं दे रहीं पशु चिकित्सक डॉक्टर अदिति शर्मा को हर साल मिलने वाले बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया था.

ये पुरस्कार वेटरनरी साइंस (Veterinary Science) के तहत दिया जाता है. डॉक्टर अदिति शर्मा उत्तराखंड की एकमात्र ट्रेंकुलाइजर वुमेन एक्सपर्ट हैं. इस बार उत्तराखंड की अदिति शर्मा को ये सम्मान दिया दिया गया है. डॉ. वल्लभ मंडोखोट मेमोरियल के नाम से दिए जाने वाले इस अवॉर्ड को नेशनल एकेडमी ऑफ वेटरनरी साइंस (National Academy of Veterinary Sciences India) की ओर से हर साल पूरे देश में से एक महिला पशु चिकित्सक को दिया जाता है. डॉ. अदिति ने कहा कि उन्हें बेहद खुसी हुई जब उन्हें इस सम्मान के लिए मंच पर बुलाया गया.

उत्तराखंड की ट्रेंकुलाइजर वुमेन डॉक्टर अदिति.

क्यों और क्या मिला सम्मान: डॉ. अदिति को यह सम्मान 20 जून को नागपुर में दिया गया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) भी मौजूद रहे. सम्मान के तौर पर एक प्रमाण-पत्र और लगभग 41 हजार रुपये की सम्मान राशि भी दी गई. उत्तराखंड की एकमात्र ट्रेंकुलाइजर वुमेन एक्सपर्ट डॉक्टर अदिति शर्मा को अपने इस काम में महारत हासिल है.

उन्होंने बीते 19 सालों में राजाजी टाइगर रिजर्व या फिर अन्य जगहों पर खूंखार हो चुके जानवरों को 20 से 30 फीट की दूरी से ही ट्रेंकुलाइज किया है. डॉ. अदिति राज्य में हुए पहले टाइगर ट्रांसलोकेशन प्लान (Tiger Translocation Plan) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं. इसके अलावा पशुपालन विभाग में भी बीमार पशुओं का सफल इलाज किया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड की 'ट्रेंकुलाइजर वुमेन' को मिलेगा ये खास सम्मान, वन विभाग में अन्याय के खिलाफ भी उठाई है आवाज

वन विभाग की तरफ से और अपने काम में महारत हासिल रखने की वजह से उन्हें कई बार इंटरनेशनल सेमिनार में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका मिला है. शायद यही कारण है कि उनके काम को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बनाने की घोषणा भी की थी. डॉक्टर अदिति शर्मा ने देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार में कई बड़े ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. कुछ साल पहले हरिद्वार में जब एक हाथी आए दिन लोगों को मार रहा था, तब कई दिनों तक हाथी का पीछा करने के बाद डॉक्टर अदिति ने ना केवल उसको ट्रेंकुलाइज किया बल्कि सफलता पूर्वक उसे वहां से राजाजी नेशनल पार्क छोड़ा और उसकी सेवा भी की.

जब चर्चा में आई डॉ. अदिति: वैसे तो डॉक्टर अदिति हमेशा अपने काम को लेकर चर्चा में रहती हैं, लेकिन कुछ साल पहले वह तब चर्चा में आ गईं, जब तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में उन्होंने कुछ आईएफएस अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं, उन्होंने इसकी शिकायत राज्य सरकार, केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला आयोग को भी की थी, लेकिन साजिश के चलते आज तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. मेनका गांधी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से डॉक्टर अदिति को हटाने की बात भी की थी. डॉक्टर अदिति बताती हैं कि उन्होंने अपने काम के साथ हमेशा से न्याय किया है लेकिन बीते कुछ महीने उनके लिए बेहद खराब रहे, बावजूद इसके उन्होंने इसका असर अपने काम पर नहीं पड़ने दिया. फोकस होकर पशुओं की सेवा में जुटी रहीं और यही कारण है कि आज उन्हें यह सम्मान मिल रहा है. उनको इस बात का मलाल जरूर है कि उनके अच्छे काम के बाद भी वन विभाग के बड़े अधिकारियों ने उनके खिलाफ साजिश रची, लेकिन वो अपने काम को हमेशा यूं ही करना चाहती हैं.
ये भी पढ़ेंः महिला वन पशु चिकित्सक उत्पीड़न प्रकरण, बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे आरोपी अफसर

चुनौतीपूर्ण काम में होता है खतरा: डॉक्टर अदिति शर्मा साल 2015 से राजाजी टाइगर रिजर्व में अपनी सेवाएं दे रही थीं. तब उन्होंने लगभग 12 गुलदार 3 टस्कर हाथियों को ट्रेंकुलाइज किया. उनका कहना है कि यह काम कभी भी खतरनाक हो जाता है क्योंकि हमें नहीं पता होता कि सामने वाला जानवर किस अवस्था में है. खासकर तब जब वो लोगों को अपना निवाला बना रहा हो. ऐसे में इस बात का ध्यान रखना होता है कि जानवर का व्यवहार कैसा है क्योंकि हमारी एक हलचल जानवर को अलर्ट कर देती है. वह कभी भी हम पर हमला कर सकता है. उधम सिंह नगर के पंतनगर में पैदा हुई अदिति तीन बहनों में सबसे छोटी हैं. उनके पिता डॉ. वीके शर्मा पंतनगर यूनिवर्सिटी में ही प्रोफेसर थे. साल 2003 में उन्होंने पशुपालन विभाग में अपनी नौकरी शुरू की. कुमाऊं में अलग-अलग जगहों पर उन्हें तैनाती मिलती गई. जंगलों में जानवरों के बीच रहना और उनको जानना उन्हें बेहद पसंद था. शायद यही कारण है कि कुमाऊं से फिर वह देहरादून चली आई.

इसके बाद साल 2015 में उन्होंने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट (Wildlife Institute) से एडवांस वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट (Advance Wildlife Management) का डिप्लोमा किया. उसके बाद वह राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रतिनियुक्ति पर आ गईं. साल 2017 में उन्हें ट्रेंकुलाइज प्रशिक्षण के लिए जिंबाब्वे जाने का मौका मिला और 2018 में दक्षिण अफ्रीका से उन्होंने एडवांस वाइल्डलाइफ कैप्चर का कोर्स भी किया. डॉक्टर अदिति बताती हैं अभी तक उनका निशाना नहीं चूका है. डॉक्टर अदिति कहती हैं कि जो भी लड़कियां इस क्षेत्र में आना चाहती हैं, वह उनका सहयोग करने के लिए तैयार है. उनका कहना है कि परिवारों को भी बेटियों को हमेशा सहयोग और आगे बढ़ाना चाहिए, तभी बेटियां आगे बढ़ सकती हैं.

देहरादूनः पशु चिकिसक डॉक्टर अदिति को आखिरकार वो सम्मान मिल गया जिसकी चर्चा बीते कुछ दिनों से हो रही थी. नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें ये सम्मान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया. उत्तराखंड पशुपालन विभाग एवं वन विभाग में अपनी सेवाएं दे रहीं पशु चिकित्सक डॉक्टर अदिति शर्मा को हर साल मिलने वाले बड़े राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया था.

ये पुरस्कार वेटरनरी साइंस (Veterinary Science) के तहत दिया जाता है. डॉक्टर अदिति शर्मा उत्तराखंड की एकमात्र ट्रेंकुलाइजर वुमेन एक्सपर्ट हैं. इस बार उत्तराखंड की अदिति शर्मा को ये सम्मान दिया दिया गया है. डॉ. वल्लभ मंडोखोट मेमोरियल के नाम से दिए जाने वाले इस अवॉर्ड को नेशनल एकेडमी ऑफ वेटरनरी साइंस (National Academy of Veterinary Sciences India) की ओर से हर साल पूरे देश में से एक महिला पशु चिकित्सक को दिया जाता है. डॉ. अदिति ने कहा कि उन्हें बेहद खुसी हुई जब उन्हें इस सम्मान के लिए मंच पर बुलाया गया.

उत्तराखंड की ट्रेंकुलाइजर वुमेन डॉक्टर अदिति.

क्यों और क्या मिला सम्मान: डॉ. अदिति को यह सम्मान 20 जून को नागपुर में दिया गया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) भी मौजूद रहे. सम्मान के तौर पर एक प्रमाण-पत्र और लगभग 41 हजार रुपये की सम्मान राशि भी दी गई. उत्तराखंड की एकमात्र ट्रेंकुलाइजर वुमेन एक्सपर्ट डॉक्टर अदिति शर्मा को अपने इस काम में महारत हासिल है.

उन्होंने बीते 19 सालों में राजाजी टाइगर रिजर्व या फिर अन्य जगहों पर खूंखार हो चुके जानवरों को 20 से 30 फीट की दूरी से ही ट्रेंकुलाइज किया है. डॉ. अदिति राज्य में हुए पहले टाइगर ट्रांसलोकेशन प्लान (Tiger Translocation Plan) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं. इसके अलावा पशुपालन विभाग में भी बीमार पशुओं का सफल इलाज किया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड की 'ट्रेंकुलाइजर वुमेन' को मिलेगा ये खास सम्मान, वन विभाग में अन्याय के खिलाफ भी उठाई है आवाज

वन विभाग की तरफ से और अपने काम में महारत हासिल रखने की वजह से उन्हें कई बार इंटरनेशनल सेमिनार में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका मिला है. शायद यही कारण है कि उनके काम को देखकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उन्हें 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' अभियान का ब्रांड एम्बेसडर बनाने की घोषणा भी की थी. डॉक्टर अदिति शर्मा ने देहरादून, नैनीताल और हरिद्वार में कई बड़े ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. कुछ साल पहले हरिद्वार में जब एक हाथी आए दिन लोगों को मार रहा था, तब कई दिनों तक हाथी का पीछा करने के बाद डॉक्टर अदिति ने ना केवल उसको ट्रेंकुलाइज किया बल्कि सफलता पूर्वक उसे वहां से राजाजी नेशनल पार्क छोड़ा और उसकी सेवा भी की.

जब चर्चा में आई डॉ. अदिति: वैसे तो डॉक्टर अदिति हमेशा अपने काम को लेकर चर्चा में रहती हैं, लेकिन कुछ साल पहले वह तब चर्चा में आ गईं, जब तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में उन्होंने कुछ आईएफएस अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं, उन्होंने इसकी शिकायत राज्य सरकार, केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय महिला आयोग को भी की थी, लेकिन साजिश के चलते आज तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. मेनका गांधी ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर तत्काल प्रभाव से डॉक्टर अदिति को हटाने की बात भी की थी. डॉक्टर अदिति बताती हैं कि उन्होंने अपने काम के साथ हमेशा से न्याय किया है लेकिन बीते कुछ महीने उनके लिए बेहद खराब रहे, बावजूद इसके उन्होंने इसका असर अपने काम पर नहीं पड़ने दिया. फोकस होकर पशुओं की सेवा में जुटी रहीं और यही कारण है कि आज उन्हें यह सम्मान मिल रहा है. उनको इस बात का मलाल जरूर है कि उनके अच्छे काम के बाद भी वन विभाग के बड़े अधिकारियों ने उनके खिलाफ साजिश रची, लेकिन वो अपने काम को हमेशा यूं ही करना चाहती हैं.
ये भी पढ़ेंः महिला वन पशु चिकित्सक उत्पीड़न प्रकरण, बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे आरोपी अफसर

चुनौतीपूर्ण काम में होता है खतरा: डॉक्टर अदिति शर्मा साल 2015 से राजाजी टाइगर रिजर्व में अपनी सेवाएं दे रही थीं. तब उन्होंने लगभग 12 गुलदार 3 टस्कर हाथियों को ट्रेंकुलाइज किया. उनका कहना है कि यह काम कभी भी खतरनाक हो जाता है क्योंकि हमें नहीं पता होता कि सामने वाला जानवर किस अवस्था में है. खासकर तब जब वो लोगों को अपना निवाला बना रहा हो. ऐसे में इस बात का ध्यान रखना होता है कि जानवर का व्यवहार कैसा है क्योंकि हमारी एक हलचल जानवर को अलर्ट कर देती है. वह कभी भी हम पर हमला कर सकता है. उधम सिंह नगर के पंतनगर में पैदा हुई अदिति तीन बहनों में सबसे छोटी हैं. उनके पिता डॉ. वीके शर्मा पंतनगर यूनिवर्सिटी में ही प्रोफेसर थे. साल 2003 में उन्होंने पशुपालन विभाग में अपनी नौकरी शुरू की. कुमाऊं में अलग-अलग जगहों पर उन्हें तैनाती मिलती गई. जंगलों में जानवरों के बीच रहना और उनको जानना उन्हें बेहद पसंद था. शायद यही कारण है कि कुमाऊं से फिर वह देहरादून चली आई.

इसके बाद साल 2015 में उन्होंने वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट (Wildlife Institute) से एडवांस वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट (Advance Wildlife Management) का डिप्लोमा किया. उसके बाद वह राजाजी टाइगर रिजर्व में प्रतिनियुक्ति पर आ गईं. साल 2017 में उन्हें ट्रेंकुलाइज प्रशिक्षण के लिए जिंबाब्वे जाने का मौका मिला और 2018 में दक्षिण अफ्रीका से उन्होंने एडवांस वाइल्डलाइफ कैप्चर का कोर्स भी किया. डॉक्टर अदिति बताती हैं अभी तक उनका निशाना नहीं चूका है. डॉक्टर अदिति कहती हैं कि जो भी लड़कियां इस क्षेत्र में आना चाहती हैं, वह उनका सहयोग करने के लिए तैयार है. उनका कहना है कि परिवारों को भी बेटियों को हमेशा सहयोग और आगे बढ़ाना चाहिए, तभी बेटियां आगे बढ़ सकती हैं.

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