देहरादून: वायु सेना दिवस पर समस्त देशवासियों ने वायुवीरों को सलाम किया है. 8 अक्टूबर को 87वां एयरफोर्स दिवस मनाया गया. इस दौरान देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. आज हम आपको वायुसेना के एक ऐसे वीर के बारे में बताने जा रहें हैं जो युवाओं के लिए किसी प्ररेणा से कम नहीं हैं. हम बात कर रहें हैं देहरादून के वीर चंद्र सिंह नेगी की, जिन्होंने कारगिल युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी.
एयर फोर्स में एयर मैन से लेकर जेडब्ल्यू ऑफिसर और रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर तक का सफर तय करने वाले वीर चंद्र सिंह नेगी युवाओं के रोल मॉडल हैं. नेगी ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों की ओर से किए गए हवाई हमले की निगरानी की थी. नेगी ने साल 1965 और 1971 की जंग में मिग-21 जैसे महत्वपूर्ण नेट एयरक्राफ्ट के साथ भी काम कर चुके हैं.
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एयरफोर्स से एयरपोर्ट्स जेडब्ल्यू ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हुए चंद्र सिंह नेगी की कहानी देश के सभी युवाओं को पढ़नी चाहिए. 25 सितंबर 1980 में भारतीय वायुसेना में एयरमैन यानी वायु सैनिक के रूप में भर्ती हुए चंद्र सिंह नेगी को रिटायर्ड हुए 19 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी देश सेवा करने का उनका जज्बा कम नहीं हुआ है.
19 साल पहले जेडब्ल्यू रैंक ऑफिसर पद से रिटायर्ड होने के बाद नेगी उत्तराखंड पुलिस में शामिल हुए. 2000 में वे उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए. उन्होंने करीब 18 साल तक उत्तराखंड पुलिस ने अपनी सेवाएं दी. इसके बाद साल 2018 में वे इंस्पेक्टर के पद से सेवा निवृत हुए.
कारगिल युद्ध में की थी सरहद की निगरानी
नेगी बताते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें दुश्मन पर निगरानी करने का काम सौंपा गया था. बीकानेर के नाल सेक्टर से वे ट्रैवलिंग यूनिट रडार सीमाओं की निगरानी करते थे. इस दौरान उन्हें कई मुश्किलों को सामना भी करना पड़ा, लेकिन अपनी सूझबूझ और त्वरित फैसलों के कारण उन्होंने सभी चुनौतियों पर पार पाया.
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नेगी ने बताया कि एक बार मिसाइल लॉन्च के दौरान कुछ तकनीकी गड़बड़ी हो गई थी, जिस कारण उन्हें काफी परेशानी हुई थी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी बखूबी पार किया. इसके अलावा नेगी ने बताया कि वे लंबे समय (वर्ष 1988 से 1998) तक भारतीय वायुसेना के लिए बनाये गए तीन सेलेक्शन बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं. जिसमें मैसूर, बनारस और देहरादून शामिल है.
पहली महिला फाइटर पायलट के सिलेक्शन टीम में थे शामिल
नेगी के मुताबिक 90 के दशक में जब भारतीय वायुसेना में पहली दफा महिला पायलटों को आजमाया जा रहा था तब उन्होंने महिला पायलटों के पहले दस्ते का परीक्षण किया था. शुरू में महिला पायलट ने हेलीकॉप्टर और बाद में फाइटर जेट में अपना परचम लहराया.