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वायु सेना दिवस: युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं वीर चंद्र सिंह नेगी, कारगिल युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका - उत्तराखंड न्यूज

एयरफोर्स से एयरपोर्ट्स जेडब्ल्यू ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हुए चंद्र सिंह नेगी की कहानी देश के सभी युवाओं को पढ़नी चाहिए. 25 सितंबर 1980 में भारतीय वायुसेना में एयरमैन यानी वायु सैनिक के रूप में भर्ती हुए चंद्र सिंह नेगी को रिटायर्ड हुए 19 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी देश सेवा का उनका जज्बा कम नहीं हुआ है.

वीर चंद्र सिंह नेगी
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Published : Oct 8, 2019, 7:21 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 10:01 PM IST

देहरादून: वायु सेना दिवस पर समस्त देशवासियों ने वायुवीरों को सलाम किया है. 8 अक्टूबर को 87वां एयरफोर्स दिवस मनाया गया. इस दौरान देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. आज हम आपको वायुसेना के एक ऐसे वीर के बारे में बताने जा रहें हैं जो युवाओं के लिए किसी प्ररेणा से कम नहीं हैं. हम बात कर रहें हैं देहरादून के वीर चंद्र सिंह नेगी की, जिन्होंने कारगिल युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी.

एयर फोर्स में एयर मैन से लेकर जेडब्ल्यू ऑफिसर और रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर तक का सफर तय करने वाले वीर चंद्र सिंह नेगी युवाओं के रोल मॉडल हैं. नेगी ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों की ओर से किए गए हवाई हमले की निगरानी की थी. नेगी ने साल 1965 और 1971 की जंग में मिग-21 जैसे महत्वपूर्ण नेट एयरक्राफ्ट के साथ भी काम कर चुके हैं.

पढ़ें- पाइंता पर्वः दो कन्याओं की श्राप के बाद यहां लोग गागली के डंठल से करते हैं युद्ध, ये है परंपरा

एयरफोर्स से एयरपोर्ट्स जेडब्ल्यू ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हुए चंद्र सिंह नेगी की कहानी देश के सभी युवाओं को पढ़नी चाहिए. 25 सितंबर 1980 में भारतीय वायुसेना में एयरमैन यानी वायु सैनिक के रूप में भर्ती हुए चंद्र सिंह नेगी को रिटायर्ड हुए 19 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी देश सेवा करने का उनका जज्बा कम नहीं हुआ है.

युवाओं के रोल मॉडल हैं वीर चंद्र सिंह नेगी.

19 साल पहले जेडब्ल्यू रैंक ऑफिसर पद से रिटायर्ड होने के बाद नेगी उत्तराखंड पुलिस में शामिल हुए. 2000 में वे उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए. उन्होंने करीब 18 साल तक उत्तराखंड पुलिस ने अपनी सेवाएं दी. इसके बाद साल 2018 में वे इंस्पेक्टर के पद से सेवा निवृत हुए.

कारगिल युद्ध में की थी सरहद की निगरानी
नेगी बताते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें दुश्मन पर निगरानी करने का काम सौंपा गया था. बीकानेर के नाल सेक्टर से वे ट्रैवलिंग यूनिट रडार सीमाओं की निगरानी करते थे. इस दौरान उन्हें कई मुश्किलों को सामना भी करना पड़ा, लेकिन अपनी सूझबूझ और त्वरित फैसलों के कारण उन्होंने सभी चुनौतियों पर पार पाया.

पढ़ें- 'कलयुगी रावण' की नई चाल, अब राम को नहीं, पर्यावरण को पहुंचा रहा नुकसान

नेगी ने बताया कि एक बार मिसाइल लॉन्च के दौरान कुछ तकनीकी गड़बड़ी हो गई थी, जिस कारण उन्हें काफी परेशानी हुई थी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी बखूबी पार किया. इसके अलावा नेगी ने बताया कि वे लंबे समय (वर्ष 1988 से 1998) तक भारतीय वायुसेना के लिए बनाये गए तीन सेलेक्शन बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं. जिसमें मैसूर, बनारस और देहरादून शामिल है.

हली महिला फाइटर पायलट के सिलेक्शन टीम में थे शामिल
नेगी के मुताबिक 90 के दशक में जब भारतीय वायुसेना में पहली दफा महिला पायलटों को आजमाया जा रहा था तब उन्होंने महिला पायलटों के पहले दस्ते का परीक्षण किया था. शुरू में महिला पायलट ने हेलीकॉप्टर और बाद में फाइटर जेट में अपना परचम लहराया.

देहरादून: वायु सेना दिवस पर समस्त देशवासियों ने वायुवीरों को सलाम किया है. 8 अक्टूबर को 87वां एयरफोर्स दिवस मनाया गया. इस दौरान देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. आज हम आपको वायुसेना के एक ऐसे वीर के बारे में बताने जा रहें हैं जो युवाओं के लिए किसी प्ररेणा से कम नहीं हैं. हम बात कर रहें हैं देहरादून के वीर चंद्र सिंह नेगी की, जिन्होंने कारगिल युद्ध में बड़ी भूमिका निभाई थी.

एयर फोर्स में एयर मैन से लेकर जेडब्ल्यू ऑफिसर और रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर तक का सफर तय करने वाले वीर चंद्र सिंह नेगी युवाओं के रोल मॉडल हैं. नेगी ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों की ओर से किए गए हवाई हमले की निगरानी की थी. नेगी ने साल 1965 और 1971 की जंग में मिग-21 जैसे महत्वपूर्ण नेट एयरक्राफ्ट के साथ भी काम कर चुके हैं.

पढ़ें- पाइंता पर्वः दो कन्याओं की श्राप के बाद यहां लोग गागली के डंठल से करते हैं युद्ध, ये है परंपरा

एयरफोर्स से एयरपोर्ट्स जेडब्ल्यू ऑफिसर के पद से रिटायर्ड हुए चंद्र सिंह नेगी की कहानी देश के सभी युवाओं को पढ़नी चाहिए. 25 सितंबर 1980 में भारतीय वायुसेना में एयरमैन यानी वायु सैनिक के रूप में भर्ती हुए चंद्र सिंह नेगी को रिटायर्ड हुए 19 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी देश सेवा करने का उनका जज्बा कम नहीं हुआ है.

युवाओं के रोल मॉडल हैं वीर चंद्र सिंह नेगी.

19 साल पहले जेडब्ल्यू रैंक ऑफिसर पद से रिटायर्ड होने के बाद नेगी उत्तराखंड पुलिस में शामिल हुए. 2000 में वे उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए. उन्होंने करीब 18 साल तक उत्तराखंड पुलिस ने अपनी सेवाएं दी. इसके बाद साल 2018 में वे इंस्पेक्टर के पद से सेवा निवृत हुए.

कारगिल युद्ध में की थी सरहद की निगरानी
नेगी बताते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें दुश्मन पर निगरानी करने का काम सौंपा गया था. बीकानेर के नाल सेक्टर से वे ट्रैवलिंग यूनिट रडार सीमाओं की निगरानी करते थे. इस दौरान उन्हें कई मुश्किलों को सामना भी करना पड़ा, लेकिन अपनी सूझबूझ और त्वरित फैसलों के कारण उन्होंने सभी चुनौतियों पर पार पाया.

पढ़ें- 'कलयुगी रावण' की नई चाल, अब राम को नहीं, पर्यावरण को पहुंचा रहा नुकसान

नेगी ने बताया कि एक बार मिसाइल लॉन्च के दौरान कुछ तकनीकी गड़बड़ी हो गई थी, जिस कारण उन्हें काफी परेशानी हुई थी, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी बखूबी पार किया. इसके अलावा नेगी ने बताया कि वे लंबे समय (वर्ष 1988 से 1998) तक भारतीय वायुसेना के लिए बनाये गए तीन सेलेक्शन बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं. जिसमें मैसूर, बनारस और देहरादून शामिल है.

हली महिला फाइटर पायलट के सिलेक्शन टीम में थे शामिल
नेगी के मुताबिक 90 के दशक में जब भारतीय वायुसेना में पहली दफा महिला पायलटों को आजमाया जा रहा था तब उन्होंने महिला पायलटों के पहले दस्ते का परीक्षण किया था. शुरू में महिला पायलट ने हेलीकॉप्टर और बाद में फाइटर जेट में अपना परचम लहराया.

Intro:
एंकर- एयर फोर्स में एयर मैन से लेकर जेडब्ल्यू ऑफिसर और रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर तक का यह सफर वीर चंद्र सिंह नेगी का आज की युवा पीढ़ी के काफी प्रेरणादायक है। एयर फोर्स में कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों की और से हवाई हमले की निगरानी की बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले इस जवान पूरी कहानी जानिए।


Body:वीओ- वर्ष 1965 और 1971 की जंग में मिग-21 जैसे महत्वपूर्ण नेट एयरक्राफ्ट और मिसाइलों के साथ काम कर चुके
एयरफोर्स एयरपोर्ट्स रिटायर जेडब्ल्यू ऑफिसर चंद्र सिंह नेगी की कहानी देश के प्रति सेवा भाव की एक ऐसी कहानी है जो आज हर एक युवा को पढ़नी चाहिए। 25 सितंबर 1980 में भारतीय वायुसेना में एयरमैन यानी वायु सैनिक के रूप में नियुक्त हुए चंद्र सिंह नेगी को भले ही वायु सेना से रिटायर हुए 19 साल हो चुके हैं लेकिन वर्ष 2000 में वायु सेना से जेडब्ल्यू रैंक के ऑफिसर के रूप में रिटायर हुए चंद्र सिंह नेगी में देश सेवा की अलग अभी बाकी थी। उन्होंने वर्ष 2000 में भारतीय वायु सेना से रिटायर होने के बाद उत्तराखंड पुलिस में अपनी सेवाएं दी और वर्ष 2000 में उत्तराखंड पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में भर्ती हुए चंद्र सिंह नेगी बीते साल 2018 में उत्तराखंड पुलिस से भी इंस्पेक्टर बन कर रिटायर हुए।

कारगिल युद्ध के दौरान रडार से करते थे सरहद की निगरानी---
चंद्र सिंह नेगी बताते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें दुश्मन देश के हवाई हमले पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी मिली थी जिसके लिए वह रडार के जरिए बीकानेर बीकानेर के नाल सेक्टर में ट्रैवलिंग यूनिट रडार के जरिए बॉर्डर एरिया पर निगरानी करते थे। इस दौरान वह रडार यूनिट में पावर सप्लाई के साथ-साथ बॉर्डर एरिया पर पूरी तरह से दुश्मनों पर निगरानी रखते थे उन्होंने बताया कि इस दौरान कई बार इस तरह के संवेदनशील पल उनके जीवन में आए जब उनकी सूझबूझ और त्वरित फैसलों ने बड़ी चुनौतियां पार की साथ ही उन्होंने बताया कि एक बार मिसाइल लांच के दौरान कुछ गड़बड़ी होने के कारण उन्हें काफी परेशानी हुई थी लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी बखूबी पार किया।

देश की पहली फाइटर महिला पायलट के सिलेक्शन में निवाई की महत्वपूर्ण भूमिका---
चंद्र सिंह नेगी बताते हैं कि उनका सैनिक जीवन काफी संतुष्टि भरा है। उन्होंने बताया कि वह अपने सर्विस के दौरान 1988 से वर्ष 1998 तक लंबे समय तक भारतीय वायुसेना के लिए बनाये गए 3 में से सेलेक्शन बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं। देश में मौजूद मैसूर, बनारस और देहरादून में से देहरादून और बनारस सिलेक्शन बोर्ड के सदस्य रह चुके चन्द्र सिंह नेगी ने बताया कि 90 के दशक में जब भारतीय वायुसेना में पहली दफा महिला पायलटों को आजमाया जा रहा था तो इस दौरान उन्होंने महिला पायलटों के पहले दस्ते का परीक्षण किया था। शुरू में महिला पायलेट ने हॉलिकॉप्टर और बाद में फाइटर जेट में महिला पायलटों ने अपना परचम लहराया।

बाइट- चन्द्र सिंह नेगी, रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी


Conclusion:
Last Updated : Oct 8, 2019, 10:01 PM IST
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