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देहरादून में विभिन्न संगठनों का सचिवालय कूच, अंकिता भंडारी हत्याकांड की CBI जांच की रखी मांग - जल जंगल जमीन की लड़ाई

देहरादून में आज 'लोकतंत्र बचाओ उत्तराखंड बचाओ' के नारे के साथ विभिन्न संगठनों ने सचिवालय कूच किया. इस दौरान उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच और लोगों को बेघर न करने की मांग उठाई. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इन 22 सालों में सरकारों ने जल-जंगल-जमीन पर लोगों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया है और लोगों को हाशिए पर रख दिया है.

Various organizations march to Secretariat
देहरादून में विभिन्न संगठनों का सचिवालय कूच
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Published : Nov 7, 2022, 8:23 PM IST

देहरादूनः आज 'लोकतंत्र बचाओ उत्तराखंड बचाओ' के नारे के साथ विभिन्न संगठनों और विपक्षी दलों ने सचिवालय कूच किया. इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जन संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि राज्य गठन के 22 साल बाद भी उत्तराखंड के लोग हाशिए पर हैं. वहीं, उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच (Ankita murder case CBI Investigation) करने की मांग की.

विभिन्न संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अतिक्रमण हटाने के नाम पर या विकास परियोजना के नाम पर किसी को बेघर न करें. प्रदर्शन में शामिल भाकपा के नेशनल काउंसिल सदस्य समर भंडारी का कहना है कि सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है. उन्होंने उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त (corruption free Uttarakhand) किए जाने की मांग उठाते हुए कहा कि सरकार को भ्रष्टाचार पर तत्काल रोक लगाकर सख्त प्रावधान लाना चाहिए.
ये भी पढ़ेंः छावला गैंगरेप और मर्डर के आरोपी सुप्रीम कोर्ट से बरी, उत्तराखंड की अनामिका के साथ हुई थी बर्बरता

आंदोलन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड को बने हुए 22 साल हो चुके हैं. जिन सपनों के साथ यहां के लोगों ने राज्य के लिए लड़ाई लड़ी, आज वो सपने अधूरे हैं. उल्टा इन 22 सालों में लोकतंत्र को कमजोर कर दिया गया है. साथ ही जल-जंगल-जमीन पर लोगों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया है. अपनी मांगों को लेकर संगठनों ने अपर सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया.

देहरादूनः आज 'लोकतंत्र बचाओ उत्तराखंड बचाओ' के नारे के साथ विभिन्न संगठनों और विपक्षी दलों ने सचिवालय कूच किया. इस दौरान उन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जन संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है कि राज्य गठन के 22 साल बाद भी उत्तराखंड के लोग हाशिए पर हैं. वहीं, उन्होंने अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआई जांच (Ankita murder case CBI Investigation) करने की मांग की.

विभिन्न संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार अतिक्रमण हटाने के नाम पर या विकास परियोजना के नाम पर किसी को बेघर न करें. प्रदर्शन में शामिल भाकपा के नेशनल काउंसिल सदस्य समर भंडारी का कहना है कि सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है. उन्होंने उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त (corruption free Uttarakhand) किए जाने की मांग उठाते हुए कहा कि सरकार को भ्रष्टाचार पर तत्काल रोक लगाकर सख्त प्रावधान लाना चाहिए.
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आंदोलन में शामिल लोगों ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड को बने हुए 22 साल हो चुके हैं. जिन सपनों के साथ यहां के लोगों ने राज्य के लिए लड़ाई लड़ी, आज वो सपने अधूरे हैं. उल्टा इन 22 सालों में लोकतंत्र को कमजोर कर दिया गया है. साथ ही जल-जंगल-जमीन पर लोगों के अधिकारों को खत्म कर दिया गया है. अपनी मांगों को लेकर संगठनों ने अपर सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी प्रेषित किया.

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